स्वास्थ्य संबंधी हर रोग के समाधान के लिए लोग दवाओं का सेवन करते हैं इसलिए आए दिन दवाओं की आवश्यकता पड़ती रहती है। लेकिन जिन दवाओं का सेवन हम ठीक होने के लिए करते हैं वो ही हमारे स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकती हैं क्योंकि जिन दवाओं को आप मार्केट से खरीद कर ला रहे हैं वो नकली भी हो सकती हैं। लेकिन अब लोगों की जान के साथ खेलने वाले ऐसे दवा माफिया के विरुद्ध सरकार कड़ई बरत रही है और ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है।
और पढ़ें- अवैध दवा निर्यात और मुद्रा विनिमय के लिए IT विभाग ने चीनी कंपनी ZTE के कार्यालय पर मारा छापा
भारत की दवा कंपनियों की अच्छी छवि
दरअसल, भारत की दवा कंपनियों ने दुनियाभर में अपनी छाप छोड़ी है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने एक बयान में कहा था कि अफ्रीका में जेनरिक दवाओं की कुल मांग का 50 फीसदी भारत से जाता है। इतना ही नहीं अमेरिका की जरूरत की 40 फीसदी और यूके की 25 फीसदी जेनरिक दवाओं की आपूर्ति भारत करता है। भारत दुनिया की कुल वैक्सीन का 60 फीसदी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनिवार्य टीकाकरण अभियान में लगने वाली कुल वैक्सीन का 70 फीसदी उत्पादन करता है।
ऐसे में भारत की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वो देश के साथ-साथ दुनियाभर को उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध करवाए। इसी के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा उत्पादन, वितरण और बिक्री का निरीक्षण करने के लिए एक ‘व्यापक अभियान’ शुरू किया है। यह ट्रेडमार्क उल्लंघन, रसीद के बिना दवाओं की बिक्री, गुणवत्ता संबंधी चिंताओं और नकली दवाओं के उत्पादन से संबंधित किसी भी मुद्दे की पहचान करने और उसका समाधान करने के लिए चलाया जा रहा है। जहां भारत में चिह्नित दवा बनाने वाली कंपनियों में ऑडिट के लिए और छापा मारने के लिए राज्य दवा नियंत्रण प्रशासन के साथ-साथ छह टीमों का गठन किया गया है।
और पढ़ें- नकली दवाओं पर सरकार को और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है
भारत की दवा निर्माता कंपनियों पर आरोप
ध्यान देना होगा कि हाल ही में गांबिया में 66 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जिसके बाद आरोप लगाए गए थे कि भारत की दवा निर्माता कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित कफ सिरप के कारण बच्चों की मौत हुई है, हालांकि इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है कि भारतीय कफ सिरप के कारण ही बच्चों की मौत हुई थी। वहीं अब उज्बेकिस्तान से 18 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि इन बच्चों की मौत एक भारतीय दवा कंपनी द्वारा बनाई गई कफ सिरप को पीने से हुई है। जिसके बाद भारत सरकार ने उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत को भारत की दवा निर्माता कंपनी से जोड़ने पर जांच शुरू कर दी है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने बच्चों की मौत को लेकर रिपोर्ट भी मांगी है।
ऐसे में इस तरह के आरोप भारत में निर्मित दवाओं पर लगना और नकली और घटिया दवाओं की बिक्री जैसी अन्य रिपोर्टों का सामने आना एक गंभीर चिंता का विषय है। इसी चिंता के निदान के लिए भारत सरकार कार्रवाई कर रही है। हिमाचल प्रदेश में अब तक 12 से अधिक दवाई कंपनियों पर छापा मारा जा चुका है, जिनमें कई और निरीक्षण किए जाने बाकी हैं। साथ ही साथ उन कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जहां दवा निर्माण की प्रक्रिया का उल्लंघन किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में ही नहीं, बल्कि इस तरह के अभियाम पूरे देश में चलाए जा रहे हैं।
उठाए गए कदम बहुत सराहानीय हैं
भारत सरकार की ओर से दवा निर्माण के क्षेत्र में उठाए जा रहे ये कदम बहुत सराहानीय है। इन अभियानों से दवाओं की गुणवत्ता में सुधार तो होगा ही, दवा माफिया की कमर भी टूटेगी क्योंकि भारत के दवा निर्यात की निरंतर सफलता सुनिश्चित करने के लिए घटिया दवाओं के वितरण को रोकना आवश्यक है।
भारत ने दुनियाभर में दवा निर्माण के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए अपार परिश्रम और प्रयास किए हैं, ऐसे में यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए कि गांबिया और उज्बेकिस्तान जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के आरोप भारत की दवा निर्माण कंपनी पर न लगाए जाएं क्योंकि ये आरोप दुनियाभर में भारत की छवि को धूमिल करते हैं। भारत सरकार को सुनिश्चित करना ही होगा कि दवाइयों के क्षेत्र में भारत और आगे बढ़ें न की आरोपों में फंसकर रह जाएं।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।