TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    नायब सैनी ने लापरवाही के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है

    हरियाणा में खेल विभाग के सचिव-निदेशक का तबादला: लापरवाही को लेकर नायब सरकार का बड़ा एक्शन

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    भारतीय दर्शन और संविधान

    भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

    तालोम रुकबो

    अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह: आजादी की लड़ाई का योद्धा, जिसने काबुल में बनाई थी स्वतंत्र भारत की पहली निर्वासित सरकार

    बी.एन राउ का संविधान निर्माण में बड़ा योगदान है

    क्या बेनेगल नरसिंह राउ थे संविधान के असली निर्माता ? इतिहास ने उनके योगदान को क्यों भुला दिया ?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    नायब सैनी ने लापरवाही के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है

    हरियाणा में खेल विभाग के सचिव-निदेशक का तबादला: लापरवाही को लेकर नायब सरकार का बड़ा एक्शन

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    बिहार के बाजीगरों के जरिये पश्चिम बंगाल फतह का ताना-बाना बुन रही भाजपा

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं

    कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    जैवलिन मिसाइल

    अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

    बांग्लादेश और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात

    ‘हसीना’ संकट के बीच NSA अजित डोभाल की बांग्लादेश के NSA से मुलाकात के मायने क्या हैं?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    दिल्ली ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में हड़कंप: असीम मुनीर की सेना हाई अलर्ट पर, एयर डिफेंस सक्रिय, भारत की ताकत और रणनीति ने आतंकियों और पड़ोसी को किया सतर्क

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    राजनाथ सिंह ने दिखाया आईना, यूनुस को लगी मिर्ची: बांग्लादेश की नई दिशा, भारत की नई नीति

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    आईएनएस सह्याद्री गुआम में: भारत की नौसेना का बहुपक्षीय सामरिक प्रदर्शन, एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता और एशिया-प्रशांत में नेतृत्व

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    ढाका में पाकिस्तानी सक्रियता: यूनुस सरकार, नौसेना प्रमुख की यात्रा और भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा पर खतरे की समीक्षा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    भारतीय दर्शन और संविधान

    भारतीय चिंतन दृष्टि से संविधान: ज्ञान परंपरा में नागरिकता का इतिहास

    तालोम रुकबो

    अरुणाचल प्रदेश के वनवासियों को धर्मांतरण से बचाने वाले तालोम रुकबो: एक भूले-बिसरे नायक की कहानी

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह

    राजा महेंद्र प्रताप सिंह: आजादी की लड़ाई का योद्धा, जिसने काबुल में बनाई थी स्वतंत्र भारत की पहली निर्वासित सरकार

    बी.एन राउ का संविधान निर्माण में बड़ा योगदान है

    क्या बेनेगल नरसिंह राउ थे संविधान के असली निर्माता ? इतिहास ने उनके योगदान को क्यों भुला दिया ?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

कैसे एक षड्यंत्र के तहत भारत को जाति के आधार पर बांटा गया? एक एक कड़ी समझिए

'जाति' एक स्पेनिश शब्द "कास्टा" की व्युत्पत्ति है, जो मुख्य रूप से समुदायों को संदर्भित करता. लेकिन अंग्रेजों ने जाति व्यवस्था को इतना दूषित कर दिया कि आज तक स्थिति में बहुत अधिक सुधार नहीं हो पाया है.

TFI Desk द्वारा TFI Desk
16 December 2022
in मत
Caste in India

Source- TFI

Share on FacebookShare on X

कौन जात हो, आपने यह प्रश्र कई बार सुना होगा। किसी भी मुद्दे को जाति से जोड़कर सवर्णों की गलती निकालना वामपंथियों की आदत है। सटीक शब्दों में कहा जाए तो यह एक ऐसी बीमारी बन गई है, जो कि भारत को कदम-कदम पर बदनाम करने और उसकी सामाजिक व्यवस्था को लेकर उसे वैश्विक स्तर पर कठघरे में खड़ा करने का काम करती है। भले ही इसे लेकर विभिन्न तरह के दुष्प्रचार गढ़े जाते हों किन्तु धर्म, जाति और विकास तीनों ही वर्तमान भारत की सच्चाई है। जब से देश में मोदी सरकार आई है तब से वामपंथी गिरोह प्रत्येक मुद्दे पर जाति और धर्म को ढूंढ लेता है, इसका सबसे प्रासंगिक उदाहरण दिल्ली एयरपोर्ट पर हुई भीड़-भाड़ को लेकर की गई इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टिंग है।

