Jwar Bhata Types and Interesting Facts
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Jwar Bhata के बारे में साथ ही इससे जुड़े प्रकार एवं रोचक तथ्य के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
ज्वार भाटा –
पृथ्वी सौरमंडल के सभी ग्रहों से भिन्न है इसका लगभग 70% हिस्सा जलमग्न है. ऐसे स्थानों पर जहाँ पर समुद्र भू तल से मिलता है, वहाँ पर नियमित रूप से समुद्र का पानी चढ़ता उतरता रहता है नियमित रूप से समुद्र जल के भूतल पर चढ़ने उतरने की क्रिया को ज्वार भाटा कहा जाता है. जल के ऊपर चढ़ने की प्रक्रिया को ज्वार और नीचे आने की प्रक्रिया को भाटा कहा जाता है
ज्वार भाटा से सम्बंधित रोचक तथ्य –
- चंद्रमा सूर्य से6 लाख गुना छोटा है लेकिन सूर्य की तुलना में 380 गुना पृथ्वी के अधिक समीप है. फलतः चंद्रमा की ज्वार उत्पादन की क्षमता सूर्य की तुलना में 2.17 गुना अधिक है.
- पृथ्वी का जो सतह है, surface है…वह अपने केंद्र की तुलना में चंद्रमा से लगभग 6400 km. निकट है. अतः पृथ्वी के उस भाग में जो चाँद के सामने होता है, आकर्षण अधिकतम होता है और ठीक उसके दूसरी ओर न्यूनतम.
- इस आकर्षण के प्रभाव के कारण चंद्रमा के सामने स्थित जलमंडल का जल ऊपर उठ जाता है, जिसके फलस्वरूप वहाँ ज्वार आता है.
- दो ज्वार वाले स्थानों के बीच का जल ज्वार की ओर खिंच जाने के कारण बीच में समुद्र का तल सामान्य से नीचे चले जाता है, जिससे वहाँ भाटा उत्पन्न होता है.
ज्वार-भाटा के प्रकार –
दीर्घ ज्वार –
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों में एक सीध में होते होते हैं. इन तिथियों में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के संयुक्त प्रभाव के कारण ज्वार की ऊँचाई सामान्य ज्वार से 20% अधिक होती है. इसे वृहद् ज्वार या उच्च ज्वार कहते हैं.
लघु ज्वार –
शुक्ल या कृष्ण पक्ष की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के केंद्र पर समकोण बनाते हैं. इस कारण सूर्य और चंद्रमा दोनों ही पृथ्वी के जल को भिन्न दिशाओं में आकर्षित करते हैं. फलतः इस समय उत्पन्न ज्वार औसत से 20% कम ऊँचे होते हैं. इसे लघु या निम्न ज्वार कहते हैं
दैनिक ज्वार –
स्थान पर दिन में केवल एक बार ज्वार-भाटा आता है, तो उसे दैनिक ज्वार-भाटा कहते हैं. दैनिक ज्वार 24 घंटे 52 मिनट के बाद आते हैं. मैक्सिको की खाड़ी और फिलीपाइन द्वीप समूह में दैनिक ज्वार आते हैं.
अर्द्ध-दैनिक ज्वार –
जब किसी स्थान पर दिन में दो बार (12 घंटे 26 मिनट में) ज्वार-भाटा आता है, तो इसे अर्द्ध-दैनिक ज्वार कहते हैं. ताहिती द्वीप और ब्रिटिश द्वीप समूह में अर्द्ध-दैनिक ज्वार आते हैं.
मिश्रित ज्वार –
जब समुद्र में दैनिक और अर्द्ध दैनिक दोनों प्रकार के ज्वार-भाटा का अनुभव लेता है, तो उसे मिश्रित ज्वार-भाटा कहते हैं.
ज्वार-भाटा का महत्त्व –
- यह नौसंचालकों तथा मछुआरों को उनके कार्य संबंधी योजनाओं में मदद करता है।
- ज्वार-भाटा के कारण नदियों के मुहाने, समुद्र तट व बंदरगाह स्वच्छ, गहरे व व्यापार योग्य बने रहते हैं।
- वर्तमान समय में तकनीकी विकास के साथ ज्वारीय लहरों से जल विद्युत उत्पादन किया जाने लगा है। कनाडा, फ्रांस, रूस तथा चीन इसमें अग्रणी देश हैं। भारत में 3 मेगावाट शक्ति का एक विद्युत संयंत्र प. बंगाल में सुंदरवन के दुर्गादुवानी क्षेत्र में स्थापित किया जा रहा है।
FAQ –
Ques- विश्व का सबसे ऊँचा ज्वार भाटा कहाँ आता है?
Ans – विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार फंडी की खाड़ी में आता है.
Ques- ज्वार भाटा कब आता है?
Ans – ये ज्वार पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन आते हैं
Ques- ज्वार भाटा से क्या लाभ है?
Ans – उच्च ज्वार नौसंचालन में सहायक होता है। ये जल-स्तर को तट की ऊँचाई तक पहुँचाते हैं। ये जहाज को बंदरगाह तक पहुँचाने में सहायक होते हैं। उच्च ज्वार मछली पकड़ने में भी मदद करते हैं।
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