वैश्विक कूटनीति में भारत की सॉफ्ट पावर बन रहे हैं भगवान राम

आज मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेकर भारत की विदेश नीति चल रही है, जिसे पूरा संसार नतमस्तक होकर स्वीकार कर रहा है।

Kashi Tamil Sangamam

Kashi Tamil Sangamam: संपूर्ण चराचर का जो स्वामी है, जिसका व्यक्तित्व और कृतित्व ही हिंदुत्व की आधारशिला है, जो अजर है, अमर है, जो तीनों लोकों का स्वामी है, जो पुरुषों में महान है, जो मर्यादाओं का सार है, जो जीवन है, जो मरण है, जिसके होने मात्र से बची रही है धरा, जिसने मृत्युलोक पर आकर मनष्यों को तारा, जिसने अयोध्या को संवारा। आज उसी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को पूरा विश्व नमन कर रहा है, उन्हें भारत की धरोहर के रूप में स्वीकार कर रहा है। उन्हें आदर्श राजा के रूप में अपना रहा है, रामराज्य की कल्पना में स्वयं को खपा रहा है। आज उन्हीं मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन से शिक्षा लेकर चल रही है भारत की विदेश नीति, जिसे नतमस्तक होकर स्वीकार कर रहा है पूरा संसार।

इस लेख में जानेंगे कि कैसे दुनिया तेजी से भारत की सॉफ्ट पावर के रूप में भगवान श्रीराम को स्वीकार कर रही है।

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Kashi Tamil Sangamam और बनारस में जी-20 की एक बैठक

बनारस में काशी-तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) आयोजित किया जा रहा है, बनारस में ही जी-20 की एक बैठक भी होनी है। इन्हीं कार्यकर्ताओं को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर बनारस पहुंचे थे, यहां पहुंचकर विदेश मंत्री ने जो कहा पहले वो समझ लीजिए। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि- भारत की विदेश नीति इस वक्त भगवान श्रीराम के आदर्शों पर और उनके जीवन से सीख लेकर चल रही है। उन्होंने कहा- “हम रामायण को शासन चलाने के लिए आदर्श मनाते हैं। उदाहरण के लिए जिस तरह से भगवान राम ने रावण से युद्ध के लिए वानरों को इकठ्ठा किया, उसे आज के दौर में गठबंधन कहा जाता है। विदेश नीति में हमें यही करना होता है कि अलग-अलग लोगों को कैसे एक उद्देश्य के लिए अपने साथ काम करने के लिए तैयार करते हैं।”

अब हमारे सामने प्रश्न है कि यह सही है कि भारत की विदेश नीति भगवान राम के आदर्शों पर चल रही है लेकिन इससे भगवान राम भारत की एक सॉफ्ट पावर के रूप में कहां स्थापित हुए? बिल्कुल ऐसा हो रहा है, इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। तो बात कोरोना काल की है, ब्रिटेन के तब के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने जैसे रावण का वध किया था, हम भी उसी तरह से कोरोना को हराएंगे।

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ताइवान ने भी श्रीराम की महिमा को माना

गलवान में जब चीनी सैनिकों ने अपनी सीमा पार की तो भारतीय सेना ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया। इस दौरान झड़प में कई भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए लेकिन निश्चित रूप से कितने चीनी सैनिक मरे आज तक चीन ने आंकड़ा नहीं दिया। लेकिन दुनिया इस बात को स्वीकार करती है कि बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की जान गई थी। इस झड़प के बाद ताइवान की मीडिया ने यह तस्वीर जारी की थी जिसमें भगवान राम, चीनी ड्रैगन पर तीर चलाते हुए दिख रहे हैं। इस पर लिखा था- हम जीतेंगे और हम मारेंगे…

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ब्राजील ने कहा था धन्यवाद

अब ध्यान दीजिए कि- कोरोना काल में जब भारत ने दुनिया भर को वैक्सीन पहुंचाई तो तमाम देशों ने अपने-अपने तरीके से भारत का धन्यवाद किया लेकिन ब्राजील ने भारत का धन्यवाद करने के लिए भगवान राम के परम भक्त अंजनीकुमार को चुना। ब्राजील के तत्कालीन राष्ट्रपति बोलसोनारो ने हनुमान जी की जड़ी-बूटी लाते हुए तस्वीर पोस्ट की और भारत का धन्यवाद किया।

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नेपाल ने श्रीराम को अपना बताया था

यही क्यों, नेपाल ने तो भगवान श्रीराम को अपना ही बता दिया था। आपको याद ही होगा नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का वो बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि भगवान राम अयोध्या में नहीं बल्कि नेपाल में जन्में थे। अब आप भगवान राम की ताकत का अंदाजा लगा सकते हैं। दुनियाभर के कई देशों में रामायण के अलग-अलग वर्जन हैं, थोड़ा बहुत बदलाव करके कई देशों ने रामायण को अपनाया है। ऐसे में यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि दुनिया अब भारत की सॉफ्ट पावर के रूप में रामायण को और प्रभु श्रीराम को स्वीकार कर रही है।

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