गुजरात में इस बार पटेल नहीं आदिवासी होंगे ‘किंगमेकर’

गुजरात चुनाव में आदिवासी वोटर्स की निर्णायक भूमिका होती है और इन वोटर्स को साधने के लिए मोदी ने मास्टर स्ट्रोक चल दिया है।

mangarh dham

पीएम नरेंद्र मोदी को एक तीर से ढ़ेरों निशाने साधने में महारत हासिल है। जिसका सबूत वो चुनावी रण से पहले कई बार दे चुके हैं। जहां इसी क्रम में पीएम मोदी ने तीर को राजस्थान से छोड़ा है लेकिन इसका प्रभाव मध्यप्रदेश और गुजरात में भी पड़ेगा। अब आप ये सोच रहे होंगे कि कैसा तीर और कैसा प्रभाव? दरअसल, पीएम मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम का दौरा किया। मानगढ़ धाम को आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि राजस्थान के मानगढ़ से मध्यप्रदेश और गुजरात का क्या संबंध है? तो चलिए आपको विस्तार से समझते हैं कि कैसे पीएम मोदी के इस मास्टर स्ट्रोक से राजस्थान के साथ-साथ मध्यप्रदेश और गुजरात में भी भाजपा को लाभ होगा और मानगढ़ धाम का इन दो राज्यों से क्या जुड़ाव है।

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मानगढ़ धाम में हुआ था नरसंहार

दरअसल, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासियों के लिए मानगढ़ धाम एक बड़ा तीर्थ स्थल है। यहां पीएम मोदी की रैली में तीनों राज्यों के हजारों आदिवासियों को बुलाया गया। बता दें कि इस धाम में अंग्रेजों की गोली से एक ही दिन में लगभग 1500 आदिवासियों की हत्या कर दी गई थी। इस नरसंहार को जलियावाला बाग कांड से भी बड़ा नरसंहार माना जाता है।

तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव

तीनों राज्यों में एक साल के अंदर ही विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। गुजरात में इसी साल के अंत में जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में 2023 में चुनाव होने हैं। अब आप ये सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव का राजस्थान के मानगढ़ धाम की रैली से क्या जुड़ाव हुआ? दरअसल, प्रधानमंत्री की इस रैली को तीनों राज्य की सत्ता हासिल करने के तहत एक मास्टर स्ट्रोक के रूप से देखा जा रहा है। क्योंकि तीनों राज्यों में आदिवासी वोटर्स की निर्णायक भूमिका होती है। जिसके चलते पीएम मोदी की इस रैली से तीनों राज्यों का चुनाव सधता हुआ दिखाई पड़ रहा है। तो चलिए अब नजर डालते हैं तीन राज्यों में आदिवासी वोटर्स की भूमिका पर।

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मध्य प्रदेश में लगभग 90 से ज्यादा सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है। ऐसे में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा को आदिवासी वोटर्स को साधना बेहद जरूरी है। वहीं अगर राजस्थान की बात करें तो सत्ता में वापसी के लिए भाजपा को आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में करना यहां भी महत्वपूर्ण हो जाता है। राजस्थान की करीब एक दर्जन सीटों पर आदिवासी हार जीत तय करते हैं। वहीं, राजस्थान में 25 और गुजरात में 27 सीटें हैं। तीनों राज्यों में चुनाव हैं। तो समझा ये जा रहा है कि पीएम मोदी की इस रैली से तीनों राज्यों के चुनाव में भाजपा को लाभ होगा क्योंकि तीनों राज्य में आदिवासी निर्णायक भूमिका में है।

पीएम के दांव से होगा गुजरात चुनाव में फायदा

गुजरात में विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा तो नहीं हुई है पर भाजपा चुनाव की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। गुजरात में भी आदिवासी वोटर्स का बहुत महत्व है, वो इस तरह गुजरात में कुल 14.7 प्रतिशत आदिवासी वोटर्स हैं जो किसी भी राजनीतिक पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य में आदिवासी 35 से 40 सीटों पर अपना असर डालते हैं। वैसे माना ये जाता है कि आदिवासी मतदाताओं पर कांग्रेस का ज्यादा दबदबा रहा है। लेकिन बीजेपी ने भी इस बार कांग्रेस को झटका देने की तैयारियां कर ली हैं।

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पटेल और आदिवासी 

गुजरात चुनाव में 182 सीटों में से लगभग 70 सीटों पर इनका प्रभाव है और पाटीदार वोटर भाजपा का कट्टर वोट बैंक माना जाता है। तो आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी और पाटीदार समुदाय भाजपा को विजय कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं। गुजरात में फिलहाल भाजपा के 44 विधायक, 6 सांसद और राज्यसभा में तीन सांसद पाटीदार समुदाय से हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी समर में मास्टर स्ट्रोक मारने में माहिर समझे जाते हैं और इस परिप्रेक्ष्य में आदिवासी समुदाय के वोटरों को अपने पाले में लाने की कवायद तो भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी बनाकर ही कर दी थी और आज वो चुनाव जीतकर देश के राष्ट्रपति पद पर आसीन भी हैं। इसके बाद अब आदिवासियों के तीर्थ स्थल से पीएम मोदी के द्वारा रैली करना भी आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए सहायक रहेगा। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी इसका लाभ भाजपा को होगा क्योंकि मध्यप्रदेश गुजरात और राजस्थान की 40 लोकसभा सीटों पर आदिवासी समुदाय का असर माना जाता है। कुल मिलाकर एक से भाजपा और विशेषकर पीएम मोदी के द्वारा बहुत दूर का निशाना साधा गया है।

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