इंडियन एक्सप्रेस की कुंठा देखिए

हाल ही में दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 की तुलना एक बस स्टैंड से की गई क्योंकि वहां बिल्कुल बस स्टैंड की तरह ही भीड़-भाड हो गई। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद घटनास्थल का दौरा करने का फैसला किया, जिससे स्थिति को समझा जा सके। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्टर को इसमें भी जाति का एंगल मिल गया। लेखक याशी ने लिखा कि लोगों को गड़बड़ी की शिकायत करना बंद कर देना चाहिए। याशी ने गड़बड़ी को लेकर बताया कि दिल्ली एयरपोर्ट के T3 पर जातिगत विशेषाधिकार लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है।

संबंधितपोस्ट

अमेरिका ने भारत को बताया “मेजर डिफेंस पार्टनर”, जैवलिन मिसाइल समेत बड़े डिफेंस पैकेज को दी मंजूरी, पटरी पर लौट रहे हैं रिश्ते ?

कितना भरोसेमंद है BBC? नई दिल्ली से तेल अवीव और वॉशिंगटन तक क्यों गिरती जा रही है बीबीसी की साख और विश्वसनीयता ?tfi

दिल्ली धमाका: जम्मू कश्मीर में जमात ए इस्लामी से जुड़े 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी, वाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल से जुड़े हो सकते हैं तार

और लोड करें

इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार याशी का सुझाव है कि केवल सवर्ण श्रेणी के लोग ही इस समस्या का सामना कर रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि प्रमुख जातियों को हवाईअड्डों की हलचल से खुद को बचाने के लिए रिश्वत देने की आदत है। यह आधुनिक समय में उनके लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है और इसके लिए वे स्पष्ट रूप से चिढ़ महसूस करते हैं। याशी ने यह दिखाने की कोशिश की है कि सवर्णों की इस बात से परेशानी है कि दिल्ली एयरपोर्ट पर भीड़ है क्योंकि वे कभी उम्मीद ही नहीं करते थे कि अन्य जाति वर्ग भी हवाई यात्रा कर सकता है। बेहद अजीब बात यह है कि अपने लेख में लेखिका ने किसी प्रकार के कोई साक्ष्य दिए ही नहीं हैं। याशी ने तर्क के बजाए भावनाओं पर जोर दिया है। दुर्भाग्य से पिछली कुछ शताब्दियों में भारत में जातिवाद के इर्द-गिर्द इसी तरह की कई अवधारणाएं गढ़ी गई हैं।

और पढ़ें: “मुस्लिम तुम्हें कितना भी पीटें, तुम पलटवार मत करो” आइए, हिंदुत्व पर गांधी के ‘योगदान’ को समझें

पश्चिम की देन है यह व्यवस्था

एक जाति व्यवस्था के रूप में भारतीय वर्ण व्यवस्था के नामकरण का पता बाइबिल के एक प्रसिद्ध कथन में लगाया जा सकता है। जिसमें कहा गया, “जिसके पास संसाधन हैं, उसे और दिए जाएंगे और उसके पास बहुतायत चीजें होगी परन्तु जिसके पास नहीं है, उस से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके पास है।” इसमें एक असमान आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था की गंध है। हाल के दिनों में पश्चिम ने असमानता के बारे में चिल्लाना शुरू कर दिया है। कुछ दशक पहले जब उपभोक्तावाद पश्चिमी देशों की प्रमुख नीति नहीं बनी थी, तब पश्चिमी देश भी बाइबिल के इसी कथन को ही समाज में असमानता को व्यवस्थित करने वाला मानते थे और इसके अनुसार ही वे भी असमानता को विस्तार देते थे।

