फ्रेंच, जर्मन, इटालियन, स्पेनिश और यहां तक कि अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है

संवाद के लिए उस भाषा को सीखना होता है जो दुनिया में सबसे सशक्त और समृद्ध हो और अपने समय में वह सशक्त और समृद्ध भाषा कोई और नहीं संस्कृत ही थी।

संस्कृत भाषा

SOURCE TFI

मानव सभ्यता के विकास में विज्ञान का जितना महत्वपूर्ण योगदान है उससे कहीं अधिक भाषा का योगदान है। सोचिए अगर हमारे पूर्वजों ने भाषा को लिपिबद्धकर अक्षरों का निर्माण न किया होता तो क्या आज हम जिन पुस्तकों को पढ़कर नयी-नयी तकनीकों को विकसित कर रहे हैं वह कभी संभव हो पाता। इसका उत्तर है नहीं, बिल्कुल नहीं। जब किसी भाषा की लिपि ही नहीं होगी तो उसमें पुस्तकें कैसे लिखी जा सकती हैं। इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान का संचार करने के लिए लिपिबद्ध भाषा का होना बहुत महत्वपूर्ण है।

यहां और भी प्रश्न हैं– जैसे कि जब भी भाषा को लेकर बहस होती है तब यह प्रश्न अवश्य उठता है कि विश्व की सबसे समृद्ध और पुरानी भाषा कौन सी है और किस भाषा ने दुनियाभर की भाषाओं को प्रभावित किया है।

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि दुनिया की ऐसी कौनसी भाषा है जिसने दुनियाभर की लगभग सभी भाषाओं की जननी है।

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अधिकतर भाषाओं की जननी है संस्कृत

दरअसल, हम बात कर रहे हैं विश्व की अधिकतर भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा की। अंग्रेजी से लेकर फ्रेंच तक और जर्मन से लेकर स्पेनिश तक ऐसी कोई भी भाषा नहीं है जिसमें संस्कृत से लिए गए शब्द विद्यमान न हों। अंग्रेजी को ही देख लीजिए जो इस सूची में सबसे ऊपर है और जो आज दुनियाभर को जोड़ने वाली भाषा के रूप जानी जा रही है।

वैसे तो अंग्रेजी सीखने बोलने की भेड़चाल चली जा रही है लेकिन व्याकरण की कसौटी पर कसा जाए तो यह भाषा कमजोर प्रतीत होती है। अब देखते हैं कि अंग्रेजी में संस्कृत के कौन से शब्द हैं। संस्कृत शब्द मातृ जिसका अर्थ माँ है और इसी मातृ शब्द से अंग्रेजी का मदर शब्द आया है। अगला शब्द है नासिका जिससे अंग्रेजी में नोज शब्द आया और जिसका अर्थ है नाक। इसी तरह माध्यम शब्द जिससे अंग्रेजी का मीडियम शब्द आया। गौ से काऊ, अक्ष से एक्सिस, दंत से पहले डेंट बना और फिर डेंटल हो गया। इस तरह संस्कृत से कई शब्दों को अंग्रेजी में सीधे-सीधे उठा लिया गया।

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लैटिन भाषा में संस्कृत के शब्द

अंग्रेजी की तरह ही लैटिन भाषा में भी संस्कृत के शब्दों की भरमार है जैसे- दान शब्द लैटिन में जाकर डोनम हो जाता है, संस्कृत का पितृ पेटर हो जाता है और मातृ मेटर हो जाता है। संस्कृत का नासिका यहां पर भी नेसस के रूप में उपयोग में लाया जाता है। हालांकि अंग्रेजी लैटिन के बाद विकसित हुई है इसलिए कुछ शब्द अंग्रेजी में लैटिन के माध्यम से भी आए हैं और इस तरह दोनों भाषाओं के मूल में संस्कृत है।

फ्रेंच भाषा में संस्कृत के शब्द

फ्रेंच को अगर देखा जाए तो यह एक नई भाषा है और इसमें भी संस्कृत के शब्द खूब उपयोग किए जाते हैं। सबसे पहला शब्द है अनानास इसे फ्रेंच में इसी रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके बाद है तू जिसे इसी तरह फ्रेंच में उठा लिया गया, दंत को भी सीधे दंत के रूप में उठाया गया, सोई को संस्कृत के शब्द स्वयं से उठाया गया है।

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जर्मन भाषा में संस्कृत के प्रभाव

जर्मन भाषा का अध्ययन करें तो हम कुछ उदाहरण पाते हैं Bruder, Mutter, Vater, Nase ये शब्द क्रमशः संस्कृत के भ्राता, मातृ,पितृ और नासिका शब्द हैं। इन्हें जर्मन में थोड़े से बदलाव के साथ उपयोग खूब उपयोग में लाया जाता है। अंग्रजी, जर्मन, फ्रेंच और लैटिन ये तो मात्र उदाहरण हैं लेकिन यदि हम दुनिया की सभी भाषाओं के शब्दकोशों का निरीक्षण करें तो मूल में संस्कृत ही पाएंगे।

दुनियाभर की भाषाओं में कैसे पहुंचे संस्कृत के शब्द

संस्कृत दुनिया की लिपिबद्ध भाषाओं में से एक सबसे पुरानी भाषा है लेकिन दुनिया की सभी भाषाओं के शब्दकोशों में संस्कृत कैसे पहुंची, इस प्रश्न का उत्तर अलग-अलग भाषा विज्ञानियों ने अपने अनुसार दिया है। कुछ मानते हैं कि भारोपीय भाषा परिवार हुआ करता था जिनसे भारतीय और यूरोपीय भाषाएं निकली हैं। परन्तु इस बात की सत्यता पर भी मतभेद हैं क्योंकि जिस आर्य और अनार्य की थ्योरी से इसे जोड़ा जाता है वह तो सत्य नहीं है।

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ज्ञान और व्यापार बना माध्यम

ऐसे में प्रश्न फिर वही है कि संस्कृत कैसे दूसरे देशों में पहुंची तो इसका एक और उत्तर है कि हर एक समय में एक ऐसी भाषा विद्यमान होती है जो सशक्त होती है। संस्कृत भी अपने समय में दुनिया की सबसे सशक्त भाषा और भारत की संस्कृति सबसे समृद्ध संस्कृति थी। दुनिया के अधिकतर लोग भारत में ज्ञान प्राप्त करने आते थे, इस तरह संस्कृत धीरे-धीरे दुनियाभर में फैली और दूसरी भाषाओं के शब्दकोश में जा पहुंची।

इसके अलावा दुनिया में लोग आज से नहीं जब से मानव सभ्यता विकसित होना प्रारंभ हुई है तब से लोग आपस में व्यापार कर रहे हैं और जब लोग व्यापार करते हैं तो आपस में संवाद भी करते हैं। संवाद के लिए उस भाषा को सीखना होता है जो दुनिया में सबसे सशक्त और समृद्ध भाषा हो और अपने समय में वह सशक्त और समृद्ध भाषा कोई और नहीं संस्कृत ही थी।

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