संयुक्त राष्ट्र में एस जयशंकर ने अपने ‘शब्दबाण’ से पाकिस्तान को छलनी छलनी कर दिया

पाकिस्तान को लग रहा था कि उसके ऊपर चीन और अमेरिका, दोनों का हाथ है और उसे कोई कुछ कर ही नहीं पाएगा. लेकिन भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के साथ-साथ उसके आकाओं को भी नथ दिया.

जयशंकर संयुक्त राष्ट्र

Source- TFI

‘What’s in a name? That which we call a rose by any other name would smell just as sweet.’ यानी नाम में क्या ही रखा है? हम गुलाब को किसी भी नाम से पुकारे, उसकी सुगंध जस की तस रहेगी. शेक्सपीयर ने अगर ये कोटेशन दी तो ये यूं ही नहीं थी. मजबूत लॉजिक था उनके पास. लेकिन हम जैसे ही पाकिस्तान का नाम लेते हैं, उनका लॉजिक दम तोड़ देता है और इसके भी एक नहीं अनंत कारण हैं, जिससे पूरा विश्व अवगत है. इसी बीच एक बार फिर पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर बयान दिया, जिस पर भारत ने कुछ ऐसा किया कि दुनिया देखती रह गई. इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे कुंठित पाकिस्तान को ‘मोदी के मिसाइल’ यानी हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में करारा तमाचा जड़ा है.

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कश्मीर को लेकर बकलोली कर रहा था पाक

दरअसल, भारत को UNSC का स्थाई सदस्य बनाने की मांग के बीच पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा था कि कश्मीर का मुद्दा अब भी सुलझा नहीं है. यदि आप (भारत) बहुपक्षवाद की सफलता देखना चाहते हैं तो कश्मीर के मुद्दे पर आप UNSC के प्रस्ताव को लागू करने की अनुमति दे सकते हैं. आप साबित कर सकते हैं कि बहुपक्षवाद सफल होगा. आप ये साबित करें कि आपकी (भारत) अध्यक्षता में UNSC हमारे क्षेत्र (कश्मीर) में शांति ला सकता है.

बस फिर क्या था? पाकिस्तानी विदेश मंत्री के इस बयान के बाद पूरी दुनिया ने जयशंकर का रौद्र रूप देखा. एस जयशंकर ने कहा कि जो देश ओसामा बिन लादेन की मेहमाननवाजी कर रहा था, जिसने अपने पड़ोसी की संसद पर हमला किया वो UN जैसे शक्तिशाली मंच पर उपदेश देने के काबिल नहीं है. साथ ही उन्होंने यूएन में वीटो लगाकर पाकिस्तान के आतंकियों को बचाने वाले चीन की भी जमकर क्लास लगाई.

उन्होंने कहा, “स्वाभाविक तौर पर हम आज मल्टीलेटरलिज्म में सुधारों पर फोकस कर रहे हैं. हमारा अपना-अपना नजरिया हो सकता है लेकिन एक आम राय बन रही है, कम से कम इसमें हमें ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए. दुनिया टेररिज्म के खिलाफ संघर्ष कर रही है और ऐसे दौर में कुछ लोग आतंकी हमलों को अंजाम देने वालों, साजिश रचने वालों को सही ठहरा रहे हैं. उन्हें बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.”

विदेश मंत्री ने कहा, “हम रास्तों की तलाश कर रहे हैं, तब हमें ऐसे खतरों को नॉर्मल करने की कोशिशों को स्वीकार नहीं करना चाहिए. अभी तक यह सवाल नहीं उठा है कि जिस चीज को पूरी दुनिया स्वीकार नहीं कर रही, उसे न्यायोचित बताने की कोशिश क्यों हो रही है. यह क्रॉसबॉर्डर टेररिज्म, आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों पर भी लागू होता है.”

पाकिस्तान के साथ-साथ ड्रैगन को भी नथ दिया

ज्ञात हो कि पाकिस्तान तो आतंक की फैक्ट्री है ही लेकिन चीन हमेशा से आतंकियों का समर्थन करते आया है, उन्हें संयुक्त राष्ट्र में अपने वीटो का इस्तेमाल कर बचाते आया है. जिसे लेकर भारत ने हमेशा ही विरोध जताया है. इसके अलावा पाकिस्तान अक्सर वैश्विक मंचों पर कश्मीर को लेकर बयानबाजी करता है और इस बार भी उसने वही किया. लेकिन जयशंकर ने इस बार पाकिस्तान के साथ-साथ उसके आका यानी चीन की भी बजाकर रख दी.

वैश्विक मंच पर बिलावल भुट्टो के आंखों के सामने जयशंकर अपनी बात रख रहे थे लेकिन उनके शब्दबाण भुट्टो के साथ-साथ पाकिस्तानी सरकार को भी छलनी कर रहे थे. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को मरहम लगाने वाले ड्रैगन को जयशंकर ने नथ दिया. साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि आतंकियों को पनाह देने वालों का नाम भले ही FATF की ग्रे लिस्ट से कैसे भी करके हट गया है लेकिन उनके मूल में क्या है या उनकी मंशा क्या है, उसे पूरी दुनिया काफी अच्छे से समझ रही है.

आपको बता दें कि इस दिसंबर के लास्ट में 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNCS) के निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत का दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने वाला है. इसके ठीक पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर आतंकवाद रोधी दो बैठकों की अध्यक्षता करने के लिए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र पहुंचे थे. भारत ने सुरक्षा परिषद की बारी-बारी से सौंपी जाने वाली मासिक अध्यक्षता एक दिसंबर को संभाली थी. अगस्त 2021 के बाद यह दूसरी बार है, जब भारत UNCS सदस्य के रूप में दो वर्ष के अपने कार्यकाल के दौरान परिषद की अध्यक्षता कर रहा है.

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