Chintamani ke lekhak kaun hai : चिंतामणि के लेखक कौन है : कृतियाँ एवं शिक्षा
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Chintamani ke lekhak kaun hai साथ ही इससे जुड़े कृतियाँ एवं शिक्षा के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
चिंतामणि के लेखक आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी हैं। इस पुस्तक के चार भाग हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म बस्ती जिले के आगोना नामक ग्राम में सन् 1884 में हुआ था। इनके पिता का नाम चन्द्रबलि शुक्ल था। जो अरबी, फारसी भाषा के प्रेमी थे। इसलिए उनकी आठवीं कक्षा तक शिक्षा उर्दू , फारसी में हुई परन्तु हिन्दी के प्रति इनका बड़ा अनुराग था। इण्टर परीक्षा पास करने के बाद मिर्जापुर के मिशन स्कूल में कला के अध्यापक हो गये। अध्यापन कार्य करते हुए हिन्दी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य का गहन अध्ययन किया जो आगे चलकर उनके लिए बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की शिक्षा –
4 वर्ष की उम्र में ये अपने पिता के साथ राठ जिला हमीरपुर चले गये, और वही पर इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आरम्भ की। शुक्ल जी बाल्यकाल से ही अध्ययन में रूचि रखते थे। किंतु इसके लिए उन्हें अनुकूल वातावरण न मिल सका। 1898 ईस्वी में इन्होने मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की। शुक्ल जी गणित में कमजोर थे। उसके बाद मिर्जापुर के लंदन मिशन स्कूल से सन् 1901 में स्कूल फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण की।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पिता पं॰ चंद्रबली शुक्ल का अपने बेटे के लिए एक अलग सपना था वे उन्हें वकालत पढ़ाना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने शुक्ल जी को इलाहाबाद भेजा पर उनकी रुचि वकालत में न होकर साहित्य में थी।इसलिए वे वकालत की पढाई पूरी न कर सके। इनकी विधिवत शिक्षा इण्टर तक हुई।
साहित्य में स्थान –
हिन्दी निबन्ध को नया आयाम देकर उसे ठोस धरातल पर प्रतिष्ठित करने वाले शुक्ल जी हिन्दी-साहित्य के मूर्धन्य आलोचक, श्रेष्ठ निबन्धकार, निष्पक्ष इतिहासकार, महान् शैलीकार एवं युग-प्रवर्तक साहित्यकार थे।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की कृतियाँ –
शुक्ल जी का आगमन कवि और निबन्धकार के रूप में हुआ किन्तु बाद में आप समालोचक हो गये। इसीलिए आपकी रचनाओं में विविधता है।
निबन्ध –
- चिन्तामणि
- विचार वीथी।
आलोचना – सूरदास रस मीमांसा काव्य में रहस्यवाद।
सम्पादित –
- जायसी ग्रन्थावली
- भ्रमर गीतसार
- काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका
- हिन्दी शब्द सागर
- तुलसी ग्रन्थावली।
काव्य –
- बुद्ध चरित्र
- अभिमन्यु वध।
अनुदित -आदर्श जीवन, कल्पना का आनन्द, विश्व प्रपंच, मेगस्थनीज का भारतवर्षीय विवरण।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की शैली
- आलोचनात्मक शैली
- गवेषणात्मक शैली
- भावात्मक शैली
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के महत्वपूर्ण कथन –
- श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति है।
- सामाजिक जीवन की स्थिति और पुष्टि के लिए करूणा का प्रसार आवश्यक है।
- श्रद्धा का व्यापार स्थल विस्तृत है, प्रेम का एंकात, प्रेम में घनत्व अधिक है श्रद्धा में विस्तार।
- बैर क्रोध का आचार का मुरब्बा है।
FAQ –
Ques- आचार्य रामचंद्र शुक्ल कौन थे?
Ans-आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी हिन्दी साहित्य के एक भारतीय इतिहासकार थे। इन्हें आचार्य शुक्ल के नाम से जाना भी जाता है।
Ques-आचार्य रामचंद्र शुक्ल की माता का नाम?
Ans- आचार्य रामचंद्र शुक्ल की माता जी का नाम विभाषी था।
Ques-आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म कब हुआ?
Ans- 4 अक्टूबर 1884 में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म हुआ था।
Ques-आचार्य रामचन्द्र का जन्म कहाँ हुआ?
Ans- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश के, बस्ती जिला के आगोना नामक ग्राम में हुआ।
Ques-रामचंद्र शुक्ल किस युग के लेखक हैं?
Ans-आचार्य रामचंद्र शुक्ल शुक्ल युग के लेखक थे।
Ques-आचार्य रामचंद्र शुक्ल की रचना कौन सी है?
Ans-आचार्य रामचंद्र शुक्ल की रचना निम्न है – चिंतामणि, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, हिन्दी शब्द सागर, हिन्दी साहित्य का इतिहास आदि।
आशा करते है कि Chintamani ke lekhak kaun hai के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे लेख पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।