“एक वार्निंग दे के छड़ देते….”
“इग्ज़ैम में चीटिंग नहीं कर रहा था, चिट्टा बेच रहा था तेरा प्रा!”
CAT REVIEW: इस संवाद के द्वारा ही पंजाब की वर्तमान सच्चाई से हमें अवगत करा दिया जाता है, जो आज पंजाब के साथ-साथ शनै-शनै पूरे देश को कच्चा चबाने पर तुली हुई है। नेटफ्लिक्स पर हाल ही में प्रदर्शित वेब सीरीज ‘CAT’ इस बात से हमें अवगत करा रही है कि कैसे ड्रग्स अब पंजाब के साथ देश के लिए एक नये असुर के रूप में उभर रहा है, जिसका विनाश नहीं किया गया तो वह हम सबका विनाश कर देगी।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे नेटफ्लिक्स इंडिया पर प्रदर्शित वेब सीरीज CAT ने पंजाब की सम्पूर्ण वास्तविकता को हम सबके समक्ष प्रस्तुत किया है और कैसे यह पंजाब के सबसे सटीक चित्रणों में से एक माना जा सकता है।
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CAT REVIEW: गुरनाम सिंह अथवा गैरी की कहानी
यह वेब सीरीज़ है गुरनाम सिंह अथवा गैरी के बारे में, जिसने कभी खालिस्तानी नेटवर्क की कमर तोड़ दी थी, पर उसके पीछे इसके कारण क्या थे ये जानकर आप सिहर उठेंगे। परंतु गुरनाम के शांत जीवन में पुनः भूचाल आ जाता है, जब उसका भाई एक नये भंवरजाल में फंस जाता है और उसे पुनः वही मार्ग अपनाना पड़ता है जिसे वह वर्षों पूर्व छोड़ चुका था। क्या था वो मार्ग और क्या इस मार्ग से वह अपने परिवार को इस दलदल से निकाल पाएगा, ये जानने के लिए आपको CAT वेब सीरीज पूरा देखना पड़ेगा।
इस वेब सीरीज़ को देखने के पश्चात मेरे मन में नेटफ्लिक्स के लिए सर्वप्रथम प्रश्न यही है– भाईसाब यह किस लाइन में आ गए हैं आप? कहाँ आप एकदम गोबर वेब सीरीज़ और OTT फिल्में निरंतर देकर हमारे पेशन्स की परीक्षा लेते रहते थे और कहां तो आप पहले नीरज पांडे की खाकी और अब ये? इस वेब सीरीज़ में जिस प्रकार से उग्रवाद, हिंदुओं के लिए घृणा, नशे के प्रति आसक्ति, राजनीतिक हस्तक्षेप इत्यादि चित्रित किया गया है, उसका आधा भी 2016 में आई ‘उड़ता पंजाब’ में चित्रित नहीं किया गया था, वहीं इन सबसे दस कदम आगे बढ़ते हुए धर्मांतरण के विषय पर भी इसमें चर्चा हुई है, जिसे एएसआई बबीता के चरित्र के माध्यम से बखूबी उठाया गया है, जिसका किरदार हसलीन कौर ने बहुत अच्छे से निभाया है।
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सीरीज की यूएसपी
परंतु केवल यही इस सीरीज की यूएसपी नहीं है। इस वेब सीरीज़ की यूएसपी है इसका हर एक किरदार। यहां कोई मीम वर्दी मोमेंट नहीं है साथ ही इसकी पंजाबी सरल और स्पष्ट है। वैसे यह हिन्दी में भी डब है और अंग्रेजी में भी, परंतु इसकी विशुद्ध पंजाबी ऐसी है कि आप अगर उसी में देखें तो आप बड़े आराम से समझ लें, और ऐसा होना ‘लाल सिंह चड्ढा’, विशेषकर बॉलीवुड के लिए एक झन्नाटेदार तमाचा समान है। सीखने वाली बात यह है कि पटकथा ऐसे भी लिखी जाती है जो सबको समझ में आए, अंत तक बांधे रखे। समझना होगा कि ‘कैंडी’ ‘हुंडी’ मीम्स में भी अच्छे नहीं लगदे।
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रणदीप हुड्डा का अभिनय
CAT सीरीज के REVIEW में अब आते हैं रणदीप हुड्डा पर, तो इस व्यक्ति के लिए जितने शब्द बोलो उतने कम पड़ेंगे। अगर करण जौहर ने ‘केसरी’ नामक प्रोजेक्ट के साथ टांग न अड़ाई होती तो ये वो व्यक्ति हैं जो हवलदार इशर सिंह के रूप में सारागढ़ी के युद्ध को सिल्वर स्क्रीन पर जीवंत करने के लिए जी जान लगा देते। ये हर रोल के लिए अपना शत प्रतिशत देते हैं, और ‘CAT’ से यह स्पष्ट दिखता है। अब स्वयं कल्पना कीजिए कि रणदीप हुड्डा स्वातंत्र्यवीर सावरकर को सिल्वर स्क्रीन पर किस प्रकार से जीवंत कर सकते हैं।
https://www.youtube.com/watch?v=q5srXHv4tBQ
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