हमारे देश में अनेक प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। उनकी अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं और अपना अपना इतिहास है। इस लेख में हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। ये मंदिर महाराष्ट्र के संभाजी नगर (औरंगाबाद) जिले में प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं में स्थित है। इसे ऐलौरा का कैलाश मंदिर (Kailash Mandir Ellora) कहा जाता है।
मात्र 18 सालों में हुआ कैलाश मंदिर का निर्माण
कैलाश मंदिर महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में में से एक है। बताया जाता है कि इस मंदिर को बनाने में लगभग 18 वर्षों का समय लगा था। वहीं पुरातत्वविक वैज्ञानिकों का मानना है कि इतने कम समय में इस तरह के मंदिर का निर्माण संभव नहीं है। उनका कहना है कि यदि 7 हजार मजदूर डेढ़ सौ वर्षों तक दिन-रात काम करें तो ही ऐसे मंदिर का निर्माण किया जा सकता है। सोचिए जिस मंदिर को बनने में सदियों का समय लगना चाहिए, उस अद्वितीय मंदिर के निर्माण का कार्य केवल 18 सालों में पूरा किया गया। दुनियाभर के विज्ञानी यह भी यही मानते हैं कि इतने कम समय में पारलौकिक शक्तियों द्वारा ही ऐसे मंदिर का निर्माण संभव है।
बता दें कि इस अद्भुत मंदिर का निर्माण एक बड़े पहाड़ को ऊपर से नीचे की ओर तराशते हुए किया गया है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर के निर्माण में किसी ईंट या चूने का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर 276 फ़ीट लंबा व 154 फ़ीट चौड़ा है। ये मंदिर दो मंजिला इमारत के समान है। कैलाश मंदिर (Kailash Mandir Ellora) के अंदर भगवान विष्णु के कई रूपों औेर महाभारत के दृश्यों को भी बड़ी खूबसूरती के साथ चित्रित किया गया है। यह मंदिर सिर्फ एक चट्टान को काटकर और तराशकर बनाया गया है।
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अद्भुत व अलौकिक है कैलाश मंदिर (Kailash Mandir Ellora)
कहा जाता है कि कैलाश मंदिर (Kailash Mandir Ellora) का निर्माण राष्ट्रकुल के राजा कृष्ण प्रथम ने 760-753 ई. में करवाया था। मंदिर को हिमालय के कैलाश की तरह रूप दिया गया है इसलिए जो लोग कैलाश दर्शन के लिए नहीं जा पाते वह यहां आकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। ऐसी मान्यताएं है कि यहां आने वाले व्यक्ति की इच्छाएं पूर्ण होती है। यहां देश विदेश से लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में एक भी पुजारी नहीं है। मंदिर में पूजा नहीं की जाती है। यूनेस्को ने साल 1983 में ही इस जगह को ‘विश्व विरासत स्थल’ घोषित किया है।
आपको बता दें कि मंदिर की दीवारों पर तरह तरह की लिपियों का प्रयोग किया गया है जिनके बारे में आज तक कोई कुछ भी समझ नहीं पाया है। इस मंदिर के निर्माण की पीछे कि कहानी के बारे में बताया जाता है कि राजा कृष्ण प्रथम एक बार गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे जिसके बाद उनकी रानी ने उनके स्वस्थ होने के लिए भगवान शिव से कामना की थीं।
भोलेनाथ ने स्वयं दिया था अस्त्र
रानी ने ये मन्नत भी मांगी थी कि राजा के स्वस्थ होने के बाद वह अद्भुत मंदिर का निर्माण करवाएंगी और मंदिर के शिखर को देखने के बाद ही अपना व्रत तोड़ेंगीं। राजा के स्वस्थ होने के बाद रानी को बताया गया कि मंदिर का निर्माण और शिखर बनने में कई वर्षों का समय लग जाएगा और इतने वर्षों तक व्रत रख पाना संभव नहीं होगा। कहा जाता है कि तब मंदिर बनाने के लिए भगवान शिव ने भूमि अस्त्र प्रदान किया था जो पत्थर को भाप बना सकता था। उसी अस्त्र से इस मंदिर का निर्माण किया गया तथा निर्माण के उपरांत इसे गुफा के नीचे दबा दिया गया। कहा यह भी जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में 4 लाख टन पत्थर काटकर बनाया गया है। कैलाश मंदिर (Kailash Mandir Ellora) पूरी तरह से हाथियों पर टिका हुआ है क्योंकि मंदिर के नीचे हाथियों का निर्माण किया गया है।
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इस मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब के द्वारा क्षति पहुंचाने का भी प्रयास किया गया था परंतु वह अपने इन मंसूबे में सफल नहीं हो पाया। औरंगजेब ने कैलाश मंदिर (Kailash Mandir Ellora) को ध्वस्त करने के लिए हजारों सैनिकों की फौज भेजी थी लेकिन वो इसे नष्ट नहीं करा पाया।
हमारे देश में कई मंदिर ऐसे हैं जो उतने प्रसिद्ध नहीं है या उनके बारे उतनी बातें नहीं की जाती लेकिन उनका इतिहास काफी रोचक और अनूठा हैं। देखा जाये तो आज के समय में तमाम तकनीकी सुविधाओं के होने के बावजूद इस प्रकार से कैलाश मंदिर (Kailash Mandir Ellora) का निर्माण करना आसान नहीं है।
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