न तो स्वयं जनता को कोई लाभ पहुंचाएंगें और यदि कोई ऐसा करने का प्रयास भी करें तो उसमें हम बाधा उत्पन्न करेंगे और फिर भेदभाव का राग अलापेंगे.. बस यही प्रवृत्ति है तमाम गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों की। ताजा मामला कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान से जुड़ा हुआ है। राजस्थान के आज भी ढाई लाख घरों में आज भी अंधेरा छाया हुआ है। यह सभी लोग लाभ से वंचित रह गए हैं और इसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस की गहलोत सरकार है।
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे राजस्थान की गहलोत सरकार के कारनामों के कारण लाखों घर अंधेरे में डूबे हुए हैं और साथ ही यह बताएंगे कि कैसे गहलोत सरकार के केंद्र पर फंड न दिए जाने के आरोप बिल्कुल झूठे हैं?
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केंद्र से मिला बजट लैप्स
वैसे तो गहलोत सरकार इस बात का प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ती कि केंद्र सरकार उन्हें बजट नहीं देती, केंद्र सरकार उनके कामों को लटकाए रखती है, भई केंद्र सरकार हमारे साथ भेदभाव करती है और यदि राज्य का विकास नहीं हो रहा तो उसके लिए भी केंद्र सरकार ही जिम्मेदार है। अशोक गहलोत तो जैसे केवल सत्ता की मलाई खाने के लिए ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं। बेशक गहलोत इस तरह के तमाम आरोप केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगाते हों परंतु उनके इन आरोपों में जरा भी सच्चाई नजर नहीं आती है। हकीकत तो यह है कि मोदी सरकार बिना किसी भेदभाव के सभी राज्यों को समान रूप से फंड देती आयी हैं। और जब उन्हें फंड भी मिलता है, तो वो लापरवाही बरतते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि जनता लाभ से वंचित रह जाती है।
राजस्थान की गहलोत सरकार की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां प्रदेश के 2.5 लाख से ज्यादा घरों में बिजली कनेक्शन के लिए केंद्र सरकार से मिला 1,022 करोड़ रुपये का बजट बिना उपयोग में लाए ही समाप्त हो चुका है। ये खुलासा केंद्र सरकार की एक जांच में हुआ है। अब ऐसे में अब प्रश्न ये उठता है कि राज्य सरकार को मिला ये बजट बिना उपयोग में लाए समाप्त हुआ कैसे? चलिए आपको समझाते हैं।
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने राजस्थान की गहलोत सरकार को प्रदेश की ढाणियों के ढाई लाख घरों को बिजली कनेक्शन से जोड़ने के लिए पंडित दीनयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत जुलाई 2021 में 1,022 करोड़ रुपये का बजट दिया था। जहां उस दौरान केंद्र सरकार की ओर दिसंबर 2021 तक काम पूरा करने की शर्त रखी गई थी। परंतु राजस्थान की गहलोत सरकार के कारनामें तो देखिए कि राजस्थान का बिजली विभाग तय समय सीमा में इस बजट का न तो उपयोग कर पाया और न ही गांव-ढाणियों के घरों को बिजली कनेक्शन से जोड़ पाया। ये खुलासा बीकानेर के नोखा से भाजपा विधायक बिहारीलाल विश्नोई की शिकायत के बाद की गई केंद्र सरकार की जांच में हुआ है।
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बार-बार बढ़ाई गई समय सीमा
दरअसल, राजस्थान में पंडित दीनयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत वर्ष 2018 तक ही घरेलू कनेक्शन जारी किए गए थे परंतु इस दौरान प्रदेश के करीब 2.50 लाख घर बिजली कनेक्शन से वंचित रह गए थे। बीकानेर के नोखा से भाजपा विधायक बिहारीलाल विश्नोई ने इस मामले को राजस्थान विधानसभा में उठाया था। उनकी शिकायत पर केंद्र सरकार ने जांच की और इसे सही भी पाया। 26 जुलाई 2021 को केंद्र सरकार ने योजना के तहत राजस्थान सरकार को 1,022 करोड़ का बजट दिया और कहा था कि वो इन पैसों का उपयोग बिजली कनेक्शन से बाकी रहीं ढाणियों के वंचित घरों को कनेक्शन देने के लिए करें। परंतु इन सबके बाद भी गहलोत सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और कुछ भी नहीं किया।
वहीं अब कांग्रेस इस बजट की समाप्ति पर बचने कोशिश कर रही है और सफाईयां पेश कर रही हैं। राजस्थान सरकार में बिजली मंत्री भंवर सिंह भाटी का कहना है कि इतने कम वक्त में इतना बड़ा काम नहीं हो सकता था, हमने केंद्र सरकार से कम से कम एक साल का समय और मांगा था। लेकिन सच तो ये है कि राजस्थान सरकार बार-बार केवल समय ही मांगती रहती है और करा कुछ भी नहीं है। इससे पहले गहलोत सरकार की मांग पर ही इस काम को करने की समय सीमा को दो बार बढ़ाया गया था और आखिरी बार मार्च महीने तक पूरा करने को कहा गया था। परंतु अब तक गहलोत सरकार इसे शुरू भी नहीं करवा पाई और राजस्थान के लोगों के साथ धोखा ही करती रही।
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लाखों घरों में छाया है अंधेरा
आपको बता दें कि योजना के अंतर्गत राजस्थान के गांव-ढाणी में किसानों को फ्री बिजली कनेक्शन मिलने थे, जिसमें 60 प्रतिशत पैसा केंद्र की भाजपा सरकार का और 40 प्रतिशत राज्य सरकार को लगाना था। परंतु गहलोत सरकार के कृत्यों ने राजस्थान की चौखट तक पहुंचे केंद्र सरकार के बजट का उपयोग ही नहीं किया गया और यह लैप्स हो गया। राजस्थान की कांग्रेस सरकार की लापरवाही का अंजाम वहां की जनता को भुगतना पड़ गया। राजस्थान में आज भी लाखों घरों में अंधेरा छाया हुआ है। गहलोत सरकार की ये लापरवाही उनके उन दावों को खोखला साबित करता है जिसमें सीएम गहलोत और कांग्रेस ये आरोप लगाती है कि केंद्र सरकार उनके साथ भेदभाव करती है।
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