2022 का बलूचिस्तान 1971 के पूर्वी पाकिस्तान की याद दिला रहा है

वर्तमान हालातों को देखकर यही संकेत मिलते हैं कि बलूचिस्तान भी पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बन सकता है।

बलूचिस्तान पाकिस्तान

Source- TFI

15 अगस्त, 1947 भारत के इतिहास का ऐसा दिन जिसके बाद नाम से पाक लेकिन इरादों से नापाक देश पाकिस्तान का जन्म हुआ। विभाजन के समय पाकिस्तान को बंगाल का पूर्वी और पंजाब व सिंध का पश्चिमी भाग दिया गया था लेकिन उसकी तानाशाही नीतियों के चलते पूर्वी भाग में विद्रोह होने लगा और अंत में भारत के साथ 1971 के युद्ध के परिणामस्वरूप एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। परन्तु अब वर्तमान पाकिस्तान के एक और भाग बलूचिस्तान में विद्रोह पनपता हुआ दिख रहा है। एक बार फिर से बलूची जिन बोतल से बाहर आता हुआ दिख रहा है। आज हम पाकिस्तान के भविष्य पर चर्चा करते हुए जानेंगे कि क्या आने वाले समय में बांग्लादेश की तरह बलूचिस्तान भी पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बन सकता है? इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों 2022 का बलूचिस्तान 1971 के पूर्वी पाकिस्तान की याद दिला रहा है?

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IED हमले में 6 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत

दरअसल, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बीते रविवार यानी 25 दिसंबर को पाकिस्तानी आर्मी के ऊपर एक के बाद एक IED हमले किए गए। इन हमलों में 6 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई और 15 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। पाकिस्तान आर्मी की मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के अनुसार वे बलूचिस्तान के ‘कहान’ क्षेत्र में आतकंवादी गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद एक मिलिट्री ऑपरेशन चला रहे थे इसी बीच आतकंवादियों ने एक के बाद एक ग्रेनड हमले किए। इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है। इसके अलावा पाकिस्तान के एक और आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने बीते दो दिनों में बलूचिस्तान प्रांत में कई हमले किए हैं। परन्तु पाकिस्तान में हो रहे इन हमलों से एक प्रश्न अवश्य उठता है कि आखिरकार ऐसा हो क्यों रहा है?

स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मांग

इस प्रश्न के उत्तर को जानने के लिए इतिहास के पन्ने पलटकर देखना होगा। दरअसल, बलूचिस्तान पाकिस्तान का पश्चिमी प्रान्त है और यह अफगानिस्तान और ईरान से सटा हुआ है। 1947 में इस भाग को पाकिस्तान में मिला दिया गया लेकिन यहां लोगों ने पाकिस्तान के आधिपत्य को कभी भी स्वीकार नहीं किया जिसके चलते बलूचिस्तान में स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की मांग लगातार चल रही है। हालांकि नाम के लिए बलूचिस्तान एक स्वायत्त राज्य है और यहां पर एक राज्यपाल भी होता है जिसे पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। परन्तु पाकिस्तानी सरकार को चलाने वाले अधिकतर लोग पाकिस्तान के पंजाब व सिंध प्रांत के सामंती लोग हैं जो लंबे समय से पाकिस्तान को अपने हिसाब से चला रहे हैं।

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बलूचों पर पाकिस्तान के अत्याचार

यही नहीं पाकिस्तान की सरकार ने समय-समय पर बलूच के लोगों को प्रताड़ित भी किया है। अभी तक इसके कई उदाहरण देखने के लिए मिल चुके हैं जिसमें से एक 2016 का विवाद काफी बड़ा विवाद था जब बलूचिस्तान की नायला बलूच और वहां के अन्य नेताओं ने बलूचिस्तान के लोगों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में दुनिया को बताते हुए अपनी बात रखी थी। 1.3 करोड़ की जनसंख्या वाले इस प्रांत में नरसंहार जारी है। 2004 से अब तक यहां लगभग 4 हजार लोगों की हत्या की गई है। यही कारण है कि बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग करने वाले आतंकवादी संगठन आए दिन पाकिस्तानी सेना और सरकार के लोगों को  निशाना बनाते रहते हैं।

बलूचिस्तान में जब भी इस प्रकार की गतिविधियां होती हैं तो एक प्रश्न अवश्य उठता है कि क्या आने वाले समय में बलूचिस्तान नया बांग्लादेश बन सकता है। इसका उत्तर स्पष्ट भी है और जटिल भी क्योंकि पाकिस्तान पहले ही अपना पूर्वी भाग खो चुका है इसलिए वो आसानी से बलूचिस्तान को अपने हाथ से तो नहीं जाने देगा। लेकिन अगला प्रश्न उठता है कब तक? किसी भी राज्य के लोगों को एक सीमा तक ही दबाया जा सकता है कभी न कभी तो उन्हें उनके अधिकारों को देना ही होगा। इसलिए बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए एक ऐसा कांटा है जिसे न निगलते बनता है और ना हीं उगलते।

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