अश्विनी वैष्णव ने एक झटके में ‘आलसी’ और ‘दागदार’ सरकारी बाबुओं को मंत्रालय से बाहर निकाला

एक साथ करीब 1 दर्जन सरकारी बाबुओं पर इतना जबरदस्त एक्शन इससे पहले कभी नहीं हुआ था. लेकिन अश्विनी वैष्णव ने उन्हें ऐसी रिटायरमेंट दी है कि वे खुद नहीं समझ पाएंगे कि ‘गौरवान्वित हो’ या लज्जा से मस्तक झुका लें!

Ashvini Vaishnav

Source- TFI

जो सरकारी बाबू ऑफिस में बैठ कर कुर्सी तोड़ रहे थे, मुफ्त की मलाई चाट रहे थे, सरकारी पैसे पर ऐश कर रहे थे, आलसी हो गए थे, उनके दिन तो वर्ष 2014 से ही घटने शुरु हो गए थे। जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली, ऐसे लोगों पर नजर रखी जाने लगी और एक एक कर उनपर एक्शन भी होने लगा। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई अधिकारियों पर एक्शन हो चुका है लेकिन इसी बीच पीएम मोदी के पदचिह्नों पर चलते हुए दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुछ ऐसा किया है कि एक बार फिर उनकी जमकर वाहवाही हो रही है।

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ये रहा पूरा मामला

दरअसल, हाल ही में रेलवे एवं दूरसंचार मंत्रालय को संयुक्त रूप से संभालने वाले अश्विनी वैष्णव ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में 10 उच्चाधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट का नोटिस थमा दिया है। अश्विनी वैष्णव ने ज्वाइंट सेक्रेटरी समेत टेलीकॉम डिपार्टमेंट के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर करने पर मुहर लगा दी है। भ्रष्टाचार को कतई स्वीकार न करने की नीति और ‘काम करो या काम छोड़ो’ अभियान के अंतर्गत यह छंटनी की गई है। बीते शनिवार को इन अधिकारियों को जबरन रिटायर किए जाने का फैसला सार्वजनिक हुआ और उसके बाद से ही अश्विनी वैष्णव की जमकर तारीफ हो रही है। ज्ञात हो कि पहली बार दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के पेंशन नियम 48 के धारा 56 (J) के तहत जबरन रिटायरमेंट दी गई है।

परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। इससे पूर्व एक अफसर को मीटिंग के समय पर झपकी लेने के कारण जबरन सेवानिवृत्ति का नोटिस थमा दिया गया था। अब दूरसंचार मंत्री ने भ्रष्टाचार को तनिक भी बर्दाश्त नहीं करने की सरकार की नीति के तहत दूरसंचार विभाग के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट की मंजूरी दी है। इन 10 अधिकारियों में 9 अधिकारी निदेशक स्तर पर काम कर रहे थे, जबकि एक अधिकारी ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर का है। दूरसंचार मंत्री ने यह फैसला हर वर्ष सरकार द्वारा मनाए जाने वाले सुशासन दिवस (Good Governance Day) ​​की पूर्व संध्या से एक दिन पूर्व किया।

इससे पूर्व में रेलवे मंत्रालय के 40 अधिकारियों को भी जबरन सेवानिवृत्ति का नोटिस थमाया गया था। बता दें कि अश्विनी वैष्णव के पास रेलवे मंत्रालय का भी कार्यभार है। वो केवल पीएम नरेंद्र मोदी की परिपाटी पर ही चल रहे हैं, जिसके अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों के पास दो ही विकल्प है – काम करें नहीं तो अपना रास्ता नापें।

BSNL के कर्मचारियों को दी थी वॉर्निंग

यही नहीं, अगस्त 2022 में अश्विनी वैष्णव ने बीएसएनएल के कर्मचारियों को अपने प्रतिद्वंद्वियों के अनुरूप कार्यशैली अपनाने और कर्मठ बनने की भी सलाह दी थी और उनसे सरकारी रवैये से बाहर निकलने की बात कही थी। उस घटना की एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई, जिसमें दूरसंचार मंत्री को यह कहते सुना जा सकता है कि “मैं हर महीने प्रदर्शन को मापूंगा। जो काम नहीं करना चाहते हैं वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले सकते हैं और घर जा सकते हैं या आपको स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर किया जाएगा जैसा कि रेलवे में हुआ था।”

बता दें कि बीएसएनएल को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2022 में 1.64 लाख करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी थी। कैबिनेट द्वारा अनुमोदित पुनरुद्धार उपायों में BSNL सेवाओं के उन्नयन, स्पेक्ट्रम आवंटन, इसकी बैलेंस शीट को कम करने और इसके फाइबर नेटवर्क को बढ़ाने के लिए नई पूंजी लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अश्विनी वैष्णव BSNL की स्थिति सुधारने में जोर शोर से लगे हुए हैं और उनके द्वारा की गई यह कार्रवाई इसी बात को परिलक्षित करती है। वैष्णव उन नेताओं में से नहीं हैं, जो हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। उनके कार्य में समय तनिक लग सकता है परंतु वो अपने कार्यों को पूरा करके ही दम लेते हैं और यह हमें पहले भी देखने को मिल चुका है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि BSNL के दिन फिरने वाले हैं।

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