यहां तक ​​कि जब उन्होंने उपनिवेशीकरण के लिए अपनी यात्राएं शुरू की तो पश्चिमी समाज का अधिकांश हिस्सा उस नुस्खे पर ही आधारित था। एक तरह से यह भूगोल में दबदबे वाले समूह के लिए अच्छा था। नस्ल पर आधारित बातें कहकर पश्चिमी देशों ने लोगों को बांटना शुरू किया। सीधे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि वे ही जाति के आधार पर लोगों के बीच खटास लाने का कार्य करते रहे। यहां तक ​​कि ‘जाति’ भी एक स्पेनिश शब्द “कास्टा” की व्युत्पत्ति है।

जब यूरोपीय भारत में उतरे तो वे भूगोल के बारे में मंत्रमुग्ध और भ्रमित दोनों थे। अखंड भारत निश्चित रूप से सबसे बड़ा भौगोलिक ब्लॉक था, जिस पर वे कब्जा करना चाहते थे। भारत में छोटे और बड़े राज्यों की अत्यधिक विकासशीलता और विविधता के कारण सैन्य अधिग्रहण कभी भी एक विकल्प नहीं था। सौभाग्य से उनके लिए भारत में इस्लामिक जिन्न आकार ले चुका था। 1498 ई. से 1700 ई. के बीच उन्होंने भारत और इसकी विविधता को समझने की कोशिश की। इसके साथ समस्या यह थी कि उन्होंने अपना लेंस नहीं बदला क्योंकि वे भारतीयों को उनके अपने समाज की तर्ज पर वर्गीकृत करने का तरीका ढूंढ रहे थे।

अंग्रेजों ने ही की थी भारत को बांटने की प्लानिंग

1800 ई. के आसपास अंग्रेजी प्रशासन को भारत को तोड़ने का एक फॉर्मूला मिल गया। तब रॉयल स्टैटिस्टिकल सोसायटी ने सिफारिश की कि अंग्रेज, लोगों से उनके धार्मिक झुकाव के बारे में पूछें। ब्रिटिश अधिकारियों को लिखे पत्रों में से एक में इस सोसायटी ने लिखा कि हर राज्य के लिए अपने लोगों के धार्मिक विश्वासों का सटीक ज्ञान आवश्यक है। लेकिन इंग्लैंड को इन सबसे बाहर रखा जाएगा, यह उसका हिस्सा नहीं है।

लगभग उसी समय ब्रिटिश, सैन्य विजय और सहायक गठबंधनों के माध्यम से भारत पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे। इसके बाद उनका अगला कदम स्थानीय लोगों को अंग्रेजों के प्रति वफादार बनने के लिए राजी करना था। यह एक कठिन कार्य था क्योंकि उन्होंने अभी-अभी जजिया कर और इस्लामी दमन के अन्य रूपों से अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेना शुरू ही किया था। ऐसे समय में अंग्रेजों द्वारा लोगों के धार्मिक झुकाव के बारे में डेटा एकत्र करने की प्रक्रिया ने भारतीयों को भ्रमित किया और अंग्रेजी हुकूमत ने जानबूझकर ऐसा किया था।

अपनी पुस्तक “ब्रेकिंग इंडिया” में डॉ. राजीव मल्होत्रा ​​ने खुलासा किया है कि भारतीय समाज को विभाजित करने के लिए “आर्यन बनाम गैर-आर्यन” कथा दी गई थी। भारतीय समाज के शिक्षित और योद्धा वर्णों को आर्य आक्रमणकारियों के रूप में दिखाया गया, जो भारत आए और गैर-आर्यों के हितों और जीवन शैली को अपने अधीन कर लिया। गैर आर्य श्रेणी उपरोक्त श्रेणियों से संबंधित लोगों के अलावा अन्य लोगों के लिए आरक्षित थी। इनमें अन्य लोगों के अलावा 100 जाति और आदिवासी शामिल हैं।

