कांग्रेस राज में हुए भ्रष्टाचारों ने देश को आर्थिक तौर पर खोखला करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। दावे यह भी किए जाते हैं कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में करीब 20 लाख करोड़ रुपए के घोटाले किए थे। हालांकि, ये घोटाले अब सामने आ भी रहे हैं। कुछ ऐसा ही खेल ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर ने भी खेला, जिन्हें भ्रटाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। अब आप कहेंगे कि इस केस में कांग्रेस कहां से आई तो आपको बता दें कि जहां भ्रटाचार होगा, वहां कांग्रेस का नाम जरूर होगा! इसीलिए कहा जा रहा है कि चंदा कोचर के बाद अब उसके समर्थकों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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कुछ ऐसे हुई थी ‘स्वीट डील’
दरअसल, CBI ने 23 दिसंबर 2022 को ICICI Bank की पूर्व एमडी और सीईओ रही चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया। चंदा कोचर पर मार्च 2018 में अपने पति को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था। जानकारी के मुताबिक ICICI बैंक ने वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था और उस लोन के चक्कर में ही चंदा कोचर सलाखों के पीछे चली गईं हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार वीडियोकॉन ग्रुप ने लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए। 2017 में इस लोन को NPA (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) में डाल दिया गया। NPA में डालने में भी बड़ी बात यह है कि उस दौरान चंदा उस कमेटी का हिस्सा रहीं थीं, जिसने 26 अगस्त 2009 को बैंक द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी। कमेटी के इस फैसले ने बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया था।
ज्ञात हो कि यह पूरा मामला दिसंबर 2008 का है। वीडियोकॉन समूह के मालिक वेणुगोपाल धूत ने बैंक की सीईओ और एमडी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो संबंधियों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई थी, जिसमें दोनों के बीच 3,250 करोड़ की ‘स्वीट डील’ हुई थी। अब आरोप है कि 3,250 करोड़ का लोन दिलाने में चंदा कोचर ने मदद की लेकिन इस लोन का 86 प्रतिशत यानी लगभग 2,810 करोड़ रुपये 2017 में बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया।
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कांग्रेस से सांठ-गांठ
ध्यान देने योग्य है कि वर्ष 2012 में ही इसे लेकर सारे मामले सामने आने लगे थे लेकिन उस वक्त की यूपीए सरकार को भ्रष्टाचार का पुतला माना जाता था। जानकारी यह भी है कि वीडियोकॉन को लोन दिलवाने और उसे NPA घोषित करवाने का प्लान भी कांग्रेस का ही था। इसके कारण यूपीए सरकार के शासन काल में भी चंदा कोचर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उस दौरान वित्त मंत्रालय पी चिंदबरम संभाल रहे थे, जिन पर अभी के समय में भी भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे हैं। कुछ इसी तरह मोदी सरकार के शासन की शुरुआत में भी चंदा कोचर अपने पहुंच के कारण बची रहीं।
इन सबके बीच जैसे जैसे चंदा कोचर के भ्रष्टाचार के राज खुल रहे थे, वैसे-वैसे ही उन पर शिकंजा कसता जा रहा था। मोदी सरकार ने अब इस केस में कायदे से जांच कराई है और उसी का नतीजा है कि चंदा कोचर को जेल जाना पड़ रहा है। यूपीए सरकार में जो नहीं हुआ वो अब हो रहा है और अब सरकार का प्लान है कि जो कुछ नुकसान हुआ है, वह चंदा कोचर और सभी आरोपियों से वसूला जाए।
इसमें शामिल नेता भी बचेंगे नहीं
एक समय ऐसा था जब चंदा कोचर देश में एक बड़ा और जाना माना नाम था। भारत सरकार ने चंदा कोचर को अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से वर्ष 2011 में नवाजा था। उन्होंने 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी ICICI जॉइन किया था। उसके बाद जब 1994 में ICICI संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई तो चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया। उसके बाद चंदा कोचर लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं।
चंदा कोचर ICICI Bank में डिप्टी जनरल मैनेजर, जनरल मैनेजर के पद पर भी काम किया। वर्ष 2001 में बैंक ने उन्हें एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बना दिया था। उसके बाद उन्हें कॉरपोरेट बिज़नेस देखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। फिर वो चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर बनाई गईं। वर्ष 2009 में चंदा कोचर को सीईओ और एमडी बनाया गया। उसके बाद वो भारत की सबसे सफल 100 महिलाओं की सूची तक में आने लगी थीं। Forbes की लिस्ट भी उन्हें बड़ा और महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था।
वो महिला, जो एक समय Forbes की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल थी, आज उसी को CBI ने भ्रटाचार के मामले में जेल में भेज दिया है। चंदा कोचर ने भ्रष्टाचार किया, इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन जिन राजनेताओं ने अपने फायदों के लिए चंदा कोचर के पद का इस्तेमाल किया, उन पर भी कार्रवाई समय की मांग है। हालांकि, अब कोचर की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे फ्रॉड में शामिल नेता भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
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