अकेडमिक्स की दौड़ में एक “विश्वसनीय विकल्प”, जिसकी दिल्ली सहित 18 शाखाएं देशभर में थी, और जो आईआईटी एवं आईआईएम को भी चुनौती दे सकता था।
शिक्षा में क्रांति लाने का दृढ़ निश्चय, जो किसी ने भी इनसे पूर्व नहीं किया
मोटिवेशनल स्पीकर, जिनके दो “बेस्टसेलर” भी छपे, शाहरुख खान की “कृपा” से!
पर यदि यह कहा जाए कि ये सब एक छलावा है और इसके पीछे का जो वास्तविक चेहरा है वो भ्रष्ट भी है, व्यभिचारी भी और उसके कारनामे देखकर तो एक बार को घोर वामपंथी भी कह दें कि– लाख बुरे कर्म किए हों पर ऐसे तो नहीं होंगे। इस लेख में हम जानेंगे अरिंदम चौधरी (Arindam Chaudhuri) के बारे में जो केवल नाम के “शिक्षाविद” हैं, शिक्षा एवं शिष्टाचार से इनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं।
2000 का प्रारम्भिक दशक एक ऐसा समय था जब भारत एक विचित्र बदलाव से गुजर रहा था। एक ओर एनडीए की नींव पर स्थापित आर्थिक प्रगति के भवन को किसी भांति कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए चला रही थी, तो दूसरी ओर मीडिया का प्रभाव तेज़ी से फैल रहा था। उस समय सोशल मीडिया ने भारत में अपनी जड़ें नहीं जमाई थी और इंटरनेट की सुविधा भी कछुआ चाल से प्रगति कर रही थी। यहीं पर आगमन हुआ अरिंदम चौधरी (Arindam Chaudhuri) का।
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एक संस्थान जो तेजी से उभरने लगा
2006 से एक संस्थान तेजी से उभरने लगता है, इसके विज्ञापन धड़ाधड़ अखबारों और टीवी चैनलों पर आते थे। इसमें दिखता था चश्मा लगाए, पोनी टेल बांधे हुए एक व्यक्ति जो आपके जीवन में क्रांति लाने का दावा करता था और जो आपको न्यूयॉर्क से लेकर विश्व के कोने-कोने में लाखों करोड़ों के जॉब पैकेज बिना आईआईटी एवं आईआईएम के टैग के दिलाने की बात करता था।
नहीं-नहीं, हम आपको चेतन भगत के “रेवोल्यूशन 2020” का प्लॉट लाइन नहीं सुना रहे हैं। ये असल में अरिंदम चौधरी की वास्तविकता है, जिनकी पहुंच यूपीए सरकार से लेकर बॉलीवुड में अमिताभ बच्चन तक हुआ करती थी। इन्होंने कुछ नये टर्म को फैलाया, जैसे सक्सेस गुरु, मैनेजमेन्ट गुरु। इनके चेले युवा छात्रों से लेकर अनेक मीडिया संगठन तक थे और इन पर ऐसा अंधा विश्वास किया जाता था, जैसे ये आदमी नहीं, देव हों।
अरिंदम चौधरी की छल कथा का आरंभ होता है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लैनिंग एंड मैनेजमेन्ट से, जो इन्हीं के पिता, मलयेन्द्र किशोर चौधरी ने ही स्थापित की थी। प्रश्न यह है कि IIPM इतना बड़ा नाम बना कैसे? कारण स्पष्ट थे – विज्ञापन और कनेक्शन। 2000 के प्रारंभ में अखबारों में IIPM के विज्ञापन इस टैगलाइन के साथ प्रकाशित होते थे, “dare to think beyond IIT एंड IIM”। इन विज्ञापनों में IIPM कैंपस की ऐसी तस्वीरें होतीं कि लगता फाइव स्टार होटेल है. क्लब, स्विमिंग पूल, स्नूकर टेबल, इत्यादि। उस पर से वादे ऐसे कि 100 पर्सेंट प्लेसमेन्ट, हर स्टूडेंट को लैपटॉप, यूरोप ट्रिप, यहां तक कि विदेशी यूनिवर्सिटीज़ से टाई-अप।
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तब कुछ ही विकल्प उपलब्ध थे
उस समय हर भारतीय विद्यार्थी के पास कुछ ही विकल्प उपलब्ध थे, जिनमें सर्वाधिक लोग बीटेक और एमबीए के पीछे भागते थे। अब जो आईआईटी या आईआईएम न जा पाएं, उन्हें एक ऐसा संस्थान मिले, जिसके विज्ञापन में स्वयं शाहरुख़ खान जैसे सुपरस्टार आए, तो फिर वे कैसे नहीं आते?
