पटना स्थित रिसर्च संस्थान ने किया अमेरिका के माइनॉरिटी प्रेम का पर्दाफाश

भारत में अल्पसंख्यकों के नाम पर एजेंडा चलाने वालों के धागे खुल गए हैं। बस एक रिपोर्ट सामने आयी और भारत को बदनाम करने वाले अमेरिका जैसे देशों के कुकर्मों की पोल खुल गयी।

Global minority index

SOURCE TFI

Global minority index: कई देश और संगठन आए दिन भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किए जाने की ढपली पीटते रहते हैं, दावा करते हैं कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन अब हाल ही में आई सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस की एक रिपोर्ट ने इन सभी दावों की पोल खोल कर रख दी है। इस रिपोर्ट के आने के बाद भारत में अल्पसंख्यकों के नाम पर एजेंडा चलाने वालों के धागे खुल गए हैं। बस एक रिपोर्ट सामने आयी नहीं कि भारत को बदनाम करने वालों की पोल ही खुल गयी।

Global minority index रिपोर्ट जो सबकी पोल खोल रही है

दरअसल, पटना स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस शोध संस्थान की एक रिपोर्ट Global minority index बताती है कि अल्पसंख्यकों के लिए भारत एक श्रेष्ठ देश है और इस रिपोर्ट में भारत को पहले स्थान पर रखा गया है। इस रिपोर्ट ने उन पश्चिमी देशों को दर्पण दिखाया है जो हमेशा अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव को लेकर भारत को कोसते रहते थे और कभी अपने देश में क्या घट रहा है इस पर कतई ध्यान नहीं देते।

Global minority index रिपोर्ट में भारत की अल्पसंख्यक नीति की भी प्रशंसा की गई है, यह रिपोर्ट बताती है कि यह मॉडल विविधता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत के संविधान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक प्रचार के लिए विशेष प्रावधान हैं जबकि दुनिया के किसी अन्य देश के संविधान में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के प्रचार के लिए ऐसा विशेष प्रावधान नहीं हैं।

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अमेरिका सूची में चौथे स्थान पर है

आपको बता दें कि भारत पर अल्पसंख्यकों को लेकर ज्ञान देने वाला अमेरिका इस सूची में चौथे स्थान पर है। अमेरिका द्वारा जारी की जाने वाली इस तरह की रिपोर्टों में हमेशा भारत को निचले स्थान पर रखकर ये दिखाने का प्रयास किया जाता रहा है कि भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति ठीक नहीं है और इन रिपोर्टों को लगे हाथ उठाकर हमारे देश की एक एजेंडाधारी जमात भारत सरकार और भारत को कोसने में लग जाती है।

दरअसल, सेंटर फॉर पालिसी एनलिसिस ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है जिसमें दस लाख से अधिक आबादी वाले 110 देश का अध्ययन किया गया है। भारत के द्वारा दुनियाभर के देशों के अल्पसंख्यकों की स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने के बाद जो बाइडन की सारी की सारी पोल पट्टी खुल गई है। क्योंकि अमेरिका काले लोगों के साथ किस तरह का व्यवहार होता है इस बात से तो पूरी दुनिया ही परिचित है। ज्ञात हो की साल 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड नाम के एक अफ्रीकी अमेरिकी व्यक्ति जिसका रंग काला था, उसकी हत्या अमेरिकी पुलिस अधिकारियों द्वारा कर दी गई। जिसके बाद वहां काले अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों में काफी विवाद फैल गया था और बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया था।

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काले लोगों के साथ भेदभाव

ये कोई पहला मामला नहीं था जब अमेरिका में काले लोगों के साथ भेदभाव की बात सामने आई हो। अमेरिका में अक्सर काले लोगों के साथ भेदभाव होता रहता है, आरोप लगते रहे हैं कि बहुसंख्यक गोरे लोग वहां अल्पसंख्यक काले लोगों पर अत्याचार करते हैं। वो खुद को काले लोगों से बेहतर समझते हैं।

अब तक इस तरह की रिपोर्ट विकसित देश ही जारी करते आ रहे थे जिसमें ऐसा दिखाया जाता था कि खुद के देश में सब कुछ चंगा सी और दूसरे देशों की जमकर आलोचना करो। देश के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने 29 नवंबर को संयुक्त रूप से ग्लोबल माइनॉरिटी रिपोर्ट को जारी किया है। जहां पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि यह रिपोर्ट दुनिया में अल्पसंख्यकों के हालात समझने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले विकसित देश दूसरों को उपदेश दे रहे थे लेकिन कभी उन्होंने अपने अंदर नहीं झांक कर देखा। यह रिपोर्ट तर्क और तथ्य के आधार पर दुनिया के हालात को बयां करती है। उन्होंने कहा कि अब भारत सहित दुनिया में इस रिपोर्ट पर चर्चा होगी।

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सारगर्भित बात यह है कि सीपीए के द्वारा जारी Global minority index रिपोर्ट के आने के बाद उन देशों की पोल खुल गयी है जो अल्पसंख्यक शब्द सुनते ही अपने कान खड़े कर लेते थे और मुंह से भारत का नाम लेकर बुरी बातों को उगलने लगते थे। इस रिपोर्ट ने अब अमेरिका समेत तमाम उन एजेंडाधारियों को करारा तामाचा लगाया है जो भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होने का ढिंढोरा पीटते हैं।

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