टीपू सुल्तान को एक अत्यंत क्रूर शासक माना जाता है, उस पर हजारों हिंदुओं के नरसंहार करने जैसे आरोप हैं, यहां तक कि टीपू सुल्तान को दक्षिण का औरंगजेब कहा जाता है। इन सब के बाद भी हमारे देश का एक तबका टीपू सुल्तान को हीरो की तरह पेश करता रहा है। टीपू सुल्तान पर हिंदूओं के मंदिर तोड़ने के आरोप लगते हैं, उस पर लाखों लोगों का धर्मांतरण कराने जैसे आरोप भी हैं। कहा जाता है कि टीपू सुल्तान ने हिंदू तीर्थ स्थलों समेत हिंदूओं के रीति रिवाजों का भी इस्लामीकरण कर दिया था। आज के समय में उसके ऐसे ही कृत्यों पर चोट करते हुए बीजेपी ने एक बहुप्रतीक्षित कदम उठाया है।
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सलाम आरती का नाम बदला
दरअसल, बीजेपी ने टीपू सुल्तान के द्वारा 18वीं शताब्दी में अपने शासन काल के दौरान शुरू की गई सलाम आरती का नाम बदल दिया है जिसे अब सलाम आरती नहीं बल्कि संध्या आरती के नाम से जाना जाएगा।
दरअसल, पिछले कुछ समय से सलाम आरती का नाम बदलने की मांग जोरों शोरों से की जा रही थी। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी की ओर से यह फैसला लिया गया है। बता दें कि हिंदू मंदिरों की देखरेख करने वाले मुजरई विभाग ने एक प्रस्ताव दिया था, जिसमें सलाम आरती का नाम बदलकर संध्या आरती करने की बात रखी गई थी। जिसके बाद अब मुजराई विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। जहां मुजरई विभाग के मंत्री शशिकला जोले ने कहा कि राज्य सरकार ने 18वीं शताब्दी के शासक टीपू सुल्तान के समय के मंदिरों में जारी ‘सलाम आरती’, ‘सलाम मंगल आरती’और ‘दीवतिगे सलाम’ जैसे रीति-रिवाजों का नाम बदलकर इन्हें स्थानीय नाम देने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि मेलकोट में ऐतिहासिक चालुवनारायण स्वामी मंदिर है। जहां हैदर अली और उसके बेटे टीपू सुल्तान के शासनकाल से हर दिन शाम 7 बजे सलाम आरती होती आ रही है। जिसका हिंदू संगठन विरोध कर रहे थे और इसका नाम बदलने की मांग कर रहे थे, उनका कहना था कि सलाम शब्द हमारा नहीं बल्कि क्रूर शासक टीपू सुल्तान का दिया हुआ है।
जल्दी ही आएगा आधिकारिक आदेश
बताया जा रहा है कि जल्द ही सरकार के इस फैसले को लेकर आधिकारिक आदेश जारी कर दिया जाएगा। जिसके बाद कर्नाटक के सभी मंदिरों में आरती सेवाओं का नाम बदल दिया जाएगा। इस पर मुजरई मंत्री शशिकला जोले का कहना है कि इतिहास को देखें तो हम वहीं वापस लाए हैं जो पहले चलन में था।
बताया जाता है कि 18वीं शताब्दी में मैसूर शासक टीपू सुल्तान ने अपनी यात्रा के दौरान कर्नाटक के कुछ मंदिरों में होने वाली आरती का नामकरण कर दिया था। तब से ही इन मंदिरों में होने वाली आरतियों को सलाम आरती के नाम से जाना जाता है। जिसके बाद अब भाजपा टीपू सुल्तान के द्वारा बदले गए रिवाजों को बदलने की दिशा में काम कर रही है।
बता दें कि टीपू सुल्तान के नाम को लेकर कर्नाटक में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कांग्रेस के द्वारा टीपू सुल्तान की मूर्ति लगाने की बातें की जा रही हैं जिसके पीछे कांग्रेस की मंशा मुस्लिम वोटर्स का तुष्टीकरण है। मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने के लिए कांग्रेस टीपू सुल्तान की मूर्ति लगाने की बातें कर रही है। ऐसे में भाजपा ने मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है। इस तरह भाजपा का ये कदम बेहम अहम माना जा रहा है
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विधानसभा चुनाव में होगा लाभ
कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी वोटर्स को अपने पाले में लाने की कोशिशों में लगी हुई है। इसी दिशा में ठोस कदम उठाते हुए हाल ही में बेंगलुरु में पीएम मोदी ने केंपेगौड़ा की 108 फीट की कांस्य की प्रतिमा का अनावरण किया। ऐसे में टीपू सुल्तान बनाम केंपेगौड़ा लड़ाई में बीजेपी आगे बढ़ती दिखाई पड़ रही है।
पहले केंपेगौड़ा की प्रतिमा का अनावरण और अब टीपू सुल्तान द्वारा बदले गए रिवाजों में सुधार, ये कदम बीजेपी के लिए आगमी विधानसभा चुनाव में लाभकारी साबित होगें। क्योंकि बीजेपी के इन ठोस कदमों के चलते राज्य के बहुसंख्यक समुदाय के लोग बीजेपी के साथ जाते दिखाई दे रहे हैं।
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