जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि बीते काफी समय से बायकॉट बॉलीवुड का ट्रेंड काफी जोरों-शोरों से चला रहा है। सोशल मीडिया से लेकर मीडिया गलियारों तक हर जगह यह चर्चा का विषय बना हुआ है। बायकॉट के इस ट्रेंड ने बॉलीवुड की लंका लगाकर रखी हुई है। आम जनता का आक्रोश बॉलीवुड के ऊपर फूट रहा है। वैसे देखा जाए तो आम लोगों को बॉलीवुड और उसकी फिल्मों को लेकर जो भी परेशानियां है वो पूरी तरह से सही भी है। आज के समय में इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़कर सभी कचरा ही परोस रही हैं।
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पीएम मोदी का नेताओं को संदेश
हालांकि बायकॉट बॉलीवुड अभियान के चलते आम लोगों के साथ-साथ देश के बड़े नेता भी अपना कामकाज छोड़कर इस बहती गंगा में अपने हाथ धो रहे हैं। अर्थात् वो भी बॉलीवुड और उनकी फिल्मों को लेकर विवादित बयानबाजी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसी के चलते हाल ही में बॉलीवुड आलोचकों में बदलने वाले राजनेताओं को पीएम मोदी ने कड़े शब्दों में बड़ा संदेश दिया है।
दरअसल, दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी जिसमें चुनावों और देश की राजनीति को लेकर कई रणनीतियों पर बातचीत हुई। इस बैठक के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं को बड़ी नसीहत और सुझाव दिए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हम हर दिन कार्य करते हैं और इसके बीच में कुछ लोग किसी फिल्म पर बयान दे देते हैं जिसके बाद पूरा दिन टीवी और मीडिया में वहीं चलता रहता है। यही कारण है कि उन्होंने नेताओं को ऐसे बेवजह के बयानों से बचने की भी सलाह दी।
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पठान के विरोध में उतरे कई भाजपा नेता
आपको क्या लगता है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी की यह सलाह सही नहीं है? क्या देश के राजनेताओं का बॉलीवुड आलोचकों में बदलना उचित है? पीएम मोदी के इस सलाह देने के पीछे का कारण यही था कि बीते कुछ दिनों पहले कुछ बीजेपी नेताओं के द्वारा शाहरुख खान की ‘पठान’ फिल्म को लेकर कई ऐसे विवादित बयान दिए गए, जो चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस फिल्म को लेकर बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा था कि भगवा रंग हमारे देश की शान है। ये रंग राष्ट्रध्वज में भी है। भगवा रंग की बेइज्जती करने की कोशिश हुई तो कोई भी नहीं बचेगा। ऐसा करने वाले को हम इसका मुंहतोड़ जवाब नहीं बल्कि उसका मुंहतोड़ कर हाथ में रखने की हिम्मत रखते हैं। हम संन्यासी भी इससे पीछे नहीं हटेंगे। एक राजनीतिक पार्टी के नेता द्वारा इस तरह की बयानबाजी करना उचित है?
इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश की बीजेपी नेता उमा भारती ने भी इस फिल्म को लेकर कहा था कि शाहरुख खान के प्रति अगर इतनी घृणा है, तो इसके लिए केवल शाहरुख जिम्मेदार हैं। मुझे उनका नाम भी लेना अच्छा नहीं लगता है। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी पठान को लेकर अपनी विशेष राय रखी थी। उन्होंने कहा था कि पठान के गाने में दीपिका पादुकोण ने जो कपड़े पहने हैं, वो काफी अधिक आपत्तिजनक हैं। इसे देखकर साफ़ दिख रहा है कि ये गाना दूषित मानसिकता के साथ फिल्माया गया है। इससे पूर्व नरोत्तम मिश्रा ने आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा और अक्षय कुमार की रामसेतु पर भी बयानबाजी की थी। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी नेता का नाम लिए बिना छिपे हुए शब्दों में ही नेताओं को बॉलीवुड को लेकर बयानबाजी करने से बचने की सलाह दी है। साथ ही नेताओं को बॉलीवुड से संबंधित बयानबाजी न करके अपने-अपने कामों में ध्यान लगाने की बात कही।
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देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। हर व्यक्ति जिस भी मुद्दे पर चाहे अपनी बात, अपनी राय रख सकता है। लेकिन उसकी बातें तथ्यपूर्ण तो होनी ही चाहिए न? ऐसा नहीं है बायकॉट बॉलीवुड को लेकर जो अभियान चलाया जा रहा है, वो गलत है। परंतु देखा जाये तो यह अभियान गलत दिशा में जा रहा है। आपने वो कहावत तो अवश्य सुनी होगी कि ‘गेहूं के साथ घुन भी पिसता है।’ यही इस वक्त बॉलीवुड के साथ भी हो रहा है। इस ट्रेड की वज़ह से कुछ अच्छी फिल्में पिटती नजर आ रही हैं।
बायकॉट बॉलीवुड अभियान को लेकर हमारा उद्देश्य हिंदी फिल्म उद्योग को खत्म करना नहीं है। हमारा उद्देश्य हिंदी फिल्मों से उर्दू को हटाना है, हमारा उद्देश्य हिंदी फिल्मों में गलत इतिहास को दिखाने से रोकना है, हमारा उद्देश्य हिंदी फिल्म उद्योग से वामपंथियों के गैंग के एजेंडे को खत्म करना है, हमारा उद्देश्य हिंदी फिल्म उद्योग का शुद्धिकरण करना आदि है। बायकॉट बॉलीवुड अभियान सिर्फ ट्रोलिंग के लिए तो है नहीं न। यही बात देश के राजनेताओं को भी समझना चाचिए और आम लोगों तक भी इसे पहुंचाना चाहिए न कि स्वयं ही बॉलीवुड को लेकर बयानवीर बनना चाहिए।
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