‘एक देश, एक चार्जर’ नीति क्यों लेकर आ रही है मोदी सरकार?

अब मोदी सरकार ऐसा कदम उठा रही है, जिससे एप्पल जैसी कई कंपनियों को काफी समस्या हो सकती है।

E-Waste: Government’s big push to one nation one charger policy

Source- TFI

डिजिटल होते जमाने के साथ ई-कचरा यानी इलेक्ट्रॉनिग वेस्ट भी दुनिया की एक बड़ी समस्या के रूप में उभरता नजर आ रहा है। इलेक्ट्रानिक उपकरणों को बनाने में खतरनाक पदार्थों (शीशा, पारा, कैडमियम आदि) का उपयोग किया जाता है इसलिए ये मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर ही दुष्प्रभाव डालता है। परंतु ई कचरे के नाम पर कुछ कंपनियों के द्वारा अलग ही खेल खेला जा रहा है। विशेषकर कई पश्चिमी कंपनियां अपने लाभ कमाने के चक्कर में ई वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करने की जगह बढ़ावा ही देती हैं। हर कंपनी कमाई करना चाहती है और इसके भिन्न-भिन्न तरीकों को भी खोजती है। इसका एक बड़ा उदाहरण चार्जर हैं। मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्टवॉच, हेडफोन, पावरबैंक और ईयरफोन… आमतौर पर इन सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में अलग-अलग चार्जर का इस्तेमाल होता हैं और इनको खरीदने के बाद ही ब्रांड्स के कमाई के साधन बढ़ते हैं।

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कई कंपनियों ने चार्जर देना किया बंद

आज के वक्त में जब आप महंगे से मंहगा फोन खरीदने जाते हैं तो कई कंपनियों के स्मार्टफोन के बॉक्स में चार्जर तक नहीं मिलता है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि ई वेस्ट बढ़ रहा है। यह चलन सबसे पहले एप्पल ने शुरू किया था और आज सैमसंग समेत कई कंपनियों ने भी अपने  स्मार्टफोन्स के साथ चार्जर देना बंद कर दिया है। खास बात यह है कि कंपनियां कहती हैं कि लोगों के पास पहले वाले फोन का चार्जर होता है लेकिन बात यह है कि जिन लोगों ने पहली बार फोन खरीदा हो तो उन्हें चार्जर अलग से कंपनी का खरीदना पड़ेगा।

इसके अलावा लोगों को यूस्ड फोन बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है लेकिन शर्त यह होती है कि पुराने फोन के साथ उसका चार्जर भी हो वरना फोन की कीमत कम लगाई जाएगी। अब पुराने फोन की कीमत के चक्कर में ग्राहक पहले उसका चार्जर भी बेचता है और फिर नया फोन बिना चार्जर वाला खरीदकर चार्जर अलग से लेता है। तो असल में यह कई कंपनियों के लिए अधिक लाभ बनाने का फॉर्मूला बन गया है। हालांकि मोदी सरकार ने इस फॉर्मूले पर ब्रेक लगाने और ई कचरे का समाधान निकालने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है।

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सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में काम करेगा एक चार्जर

दरअसल, भारत सरकार टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट को स्टैंडर्ड बना रही है। यानी अब कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हो लैपटॉप, स्मार्टफोन्स या कोई और उन सभी में आपको टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट ही देखने को मिलेगा। आप भले ही सस्ता फोन लें या महंगा आपको उसमें टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट की होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2025 तक सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए एक ही तरह का चार्जर यानी टाइप सी चार्जर का उपयोग करने की नीति पर काम किया जा रहा है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के अनुसार सरकार के इस कदम से प्रति ग्राहक चार्जेस की संख्या में कमी आएगी। इससे लोगों को बार-बार नया चार्जर नहीं लेना पड़ेगा। साथ ही ई-वेस्ट में भी कमी आएगी।

दरअसल, अभी तक होता ये है कि सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए अलग-अलग चार्जर बाजार में मौजूद है और लोगों को अलग-अलग चार्जर खरीदने पड़ते हैं। इससे लोगों का पैसा भी अधिक खर्च होता था और वेस्ट भी बढ़ता था। ई वेस्ट के रखरखाव में भी सरकार को भी समस्या होती है। इसी का समाधान सरकार निकालने के प्रयास में है।

एक घर में यदि 4 फोन हैं और अलग-अलग ब्रांड्स के हैं तो कई बार उनके चार्जर भी अलग-अलग चार्जिंग पोर्ट होते है। किसी का फोन माइक्रो यूएसबी पोर्ट वाला है किसी का यूएसबी टाइप सी तो कोई एप्पल का लाइटनिंग केबल यूज कर रहा है। वहीं लैपटॉप, इयरफोन और तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के चार्जर भी अलग। इससे पूर्व यूरोपीय संघ भी घोषणा कर चुका है कि 28 दिसंबर 2024 सेयहां बेचे जाने वाले iPhone सहित सभी स्मार्टफ़ोन को एक सामान्य USB टाइप C चार्जर ही आएगा। साथ ही लैपटॉप निर्माताओं को इस नए निर्देश का पालन करने के लिए 2026 तक का समय दिया गया है।

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एप्पल अपना बाजार खोना नहीं चाहेगा, इसलिए…

मोदी सरकार के इस निर्णय से एप्पल को एक झटका तो लगेगा ही क्योंकि कंपनी को टाइप सी के चलते अपने प्रोडक्शन तक में बदलाव करना पड़ेगा लेकिन यह माना जा रहा है कि भारत में आईफोन्स की ब्रिकी में तेजी से लेकर यहां बढ़े एप्पल प्रोडक्ट्स के क्रेज के चलते कंपनी इस पर अधिक न नुकर नहीं कर पाएगी। कंपनी पहले ही यूरोपियन यूनियन के इस तरह के आदेशों को स्वीकृति दे चुकी है, ऐसे में अब माना जा रहा है कि आपको आईफोन 16  तक में यूएसबी टाइप सी चार्जिंग पोर्ट ही देखने को मिलेगा।

ई वेस्ट को लेकर कंपनियों से लेकर पश्चिमी देशों ने नौटंकियां तो बहुत कीं, यह दिखावा भी किया कि आखिर वे जलवायु परिवर्तन को लेकर कितने चिंतित हैं लेकिन उनकी हरकते ही बता रही थीं कि यह सारी चिंता बस एक ढकोसला है। वहीं टाइप सी को एक यूनिवर्सल चार्जर घोषित कर भारत सरकार ने बता दिया है कि यदि काम को सफल बनाना हो तो नीयत पहले साफ और स्पष्ट करनी होगी।

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