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सीमाओं को सुरक्षित करने के दूसरे चरण में प्रवेश कर रही है मोदी सरकार

मोदी सरकार ने शुरू से ही सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अपना ध्यान केंद्रित किया और यहां सड़कों का निर्माण कराया। इसके बाद अब समझिए कैसे सरकार सीमा को सुरक्षित करने के लिए दूसरे चरण में प्रवेश कर रही है।

Vaishali Shukla द्वारा Vaishali Shukla
19 December 2022
in रक्षा
CDS अनिल चौहान बयान

source: TFIMEDIA

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अपने-अपने घरों में अगर हम बिना किसी भय के चैन से सो पाते हैं, तो इसका सारा श्रेय सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों को जाता हैं। हमारी देश की तीनों सेनाएं (जल, थल और वायु) हर हालात, हर मौसम में देश की रक्षा करने के लिए हमेशा ही तत्पर रहती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि  भारतीय सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक हैं। हालांकि इन सबसे इतर भारतीय सेना को कई तरह की चुनौतियों और कठिनाईयों का सामना करना पड़ता हैं। यही कारण है कि भारत सरकार सेना को मजबूती प्रदान करने की दिशा में लगातार कदम आगे बढ़ा रही हैं। सरकार कठिन इलाकों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास तो कर ही रही है। वहीं अब CDS अनिल चौहान और गृह मंत्री अमित शाह के बयान से ऐसा लगने लगा है कि सरकार सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा करने के लिए दूसरे चरण में आ गई हैं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत इस वक्त अपने पड़ोसी देशों से कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है। एक तरफ पाकिस्तान है, जो हमेशा से ही नए-नए तरीकों से भारत के लिए समस्याएं खड़ी करने की कोशिश करता रहता है। वहीं दूसरी तरफ चीनी सेना भी भारतीय सीमा में अवैध घुसपैठ के प्रयासों में लगी रहती है। इन सबके बीच देश की सीमाओं को मजबूत करना बेहद ही आवश्यक हो जाता है।

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CDS अनिल चौहान और अमित शाह का बयान

हाल ही में उत्तराखंड में सीमा से लगे गांवों में हो रहे पलायन पर CDS अनिल चौहान ने एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि प्रदेश के कई गांव वीरान हो गए हैं। हमें संभावना तलाशनी होगी कि क्या इन गांव को फिर से आबाद किया जा सकता हैं। सीमावर्ती गांवों का देश की सुरक्षा में भी अहम योगदान होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि यहां फिर से आबादी को बसाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने की भी पैरवी की थी।

CDS ने कहा कि हमें यह देखना चाहिए कि क्या हम वहां सीमा पर्यटन को लोकप्रिय बना सकते हैं। इसके लिए जरूर कदम उठाए जाने चाहिए। देखा जाए तो पलायन के चलते खाली हो रहे गांव चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि ये सभी खाली गांव आतंकवाद को बढ़ावा देने का आधार बन सकते हैं। इसके अलावा इन क्षेत्रों का उपयोग भारत में घुसपैठ के लिए भी किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंच सकता है।

इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने एक बयान में सीमा क्षेत्रों को मजबूत करने को लेकर एक बयान दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अभी हाल ही पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक की थी, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुटे हुए राज्य सरकारों से आह्वान किया कि वो सीमा सुरक्षा बलों यानी  BSF का पूर्ण रूप से सहयोग करें, जिससे वो अधिक सक्रिय होकर कार्य कर सके। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अपराधों की जांच के लिए BSF के साथ सीमा वाले राज्यों की भी ही जिम्मेदारी समान है। अमित शाह ने कहा कि सीमा को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी केवल सैनिकों की नहीं है बल्कि ये जिम्मेदारी राज्य सरकार की भी हैं।

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सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया

अगर देखा तो मोदी सरकार के द्वारा सेना को मजबूत करने का जो पहला चरण था उसमें उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रो में बुनियादी ढांचे  को मजबूत किया। सरकार का पूरा जोर इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहा है। सड़क से लेकर पुल तक सरकार द्वारा शुरू की गईं विभिन्न विकास परियोजनाओं ने चीन की भी नींदें उड़ाकर रख दी हैं। चीन का सामना करने के लिए सरकार लगातार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जुटी है। सीमा क्षेत्रों तक सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए सरकार ने बीआरओ के लिए निर्धारित राशि को पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी बढ़ाकर 2022-23 के आम बजट में 3500 करोड़ रुपये कर दिया। वहीं चीन से सटे इलाकों में सड़क संपर्क बढ़ाने की कोशिशों का परिणाम यह है कि पिछले साल बीआरओ उत्तर-पश्चिमी और पूर्वोत्तर के राज्यों में 102 सड़कें और पुल बनाए गए। इसके साथ ही सरकार लगातार सुरक्षाबलों को नई तकनीकों से लैस स्वदेशी हथियार और उपकरण उपलब्ध द्वारा लगातार करा ही रही हैं।

सीमावर्ती इलाकों को मजबूत करने का दूसरा चरण

यदि हम CDS और गृह मंत्री के बयानों की समीक्षा करेंगे तो ऐसा लगने लगा है कि मानों सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों को सुरक्षित करने के दूसरे चरण में प्रवेश कर रही है। अधिकतर सीमावर्ती इलाकों में ऐसा देखा गया है कि कम सुविधाओं और अन्य कारणों से वहां के लोग पलायन कर जाते हैं। ऐसे में अगर भारतीय सेना का विवाद होता है तो उसमें सेना को ठीक तरह से सहायता नहीं मिल पाती है।

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उदाहरण के लिए गलवान वाली घटना को ही देख लीजिए। गलवान के समय पर सरकार को आर्मी को उनका रसद, मेडिकल इत्यादि तमाम सुविधाएं पहुंचानी पड़ी थीं। अब यही अगर गलवान में गांव बसा होता, वहां लोग रह रहे होते ऐसी समस्याएं नहीं आती। उससे सरकार को काफी लाभ होता। सैनिकों को जब इस तरह की कोई मुसीबत आती हैं तो वहां के स्थानीय लोग काफी ज्यादा मददगार साबित होते हैं। यही कारण है कि सरकार सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के साथ ही वहां के आसपास के गांव को आबाद करने और सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं।  इसलिए CDS अनिल चौहान ने सीमावर्ती इलाकों को लेकर यह बात कही है।

इससे होगा ये कि किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में भारतीय सेना को काफी सहायता मिलेगी। हालांकि यह सबकुछ राज्य सरकार की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता। ऐसे मुद्दों पर केंद्र को राज्य सरकार का सहयोग चाहिए होता है। इसलिए गृह मंत्री अमित शाह ने सीमा सुरक्षा सीमा क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए तमाम राज्यों की सरकारों से सहयोग करने को कहा है।

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