Arunachal Frontier Highway: इसे भी हथिया लों, उस पर भी अपना कब्जा जमा लों, लालची चीन अपनी विस्तारवादी नीति से कई देशों को परेशान करता आया है। चीन दूसरों की जमीन पर अपना अधिकार जताने के लिए कुख्यात है। इसी नीति के कारण अधिकतर देशों के साथ चीन का विवाद चला आ रहा है, जिसमें एक नाम भारत का भी शामिल है। हालांकि वो बात अलग है कि भारत के आगे चीन की चालाकी चल नहीं पाती। अब चीन को बुरी तरह फंसाने के लिए अरुणाचल में भारत बड़ी तैयारी कर रहा है, जिससे ड्रैगन की हालत खराब होने वाली है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे (Arunachal Frontier Highway) चीन की सीसीपी के लिए किसी बुरे सपने से कम साबित नहीं होने वाला है।
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तेजी पर Arunachal Frontier Highway का काम
दरअसल, भारत के पांच राज्यों लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश से चीन की सीमा लगी हुई है। इन राज्यों की सीमाओं पर अवैध निर्माण कर चीन बार-बार भारत से पंगा लेने के प्रयास करता रहता है। यही कारण है कि भारत, ड्रैगन के इन मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे के निर्माण का कार्य तेज गति से कर रहा है। वहीं चीन भारत के इस प्रोजेक्ट से बौखलाया हुआ है क्योंकि इसके पूरा होने से अरुणाचल प्रदेश से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पूरी तरह से एक हाईवे से जुड़ जाएगी, जिससे LAC पर चीन के द्वारा की जा रही गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखना बेहद ही आसान हो जाएगा और चालबाज चीन की हरकतों का मुंहतोड़ जबाव देना भी सरल हो जाएगा।
आपको बता दें Arunachal Frontier Highway प्रोजेक्ट के तहत भारत 2 हजार किलोमीटर लंबे हाइवे का निर्माण कर रहा है जो भूटान से सटे अरुणाचल प्रदेश के मागो से शुरू होगा और तवांग, अपर सुबनसिरी, टुटिंग, मेचुका, अपर सियांग, देबांग वैली, देसाली, चागलगाम, किबिथू, डोंग से गुजरते हुए म्यांमार सीमा के पास विजयनगर में समाप्त होगा। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 40 हजार करोड़ रुपये है। अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे प्रोजेक्ट भारत के सबसे मुश्किल और बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक है।
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महत्वपूर्ण है यह प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट चीन के लिए खतरा और भारतीय सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि हाइवे के माध्यम से सीमा पर सेना और आधुनिक उपकरण पहुंचाने में आसानी होगी और भारत LAC पर चीन की हर चालबाजी का मजबूती से जबाव दे सकेगा।
देखा जाये तो भारत लगातार LAC पर सेना की क्षमता को बढ़ाने की तीव्र गति से कार्य कर रहा है, जिसका बड़ा उदाहारण Arunachal Frontier Highway है। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के कुछ हिस्सों पर काम पहले ही शुरू हो चुका है। इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों को वहां तैनात किया गया है। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के साथ ही अरुणाचल प्रदेश के पास तीन नेशनल हाईवे हो जाएंगे। अरुणाचल में पहले से ही दो नेशनल हाईवे हैं, फ्रंटियर हाईवे, ट्रांस-अरुणाचल हाईवे और ईस्ट-वेस्ट इंडस्ट्रियल कॉरिडोर हाईवे।
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अरुणाचल पर चीन की बुरी नजर
ध्यान देने योग्य है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का इलाका बताता आया है और उसे हड़पने के लिए सीमा पर चालबाजी करता रहता है। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के साथ भारत का काफी लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश की करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अपने दावा करता है। वहीं दूसरी ओर भारत चीन को बार-बार चेता चुका है कि वो अरुणाचल प्रदेश पर अपनी गंदी नजरें ना डालें। यह भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। 1962 के युद्ध के दौरान चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों तक पहुंच गई थी तब भारतीय सेना के पास सड़क-मार्ग की अधिक सुविधा उपलब्ध नहीं थी जिसके कारण सेना की मूवमेंट पर काफी प्रभाव पड़ा था।
चालबाज देशों की सूची में चीन को बादशाहत हासिल है। उसकी घटिया नीतियों से हर कोई परेशान है। चीन की नियत अपनी विस्तारवादी नीति के तहत पड़ोसियों देशी की जमीनों को कब्जाने की रहती है। हालांकि चीन, भारत से पंगा मोल लेकर बहुत बड़ी भूल कर रहा है, क्योंकि कम से कम भारत तो ड्रैगन की हर कदम का मुंह तोड़ जवाब देने की हिम्मत रखता है और उसे सबक सिखाना अच्छी तरह से जानता है। इस अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे का निर्माण चीन को जवाब देने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होने वाला है।
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