नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत वैश्विक पटल पर अमिट छाप छोड़ रहा है जिससे लगातार भारत का कद बढ़ रहा है। भारत सरकार हर स्तर पर देशहित में फैसले ले रही है जिसके कारण देश की विदेश नीति की हर ओर प्रशंसा हो रही हैं। वैश्विक मंचों पर भारत के मत को बड़ी ही बेबाकी और मजबूती के साथ रखने के साहस को सराहा जा रहा है। सराहा भी क्यों न जाए, जिस रूस से हम बड़ी मात्रा में आयात करते आ रहे थे आज वही रूस भारत से निर्यात की बात कर रहा है। ये सब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीति और भारत और रूस के बीच के गहरे रिश्ते के कारण ही संभव हो पा रहा है।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीति और विदेश नीति ने भारत का पक्ष इतना मजबूत कर दिया है कि आज रूस भारतीय रक्षा उपकरणों के साथ ही अन्य उत्पादों की मांग कर रहा है।
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दबाव के बाद भी व्यापार चलता रहा
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के द्वारा खूब दबाव बनाए जाने के बाद भी भारत ने अपना रुख स्पष्ट रखा। भारत ने वही किया जो उसके हित में था। भारत और रूस के संबंध अच्छे हैं ऐसे में कई मामलों में भारत ने रूस का साथ भी दिया तो वहीं रूस भी कई बार भारत के साथ खड़ा रहा। ध्यान देना होगा कि पश्चिमी देशों के दबावओं के बाद भी भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया, जिससे पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के प्रभाव का नाम मात्र भी उस पर प्रभाव नहीं दिखा। वहीं भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद जारी रखने से पश्चिमी देश की तिलमिाल बढ़ी सो अलग।
ये तो हुई भारत में रूस के तेल के आयात की बात लेकिन मित्रता केवल आयात से नहीं बल्कि निर्यात से संतुलित हो पाएगी और इसी ओर रूस की तरफ से कदम उठाया गया। ये भी कह सकते हैं कि एस जयशंकर की नीतियों और प्रयासों का प्रभाव दिख रहा है।
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500 से भी अधिक उत्पादों की सूची
दरअसल, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रूस ने कार, एयरक्राफ्ट और ट्रेन के पार्ट्स की डिलीवरी की एक लिस्ट भारत को भेजी है। रिपोर्ट के अनुसार रूस ने भारत को 500 से भी अधिक उत्पादों को रूस में निर्यात करने के लिए कहा है। बता दें कि भारत और रूस के बीच व्यापार में भारत को घाटा हो रहा है। भारत की तरफ से रूस से आयात बड़ी मात्रा में किया जा रहा है जबकि भारत रूस को निर्यात अधिक नहीं कर पा रहा है ऐसे में भारत से रूस को हो रहे निर्यात में कमी आ रही है। लेकिन अब रूस के इस फैसले से माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भारत की तरफ से रूस को किए जाने वाले निर्यात में जबरदस्त उछाल आ सकती है। वहीं माना ये भी जा रहा है कि इस तरह दोनों देशों के बीच व्यापार में संतुलन भी आएगा।
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एस जयशंकर का स्पष्ट संवाद
ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले महीने ही एस जयशंकर अपने दो दिवसीय दौरे पर रूस गए थे। जहां उस दौरान विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अब आर्थिक सहयोग बढ़ाने में दोनों देशों को एक संतुलित, परस्पर लाभकारी और लॉन्ग टर्म पार्टनरशिप बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उस समय विदेश मंत्री ने यह भी साफ कर दिया था कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ना अच्छी बात है लेकिन इससे दोनों को लाभ होना भी उतना ही जरूरी है।
आज एस जयशंकर के स्पष्ट संवाद और नीतियों का परिणाम है कि भारत से रूस अपने यहां वस्तुओं के निर्यात की बात कर रहा है। भारत रूस से बहुत अधिक मात्रा में आयात करता है जिसमें कच्चा तेल और फर्टिलाइजर का आयात सबसे अधिक हो रहा है लेकिन निर्यात के मामले में बात संतोषजनक नहीं हैं। लेकिन अब बदलाव दिख रहा है और भारत अब तेजी से आयतक से बड़ा निर्यातक बनने की ओर अग्रसर है, क्योंकि रूस की ओर से व्यापार में परस्पर साझेदारी के संकेत मिल रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूती मिलेगी जिससे लाभ ही लाभ के रास्ते खुलेंगे।
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