परंतु हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती। IIPM के दिल्ली के छतरपुर क्षेत्र सहित देशभर में 18 कैंपस थे, परंतु एक में भी वो सुविधाएं नहीं थीं, जिसके बारे में लंबे चौड़े दावे किये जाते थे। जब कुछ लोग इसका विरोध जताते तो अरिंदम या तो बड़े मीडिया पब्लिकेशन में जमके विज्ञापन देते और छोटे पब्लिकेशन हाउस या वेबसाइट्स को कोर्ट के मुकदमे की धमकी देकर उन्हें चुप कराते, नहीं तो ब्लॉक कराते। स्वयं कारवां, पेंगुइन पब्लिशर्स, यहां तक कि फेकिंग न्यूज और द अनरियल टाइम्स जैसे व्यंग्यात्मक पेजों के विरुद्ध भी मुकदमे दायर किये गए।
परंतु एक व्यक्ति नहीं रुका। कभी आउटलुक के लिए कार्य करने वाले महेश्वर पेरी ने देखा कि इस चकाचौंध के पीछे की वास्तविकता कितनी घिनौनी है और कैसे अरिंदम चौधरी (Arindam Chaudhuri) ने शिक्षा का ऐसा व्यवसायीकरण किया कि शिक्षा के जो आधारस्तम्भ, जो मूल भावनाएं हमारे ऋषि मुनियों ने स्थापित की थी, उन सबकी इस व्यक्ति ने धज्जियां उड़ा दीं। जब महेश्वर पेरी ने शोध किया तो पता चला कि दावों के ठीक विपरीत IIPM का वास्तविक प्लेसमेंट 50 प्रतिशत या उससे भी कम था। महेश्वर पेरी ने पाथफाइन्डर पब्लिशिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जिसके अंतर्गत करियर्स 360 नाम से एक वेबसाइट भी प्रारंभ की, जहां शैक्षणिक खबरों के साथ-साथ अरिंदम के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आवाज भी उठाई। उनका परिश्रम व्यर्थ नहीं गया और बात दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गई।
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कोर्ट ने Arindam Chaudhuri को फटकारा
2014 में कोर्ट ने अरिंदम को फटकारते हुए उसके सभी दावों को झूठा सिद्ध किया। स्वयं यूजीसी जैसी उच्च शिक्षा संस्थान ने स्पष्ट किया कि न IIPM का उससे या AICTE से कोई संबंध है और न ही वह कोई डिग्री या डिप्लोमा जारी करने के योग्य है। माननीय न्यायालय ने ये भी आदेश जारी किया कि ये संस्था BBA, MBA, बी स्कूल जैसे कोई शब्द उपयोग में नहीं लाएगी, और 2015 आते आते IIPM ने दिल्ली के अतिरिक्त अपने सभी संस्थानों पर ताला डालने का निर्णय किया। 2020 में अरिंदम चौधरी को 23 करोड़ रुपये के टैक्स चोरी के लिए हिरासत में लिया गया था, मामले को लेकर अभी कार्रवाई जारी है।
अब सोचिए ऐसे कितने लोग होंगे, जिन्हें इस जाल में फंसाया गया होगा। कितने ऐसे व्यक्ति होंगे जिनके मेहनत का धन इस निकृष्ट ने डकारा होगा। अरिंदम चौधरी (Arindam Chaudhuri) का क्या होगा ये तो ईश्वर ही जाने लेकिन शिक्षा के आदर्शों के साथ जो इसने किया, उसके लिए इसे किसी भी न्यायालय में क्षमा नहीं मिल पाएगी।
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