अजय देवगन की ‘रेनकोट’ भारत की सबसे अंडररेटेड फिल्मों में से एक क्यों है?

अजय देवगन और ऐश्वर्या राय की फिल्म रेनकोट को आपने देखा है? यदि नहीं तो इस लेख को पढ़ने के बाद अवश्य देखिए।

फिल्म रेनकोट

Source: Zee News

दृश्यम-2 की चर्चाएं निरंतर हो रही हैं। दृश्यम-2 के साथ-साथ अजय देवगन के अभिनय की चर्चाएं भी हो रही हैं। ऐसे में आपसे एक प्रश्न है क्या आपने अजय देवगन की फिल्म रेनकोट देखी है? उम्मीद करते हैं कुछ लोगों ने तो अवश्य देखी होगी लेकिन जिन लोगों ने नहीं देखी है वो लोग इस फिल्म को अवश्य देखें लेकिन इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद।

वर्ष था 2004. अजय देवगन ने प्रयोगवाद की राह पर चलते हुए बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बना ली थी। “खाकी” हो “मस्ती” हो या फिर “युवा”, आप कोई भी भूमिका दे दीजिए और अजय देवगन उसमें चार चाँद लगा देते हैं। अजय देवगन सभी तरह की फिल्में कर रहे थे और अपनी फिल्मों से लोगों के दिलों में जगह बना रहे थे।

इसी बीच इन्होंने चुनी ऋतुपर्णों घोष की फिल्म रेनकोट। उत्कृष्ट बंगाली डायरेक्टर ऋतुपर्णों घोष की यह प्रथम हिन्दी फिल्म थी। अजय देवगन के साथ इसमें कोई और नहीं बल्कि अभिनेत्री ऐश्वर्या राय थी, जिन्होंने इससे पूर्व ऋतुपर्णों की ही बंगाली फिल्म ‘चोखेर बाली’ में अपने अभिनय से कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा था।

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अब सवाल यह है कि फिल्म रेनकोट में ऐसा क्या था, जिसके पीछे इसे आज भी ऋतुपर्णों घोष, अजय देवगन और ऐश्वर्या राय की सबसे उत्कृष्ट फिल्मों में से एक माना जाता है? सर्वप्रथम, ये फिल्म चर्चित कथाकार ओ हेनरी की लघुकथा ‘The Gift of the Magi’ पर आधारित थी। परंतु विश्वास कीजिए, फिल्म को देखकर कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि यह एक रूपांतरण फिल्म है। इस फिल्म को देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि इसे मात्र 16-17 दिनों में ही शूट किया गया था?

फिल्म में मनोज और नीरजा की कहानी है जो एक समय एक दूसरे से प्रेम करते थे, परंतु परिस्थितियों ने उन्हे अलग कर दिया। अब उन्ही परिस्थितियों ने मनोज को नीरजा के द्वार पर ला खड़ा किया है। क्या है वो परिस्थितियाँ और कैसे दोनों एक दूसरे की समस्याओं को समझते और सुलझाते हैं, रेनकोट इसी बारे में है।

इस फिल्म को यूं ही सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिला था। इस फिल्म में बड़े कम किरदार हैं, पर जितने भी हैं, सभी ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। जिसमें सबसे अग्रणी रहे हैं अजय देवगन और ऐश्वर्या राय।

अजय देवगन की फिल्म रेनकोट का पोस्टर।

अजीब बात यह है कि अजय देवगन को इस फिल्म के लिए कोई अभिनय नामांकन नहीं मिला, जबकि उन्होंने इस फिल्म में बेहतरीन अभिनय किया है। मनोज के रूप में उन्होंने वैसे ही सबको प्रभावित किया है, जैसे ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ और ‘कंपनी’ एवं ‘गंगाजल’ जैसे फिल्मों में उन्होंने किया था। अजय देवगन के साथ-साथ ऐश्वर्या राय ने भी अच्छा अभिनय किया है।

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इस फिल्म के बाद ऋतुपर्णों घोष ने और हिन्दी फिल्में क्यों नहीं की ये सोचने वाली बात है- बावजूद इसके कि इस फिल्म में अजय देवगन और ऐश्वर्या राय ने अपने अभिनय से इस पटकथा को एक नया रूप देने में कोई प्रयास अधूरा नहीं छोड़ा। यह फिल्म आसानी से एक आर्ट हाउस ड्रामा बन सकती थी, परंतु इसमें भावुकता और एक अपनापन जो जोड़ा गया, विशेषकर अजय देवगन द्वारा, वो इसे अन्य फिल्मों से अलग बनाता है।

आज जब यह सवाल उठ रहे हैं कि बॉलीवुड अच्छी फिल्में क्यों नहीं बनाता? बॉलीवुड की फिल्मों में एकतरफा एजेंडा ही एजेंडा दिखाई देता है। इसी के चलते बॉलीवुड, बॉयकॉट बॉलीवुड का भी शिकार बन रहा है। ऐसे में रेनकोट जैसी फिल्में बताती हैं कि यदि अच्छी कहानी को अच्छा निर्देशक, अच्छे एक्टर के साथ प्रस्तुत करने की कला जानता है तो निश्चित तौर पर बॉलीवुड अभी भी अच्छा कंटेट दर्शकों को दे सकता है। बॉलीवुड में जो भी हो रहा है, उसे यही छोड़ते हैं इस अंतिम बात के साथ कि निश्चित तौर पर रेनकोट बॉलीवुड की सबसे अंडररेटेड फिल्मों में से एक है। इसे एक बार अवश्य देखिए।

https://www.youtube.com/watch?v=llpy0yNeGWo

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