भारत की ज्यादातर आबादी गांवों में रहती हैं, जिसमें अधिकतर लोग खेती या पशुपालन करते हैं। ग्रामीण प्रवेश के लोग गाय, भैंस पालकर डेयरी उद्योग से जुड़े हुए हैं। इन किसानों के कारण ही कई डेयरी प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियां ऊंचाइयां हासिल कर रही हैं। जितनी ऊंचाइयों पर ये कंपनियां पहुचेंगी उतना ही किसानों को भी लाभ होगा। ऐसे में डेयरी उद्योग का विस्तार और इसे नई तकनीक के साथ जोड़ना एक अच्छा कदम साबित हो सकता है। यही सलाह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कर्नाटक की एक लोकप्रिय डेयरी ब्रांड नंदिनी को भी दी है।
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अमूल और नंदिनी के सहयोग की कही बात
दरअसल, हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने कर्नाटक के मांड्या जिले में 260 करोड़ रुपये की लागत से बनी मेगा डेयरी का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर अमूल और नंदिनी मिलकर काम करें तो तीन साल में हर गांव के स्तर पर प्राइमरी डेयरियां होगी। आपको बता दें कि नंदिनी एक कर्नाटक का बड़ा डेयरी प्रोडक्ट बेचने वाला ब्रांड है। अमित शाह ने आगे कहा कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को अमूल से सभी तकनीकी सहायता और सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगर कर्नाटक और गुजरात इस दिशा में एक साथ आते हैं, तो इससे पूरे देश के किसानों को लाभ होगा।
शाह के बयान का विरोध
परंतु शाह के इस बयान को विपक्ष दलों में भी राजनीति करना शुरू कर दिया बना दिया। जो बातें अमित शाह कही ही नहीं उन बातों का विपक्ष ने जोरों शोरों से प्रचार प्रसार किया। कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने अंदेशा जताया कि गुजरात की दुग्ध कंपनी अमूल के साथ नंदिनी का विलय किया जा सकता है। परंतु कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कांग्रेस नेता की इस आशंका को खारिज कर दिया और कहा कि आने वाले सैकड़ों सालों तक नंदिनी की अलग पहचान बरकरार रहेगी। सीएम ने कहा कि अमूल के साथ नंदिनी का विलय किए जाने खबरें कल्पना मात्र हैं। सीएम बोम्मई ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान को गलत तरह से पेश किया जा रहा है। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
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देखा जाए तो कर्नाटक के लोगों के लीए नंदिनी केवल एक डेयरी ब्रांड नहीं है बल्कि यह कन्नड़ लोगों की भावनाओं से जुड़ी हुई है। यदि कर्नाटक का ये डेयरी ब्रांड पूरे देश लोगों की भावनाओं से जुड़ जाए तो इसमें बुराई क्या है? अगर नंदिनी पूरे देश में प्रसद्धि हासिल कर लें, अगर नंदिनी तकनीकी और तमाम क्षेत्रों में विश्व विख्यात डेयरी प्रोडक्ट कंपनी अमूल से सहयोग ले लेती है और इससे कर्नाटक के किसानों को भी लाभ मिलता है, तो इसमें गलत क्या है? विपक्ष के द्वारा नंदिनी के विस्तार के विरुद्ध दिए जा रहे बयानों के बाद कई तरह के सवाल उत्पन्न होते हैं।
कितना बड़ा है नंदिनी ब्रांड?
आपको बता दें कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन भारत की एक डेयरी सहकारी संस्था है, जो नंदिनी नाम से डेयरी प्रोडक्ट बेचती है। यह दुग्ध उत्पादकों का एक संघ है। कर्नाटक राज्य के लगभग हर जिले में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां हैं। इन समितियों के सदस्य किसानों से दूध एकत्रित करते हैं जिसके बाद नंदिनी नामक ब्रांड के नाम पर इन प्रोडक्ट को बेचा जाता है। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के पूरे कर्नाटक राज्य में 14 दुग्ध संघ हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के 24 लाख सदस्य हैं। राज्य के 22 हजार गांवों में इससे 14 हजार दूध उत्पादक और दूध सहकारी संगठन जुड़े हैं और इनसे हर दिन 84 लाख लीटर दूध की खरीद की जाती है। इस संस्था का दूध आस पड़ोस के दूसरे राज्यों में भी सप्लाई किया जाता है।
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जाहिर तौर पर नंदिनी कर्नाटक की एक बड़ी डेयरी प्रोडक्ट बेचने वाली बड़ी कंपनी है। नंदिनी कर्नाटक के लोगों का एक विश्वसनीय ब्रांड है जिसके चलते भविष्य में कंपनी की कामयाबी की संभावनाओं को देखते हुए अमित शाह ने कहा है कि अमूल और नंदिनी देश को लाभान्वित कर सकते हैं और इसका भाग्य बदल सकते हैं। अमूल ने गुजरात की दुग्ध सहकारी समितियों का भाग्य बदल दिया। गौरतलब है कि आज डेयरी उद्योग में अमूल का बोलबाला है। भारत के लगभग सभी इलाकों में आपको अमूल के उत्पाद देखने को मिल जाएंगे। अमूल आज जो इतना बड़ा ब्रांड गया है, उसके बनने की कहानी प्रेरणादायक है क्योंकि इस डेयरी की शुरुआत गुजरात के एक छोटे से गांव में हुई थी। अमूल की शुरुआत किसानों को अनेक प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ही की गई थी।
ऐसे में अगर कर्नाटक का नंदिनी ब्रांड अमूल के सहयोग और सलाह से एक साथ आगे बढ़ता है तो इससे किसान अधिक लाभान्वित होंगे और नंदिनी भी देश के विभिन्न राज्यों में अपनी एक पहचान बना लेगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नंदिनी को लेकर दिए बयान का विरोध करना एक तरह से नंदिनी के विकास में बाधा डालने जैसा साबित हो सकता है।
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