राफेल-सुखोई की गर्जना ने चीन की नींदें उड़ाकर रख दी है

चीन से सटी सीमा पर भारत ने राफेल और सुखोई विमान की तैनाती की है, जिसकी गर्जना से ड्रैगन कांप उठा है और डरते हुए गीदड़भभकी देने लगा है।

राफेल सुखोई

Source- TFI

पाकिस्तान का सहयोग करते-करते चीन भी गीदड़भभकी देने में एक्सपर्ट होता चला जा रहा है। भारत के साथ टकराव को लेकर चीन आए दिन बेतुकी बात करता रहता है जिससे दोनों देशों के बीच दूरियां और बढ़ जाती हैं। हालांकि इसके जरिए उसकी निराशा और हताशा भी दिखती है। भारतीय सेना की सक्रियता और वायुसेना की ताकत ने चीन को अधिक डराकर दिया। इससे इस बात को स्पष्टता मिलती है कि सुखोई और राफेल जैसे विमानों ने चीन को इस तरह डरा दिया है कि वो धमकी देने पर उतर आया, परंतु ये धमकी कम और गीदड़भभकी अधिक नजर आती है। क्योंकि भारत से बार बार पिटने के बाद चीन यह अच्छी तरह से जान गया है कि उसकी यहां चलने एक नहीं वाली।

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चीनी सीमा पर सुखोई-राफेल की तैनाती

भारत अब पहले की तरह रिएक्टिव नीति पर नहीं बल्कि प्रोएक्टिव नीति पर चलता है जिसके चलते यह कहा जाने लगा है कि भारत से चीन का पंगा लेना चीनियों पर भारी पड़ेगा। पहले गलवान और फिर तवांग में टकराव ने भारतीय सेना के हाथों जबरदस्त कुटाई खाने के बाद चीन की हालत खराब हो चली है। गलवान में चीन के साथ विवाद के बाद जैसे सीमा पर भारी भारतीय सैनिकों की तैनाती की गई थी कुछ वैसा ही एक बार फिर हो रहा है। थल सेना के जवानों की ताकत में वृद्धि करने के साथ ही भारत अब वायुसेना के जरिए अपनी ताकत दिखा रही है।

अब जब तवांग में फिर चीन ने कुटिलता का सहारा लिया है तो भारत ने अपने हाशिमारा एयरबेस को मजबूत करते हुए सुखोई और राफेल जैसे खतरनाक लड़ाकू विमानों को तैनात कर दिया है। हाल ही में इन दोनों ने ही चीन सीमा पर इनकी गर्जना भी सुनाई दी गयी थीं, जिससे चीन का कांपना लाजमी भी है। अब जब कोई कांपता है तो उसकी जुबान लड़खड़ा जाती है और लड़खड़ाई जुबान के साथ वह कुछ भी बोल देता है और चीन के साथ भी कुछ वैसा ही हो रहा है।

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बौखला गया है चीन

दरअसल, एक अज्ञात चीनी चैनल से एक समाचार फीचर की क्लिप सामने आई है जिसके जरिए चीन द्वारा भारत को गीदड़भभकी देने का प्रयास किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने से पहले ही चीनी विमान भारतीय क्षेत्रों में बम बारूद की बारिश कर देंगे। बता दें कि भारत ने डोकलाम के पास अपने हाशिमारा एयरबेस को लड़ाकू विमानों से पैक कर दिया है। डोकलाम वही क्षेत्र है जहां भारत और चीन के बीच वर्ष 2017 में विवाद हुआ था और दो महीने के टकराव के बाद चीनी सेना को भारतीय सेना और कूटनीति के सामने घुटने टेकने पड़े थे‌।

सड़क और हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास और भारतीय मीडिया द्वारा पश्चिम बंगाल में लड़ाकू विमानों की अगवानी करने वाली रिपोर्टिंग को भारत की युद्ध की तैयारी के रूप में माना जाता है। चीनी चैनल के वीडियो में कमेंट्री में भारत को चीन के प्रति अपने हठधर्मिता पर लगाम लगाने की चेतावनी दी गई है, इसमें कहा गया है कि भारत यदि नहीं सुधरा तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा।

असल में चीन से भारत की जवाबी कार्रवाई पच नहीं रही है। भारत को लेकर चीन की सोच 1962 वाली है जबकि 2023 आने वाला है। ऐसे में चीन यह तो चाहता कि वह सीमा पर सात लाख से भी अधिक जवानों की तैनाती कर लें। वह चाहता है कि उसकी तरफ का बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत और शक्तिशाली हो किंतु जब भारत यही काम करता है तो उसे समस्याएं होती है।

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चीन ने अपने इलाके में सैन्य ताकत में बड़ा विस्तार करते हुए अपनी सैन्य तैनाती बढ़ाई है लेकिन चीन को यह नहीं पसंद आ रहा है कि भारत ऐसा कुछ करे, भारत ने जरा सा अपनी ताकत सुखोई ओर राफेल के जरिए दिखाई तो  चीन कांप गया और डरते हुए गीदड़भभकी देने लगा है।

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