भारतीय ग्रंथों को बदनाम किया गया

यह पूरा खेल अंग्रजों के लिए सहज था। भारतीय समाज में उनका विभाजन डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत के अनुरूप था। वे एक समूह को कम विकसित जबकि दूसरे को अधिक के रूप में चित्रित करते थे। नतीजतन अंग्रेजों के दावे के खोखलेपन को उजागर करने वाले भारतीय ग्रंथों को बदनाम किया गया। रामायण, महाभारत, वेद, पुराण, उपनिषद और समृद्ध भारतीय साहित्य के ढेरों को पुरातन, गैर-वैज्ञानिक और पौराणिक कहानियों की संज्ञा दी गई।

30 वर्षों की अवधि के भीतर लॉर्ड मैकाले ने प्रभावी ढंग से भारत में गुरुकुल परंपरा की स्मृति को नष्ट कर दिया और शिक्षा प्रणाली का अंग्रेजीकरण करके इसे बदल दिया। मैकाले की विरासत को हर्बर्ट होप रिस्ले ने तेजी से आगे बढ़ाया। उन्होंने लोगों को अलग-अलग जातियों में वर्गीकृत करने के लिए एक नेजल इंडेक्स विकसित किया था। यह शब्द ‘जाति’ के ढांचे के भीतर रूपांतरित हुआ और अंततः इसे अपना भी लिया गया।

और पढ़ें: पोन्नियिन सेल्वन-1 की वो कहानी, जो मणिरत्नम ने अपनी फिल्म में आपको दिखाई ही नहीं

रिस्ले का एथनोग्राफी डेटा

ज्ञात हो कि भारत में वर्ण और जाति दो समान अवधारणाएं हैं। शब्द “वर्ण” लोगों को उनके व्यवसाय के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए एक सार्वभौमिक अवधारणा है। दूसरी ओर, “जाति” शब्द मुख्य रूप से समुदायों को संदर्भित करता है। यह सामाजिक पहचान सुनिश्चित करने का एक स्थानीय तरीका है, जबकि वर्ण एक सार्वभौमिक अवधारणा है। इन दोनों अवधारणाओं का नस्ल, जातीयता या जीन से कोई संबंध नहीं था।

हालांकि, रिस्ले के लिए ऐसा कुछ भी नहीं  था। उन्हें 1872 ई. के बाद से अंग्रेजों द्वारा एकत्र किए गए जनगणना के आंकड़ों को नस्लीय रूप से विभाजनकारी एंगल देने का कार्य सौंपा गया था। 1873 और 1901 के बीच, रिस्ले ने भारतीय समाज का गहन एथनोग्राफी अध्ययन किया था। 1891 में उन्होंने द स्टडी ऑफ एथनोलॉजी इन इंडिया नामक एक पेपर और द ट्राइब्स एंड कास्ट्स ऑफ बंगाल नामक एक पुस्तक प्रकाशित की। यह पुस्तक 1885 और 1891 के बीच बंगाल के उनके 6 वर्ष के एथनोग्राफी सर्वेक्षण पर आधारित थी।

1899 में उन्हें भारत के जनगणना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था। रिस्ले ने मौजूदा भारतीय सामाजिक व्यवस्थाओं का एक खराब मैशअप बनाया और उन्हें यूरोपीय लोगों की अपनी श्रेणी या यूं कहें कि जाति व्यवस्था में डाल दिया। तथ्य यह है कि जब वो एथनोग्राफी डेटा एकत्र कर रहा था तो लोग उसके वर्गीकरण को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। रिस्ले ने स्वयं 1901 की जनगणना रिपोर्ट के बारे में अपनी टिप्पणी में इस तथ्य को नोट किया है। रिस्ले ने ही उनकी जाति को स्वयं का आविष्कार बताया और उन्हें जनगणना में दर्ज कराया। असंतुष्ट जातियों और वर्णों को क्रमिक जनगणनाओं में सूत्रीकरण को स्वीकार करना पड़ा क्योंकि उन्हें जो भी लाभ मिलेगा वह उसी वर्गीकरण पर आधारित था।

‘उत्पीड़ित बनाम दमनकारी की अवधारणा अनिवार्य बन गई’

