Budget 2023: “सबका साथ, सबका विकास” का मंत्र लेकर सत्ता में आने वाली मोदी सरकार ने हर मायनों में इसे सत्य करके दिखाया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमें पूर्वोत्तर के विकास में देखने को मिलता है। पूर्वोत्तर भारत का एक ऐसा हिस्सा रहा है, जिसे हमेशा से ही भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से देखा गया है। इतना ही नहीं यहां के लोगों को भी अलग-अलग नामों से पुकारा जाता रहा है। देश की आजादी के दशकों बाद भी पूर्वोत्तर विकास के मामलों में पीछे रहा। इसी के चलते लंबे समय तक पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्य स्वयं को भारत का ही हिस्सा ही नहीं मान पाए थे।
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Budget 2023 : मोदी सरकार का बड़ा निर्णय
हालांकि जब से मोदी सरकार सत्ता में आयी है तब से पूर्वोत्तर राज्यों के चहुंमुखी विकास के पट खुल गए हैं। मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर की पूरी तरह से काया ही पलट दी है। पूर्वोत्तर राज्यों के हित को बढ़ावा देने के प्रयासों में लगी रही है। इस दिशा में बड़ा कदम आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने निर्णय लिया है कि अब 55 केंद्रीय मंत्रालय अपने (Budget 2023) बजट का 10 प्रतिशत उत्तर पूर्व में रसद बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए खर्च करेंगे।
इसके बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 55 केंद्रीय मंत्रालयों की पहचान की है जो पूर्वोत्तर में लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए अपने बजट (Budget 2023) का 10 प्रतिशत हिस्सा खर्च करेंगे। मंत्री ने गुवाहाटी में कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज नॉर्थ ईस्ट लॉजिस्टिक्स कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए यह बात कही। पूर्वोत्तर राज्यों को पीएम मोदी की बड़ी सौगात से काफी लाभ होने वाला है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट देश के विनिर्माण केंद्र बनने के लिए नयी आशाओं और अवसरों की सुबह देख रहा है। पीएम गतिशक्ति के साथ विश्व स्तर की निर्बाध मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी लागू की जा रही है। पीएम गतिशक्ति पूर्वोत्तर में संसाधनों, जनशक्ति और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर पूरी जानकारी प्रदान करने वाली विश्व स्तरीय निर्बाध मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने आगे ये भी कहा है कि इससे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए लागत में कमी देखने को मिलेगीं। गतिशक्ति तकनीकी हस्तक्षेप और नीतिगत पहलों के जरिए पूर्वोत्तर में कठिन क्षेत्रों तक पहुंच उपलब्ध कराएगी और क्षेत्र में 200 अरब की रसद अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिलेगा।
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सरकार ने पूर्वोत्तर को बदला
देखा जाये तो पहले पूर्वोत्तर के लोगों के लिए बड़ा ही बेतुका सा दृष्टिकोण बना हुआ था। जब भी पूर्वोत्तर के लोग दिल्ली या किसी शहर में आते थे तब उन्हें भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है जैसे उनको चीनी, नेपाली कहकर बुलाना, किराये पर मकान न देना, इनको भारत का ही हिस्सा न समझना इत्यादि। इसी भेदभावपूर्ण रवैये के कारण पूर्वोत्तर के लोगों कभी असम तो कभी नागालैंड को देश से अलग करने की मांग किया करते थे। तब के समय में समस्या यह भी थीं कि दिल्ली में जो सरकार थीं, वो भी पूर्वोत्तर के राज्यों पर अधिक ध्यान केन्द्रित करती नजर नहीं आती थीं।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र की क्षमता का आंकलन करने और उसके विकास की गति को तेज करने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि क्षेत्र के विकास के बिना भारत का विकास संभव नहीं हो सकता। इसके बाद मोदी सरकार के द्वारा किए गए प्रयासों के चलते पूर्वोत्तर क्षेत्रों में विकास ने गति पकड़ ली। सड़कों से लेकर यहां हवाईअड्डों तक का निर्माण कराया गया, जिससे यहां पर लोगों की संयोजकता बनी रहे। उन्होंने पूर्वोत्तर को सुविधापूर्ण राज्य बनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। मोदी सरकार ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा पूर्वोत्तर के विकास के लिए बनाये गए मंत्रालय को भी ताकत देने का कार्य किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद स्वयं 50 से भी अधिक बार उत्तर पूर्व भारत का दौरा किया है। सरकार का ऐसा मानना है कि परिवहन और संचार को बढ़ाकर ही इस क्षेत्र में परिवर्तन संभव हो सकता है और इस संबंध में कई सारे ठोस कदम भी उठाए गए हैं। साथ ही पीएम मोदी ने कई केंद्रीय मंत्रियों को यह जिम्मेदारी सौंपी कि उन्हें माह में कम से कम दो बार पूर्वोत्तर भारत का दौरा करना होगा और वहां जाकर वहां की समस्याओं का समाधान करना होगा। इस तरह की स्थिति में पूर्वोत्तर राज्यों से जो भी फाइल दिल्ली को जाती है उसका कार्य समय के अंदर ही पूरा हो जाता है।
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पूर्वोत्तर में उग्रवाद कम हो रहा है
साथ ही देखा जाये तो कुछ सालों पूर्व पूर्वोत्तर के इलाकों में काफी बड़े स्तर पर उग्रवाद का कब्ज़ा था। हालांकि अब पूर्वोत्तर में उग्रवाद का अंत निकट आते दिखाई दे रहा है और यह क्षेत्र शांति की ओर अग्रसर होता जा रहा है। विद्रोही समूहों के सरकार के साथ लगातार शांति वार्ता के कारण पूर्वोत्तर में उग्रवाद में कमी दर्ज की गयी है। साल 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में अहम समूह एनएससीएन-आईएम (NSCN-IM) के साथ मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। वहीं 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा कुछ आकड़ें सामने आये थे जो बताते हैं कि साल 2014 के बाद से पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोह में कमी देखने को मिली।
केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर में शांति लाने के लिए हर संभव प्रयास किये हैं। विवादित अप्सफा कानून (AFSPA) अभी तक यहां से पूरी तरह से हटा नहीं है, परंतु मई 2022 में ही गृह मंत्रालय ने नागालैंड, असम और मणिपुर के कुछ इलाकों से AFSPA को हटाने का बड़ा निर्णय अवश्य लिया। इससे पहले भी पूर्वोत्तर की कई जगहों से इस विवादित कानून को हटाया गया है।
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के अंतर्गत देश के अशांत क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को कुछ विशेषाधिकार प्रदान किये जाते हैं। जैसे कि वो संदेह के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं या उनको बिना किसी वारंट के ही तलाशी अभियान चलाने की भी शक्ति प्रदान है। सुरक्षाबलों पर कई बार इस कानून का गलत तरीके से प्रयोग करने के चलते AFSPA विवादों में घिरा रहता है और समय-समय पर इसे हटाने की मांग उठती आयी है। सरकार ने इन्हीं मांगों को ध्यान में रखते हुए विवादित कानून को हटाने के लिए चरणबद्ध तरीके से कदम आगे बढ़ा रही है।
मोदी सरकार ने अपने कार्यों के माध्यम से पूर्वोत्तर को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। मोदी सरकार के इन सभी प्रयासों को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि वो दिन दूर नहीं जब पूर्वोत्तर भारत के विकास में अपना अतुलनीय योगदान देगा। Budget 2023 भविष्य में पूर्वोत्तर भारत के विकास का नये इंजन के रूप में उभर सकता है।
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