ऐसे में जाति ब्रिटिश भारत में प्रत्येक नीति दस्तावेज की एक अप्रभेद्य विशेषता बन गई। अंग्रेजों से राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भी दुर्भाग्य से यह नहीं बदला। संविधान सभा ने इस शब्द और इसके नकारात्मक अर्थ को सार्वजनिक स्मृति से हटाने के लिए बहुत कम प्रयास किया। हमारी राजनीति के संस्थापकों ने “जाति” के बजाय लोगों के “वर्ग” शब्द पर जोर देने की कोशिश की। हालांकि, आरक्षण प्रावधान ने जाति को विस्तार ही दिया लेकिन यह अप्रत्यक्ष तौर पर रखा गया था।

वहीं “वर्ग” जल्दी से “जाति” में परिवर्तित हो गया और जल्द ही इसने राजनीति पर कब्जा कर लिया। राजनीति से, इसने शिक्षा जगत पर अधिकार कर लिया और शिक्षा क्षेत्र से यह जनता के लिए वैध अधिकार के साथ वापस आ गया। समय के साथ “जाति” शब्द के चारों ओर एक राजनीतिक अर्थव्यवस्था का निर्माण हुआ है। 1950 के दशक के दौरान छुआछूत को हटाने और अन्य प्रकार के भेदभाव के बारे में बात करना नीति-निर्माण की बात करने वालों के लिए एक अपरिहार्य लक्ष्य बन गया। यहीं पर मार्क्सवाद का प्रवेश हुआ। पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू राजनीति चलाने की सोवियत प्रणाली के उत्साही प्रशंसक थे, इसलिए उत्पीड़ित बनाम दमनकारी की अवधारणा एक अनिवार्य विषय बन गई।

भारत में यह कथा आर्थिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं थी। इसने सामाजिक व्यवस्था में भी घुसपैठ की। जेएनयू और अन्य कला केन्द्रित विश्वविद्यालयों ने इसके बारे में बात करना लगभग अनिवार्य बना दिया। जितना अधिक कोई जाति के बारे में बात करेगा, शिक्षा के क्षेत्र में उसके सफल होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इस तरह भारतीय विश्वविद्यालयों के छात्रों को पूरी दुनिया में प्रमुखता मिलने लगी। उनकी स्पष्ट प्रतिभा और कड़ी मेहनत के अलावा देश की कमियों को लेकर होने वाले बहस में शामिल होने के खुलेपन ने IVY वर्ग को आकर्षित किया। ज्ञात हो कि आइवी लीग (IVY League) ने हमेशा मार्क्सवाद को आकर्षक पाया है, यहाँ तक कि मार्क्सवाद और लेनिनवाद को उजागर करने के लिए अलेक्जेंडर सोल्शेनीत्सिन को हार्वर्ड में अपमानित तक किया गया था।

मीडिया ने आग में घी डालने का काम किया

मार्क्सवाद के खोखलेपन के संपर्क में आने का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उस समय की सरकारें समाजवाद थोपती रहीं, जातिगत भेदभाव को खत्म करने के नाम पर शिक्षाविदों को अधिक विदेशी चंदा मिलता रहा और चांसलर, कॉलेज के प्रोफेसर, शीर्ष छात्र और नौकरशाह जातिगत भेदभाव के कारण होने वाली गरीबी उन्मूलन पर व्याख्यान देकर अमीर होते गए। मंडल आयोग की रिपोर्ट और 1991 के उदारीकरण ने समाज की जातिगत आग में घी डालने का काम किया।

LPG सुधारों ने भारत में संचालित करने के लिए उपग्रह और वाणिज्यिक टेलीविजन के लिए द्वार खोल दिए। एकमात्र समस्या लाभ की थी। लाभ के लिए, टेलीविज़न और समाचार पत्रों के प्रकाशनों तक में जातिगत उल्लेख किए जाने लगे। यह कहां जाने लगा कि राजनीति है और यदि राजनीति है तो समाज में विभाजन भी है। 90 के दशक का समाज उत्पीड़क-उत्पीड़ित रेखाओं के साथ अत्यधिक विभाजित था। इन मीडिया कंपनियों ने नकारात्मकता फैलाकर पैसा चूसना शुरू कर दिया। उन्होंने कथित रूप से “उत्पीड़ित” पक्ष के साथ होने का दिखावा किया क्योंकि वे राजनीतिक तौर पर सही दिखना चाहते थे। इसके पीछे कारण सरल था। उत्पीड़क कहे जाने वाले अल्पमत में थे, जबकि विरोधी दल बहुमत में था। खास बात यह है कि किसी भी सेंसरशिप की मांग के मामले में सरकार हमेशा लोकप्रिय बहुमत का पक्ष लेती है।

और पढ़ें: सिंधुदुर्ग किला: मराठा साम्राज्य का अभेद्य गढ़, जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता था

इस तरह स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दे बन गए। उदाहरण के लिए यदि एक व्यक्ति दूसरे की हत्या करता है तो समाचार पोर्टल उसकी व्यक्तिगत जाति पहचान को देखना शुरू कर देते हैं। यदि मारे गए व्यक्ति की पहचान उत्पीड़ित की है तो इसे उस पहचान समूह की आवाज का दमन कहा जाएगा। आज भी स्थिति लगभग वैसी ही है और आज भी इन मीडिया समूहों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ऐसी घटनाएं व्यक्तिगत कटुता के कारण भी हो सकती है। धीरे-धीरे लगातार यह चलन शुरू हुआ।

अखबारों के कॉलम से न्यूजरूम तक इसी पर चर्चा होने लगी। न्यूजरूम से ही यह टीवी धारावाहिकों और सिनेमाघरों में चला गया और अंततः सिनेमा रॉकस्टार जाति और भारतीयों की अन्य अपरिवर्तनीय विशेषताओं के विशेषज्ञ बन गए। आज हर छोटे से मुद्दे में जाति का एंगल ढूंढ़ने वाले समाचार लेखक पिछली पीढ़ियों द्वारा फैलाए गए प्रचार की सोच हैं। उन्होंने देखा है कि कैसे जाति के बारे में बात करने से उन्हें शक्ति मिलती है। उन्होंने यह भी देखा है कि कैसे उनके सीनियर्स को समाज पर इसके प्रभाव की कोई परवाह नहीं है। उन्हें सत्ता की इच्छा के अनुरूप चलने में कोई हिचक नहीं है, इसका नतीजा यह है कि वे आज भी देश को सामाजिक तौर पर तेजी से विभाजित करते ही जा रहे हैं।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: जाति व्यवस्थाब्रिटिशभारत
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

सार्वजनिक रेटिंग ने खोल दी BYJUs की पोल

अगली पोस्ट

1949: जब नेहरू ने सदैव के लिए भारत की सीमा सुरक्षा से समझौता कर लिया

संबंधित पोस्ट

ऑपरेशन सिंदूर 2:0
मत

दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

21 November 2025

पाकिस्तान एक आतंकी मुल्क है और इसमें शायद ही किसी को कोई संशय हो, ख़ुद पाकिस्तान के मित्र भी न सिर्फ इसे अच्छी तरह जानते...

शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं
चर्चित

कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

21 November 2025

कांग्रेस के नेता देश ही नहीं विदेशों में भी जाकर लोकतंत्र बचाने की दुहाई देते रहते हैं। लेकिन जब बारी आंतरिक लोकतंत्र की आती है...

आतंकवाद को भावुकता की आड़ में ढकने की कोशिश
चर्चित

दिल्ली धमाका: ‘वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ की बर्बरता को कैसे ‘ह्यूमनाइज़’ कर रहे हैं  The Wire जैसे मीडिया संस्थान ?

17 November 2025

NIA ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली में लाल किले के पास हुआ धमाका, सामान्य हमला नहीं बल्कि फिदायीन हमला था। यानी आई-20 कार...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45

Why Rahul Gandhi’s US Outreach Directs to a Web of Shadow Controversial Islamist Networks?

00:08:04
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited