वृंदावन में श्रीबांके बिहारी कॉरिडोर का विरोध हो रहा है। बृजवासियों का कहना है कि कॉरिडोर बनने से वृंदावन ख़त्म हो जाएगा लेकिन क्या वास्तविकता में ऐसा है? क्या कॉरिडोर वृंदावन की पहचान को ख़तरा है? इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे श्रीबांके बिहारी कॉरिडोर का विरोध करना किसी भी तरह से सही नहीं है।
श्रीबांके बिहारी कॉरिडोर का विरोध
वृंदावन में स्थित श्रीबांके बिहारी मंदिर के आसपास उत्तर प्रदेश सरकार कॉरिडोर बनाने की योजना पर काम कर रही है। प्रदेश सरकार की योजना है कि मंदिर के आस-पास पांच एकड़ में कॉरिडोर बनाया जाए। इस कॉरिडोर का वृंदावन में विरोध हो रहा है। विरोध करने वाले ज्यादातर बृजवासी ही हैं। बृजवासियों का कहना है कि कुंज गलियां वृंदावन की पहचान हैं, कुंज गलियां उनकी धरोहर हैं, इन्हीं कुंज गलियों में भगवान कृष्ण खेले हैं इसलिए इन्हें नष्ट नहीं करने देंगे।
इसके साथ बृजवासियों का मानना है कि कॉरिडोर बनने से ठाकुरजी उनसे दूर हो जाएंगे अर्थात वृंदावन में जिन लोगों के घर श्रीबांके बिहारी मंदिर के पास हैं वो लोग प्रतिदिन ठाकुरजी के दर्शन कर लेते हैं अपनी छत से खड़े होकर भी और चार कदम चलकर भी।
ऐसे में यदि कॉरिडोर बनता है तो कई चीजें बदल जाएंगी। इसके साथ ही विरोध करने वालों में मंदिर के आसपास पेड़ा समेत दूसरी दुकानें लगाने वाले व्यापारी भी हैं। इन लोगों का कहना है कि पिछली कई पीढ़ियों से वो इन्हीं गलियों में व्यापार करते आए हैं। यदि कॉरिडोर बनता है तो उनका यह व्यापार खत्म हो जाएगा। सभी विरोध करने वालों के करीब-करीब यही बिंदु रहते हैं। अब आइए, समझते हैं कि क्यों श्रीबांके बिहारी कॉरिडोर आवश्यक है?
भगदड़ समस्या होगी खत्म
यदि आप वृंदावन गए होंगे तो आपने कुंज गलियों को देखा होगा। पतली-पतली गलियां हैं जिनमें तीन लोग एक साथ नहीं चल सकते जबकि ठाकुरजी के दर्शन करने लाखों भक्त हर दिन पहुंचते हैं। कुंज गलियां भक्तों से भरी रहती हैं। सुबह से लेकर रात तक गलियों में भीड़ ही भीड़ होती है।
इतनी भीड़ कि पैर रखने का स्थान तक नहीं बचता। ऐसे में कई बार वहां भगदड़ जैसी स्थिति भी बन जाती है। 20 अगस्त, 2022 को भी ऐसी ही भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई।
ऐसे में यदि कॉरिडोर बनने से श्रीबांके बिहारी मंदिर के आसपास की गलियां चौड़ी होती हैं- तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। पूरे वृंदावन की कुंज गलियों को चौड़ा करने की बात सरकार नहीं कर रही है सिर्फ श्रीबांके बिहारी मंदिर के आसपास की गलियों को चौड़ा करने की बात है।
व्यापार में होगी बढ़ोत्तरी
दूसरा बिंदु है कि श्रीबांके बिहारी कॉरिडोर बनने से व्यापार खत्म हो जाएगा। इसकी भी कोई तुक नहीं बनती क्योंकि यदि कॉरिडोर बनेगा तो और ज्यादा लोग ठाकुरजी के दर्शन के लिए वृंदावन पहुंचेंगे, जैसे कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने पर हमने देखा।
आज काशी में जाने वाले भक्तों की संख्या में बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कॉरिडोर हो या ना हो ठाकुरजी जिसे बुलाएंगे वो तो आएगा ही लेकिन यदि कॉरिडोर बन जाते है तो ज्यादा लोग पहुंचेंगे और ज्यादा लोग पहुंचने का सीधा अर्थ है- ज्यादा व्यापार।
कुप्रबंधन की समस्या भी होगी खत्म
एक और बिंदु है कि वृंदावन के लोगों के लिए ठाकुरजी दूर हो जाएंगे, यहां हमें समझना चाहिए कि ठाकुरजी विश्व के सभी सनातनियों के हैं। बृजवासियों के साथ-साथ यदि ठाकुरजी के भक्त दूसरे सनातनी भी बिना परेशानी के उनके दर्शन कर पाएं तो इससे समस्या ही क्या है?
ठाकुरजी बृजवासियों के पास ही रहेंगे। बृजवासियों को समझना चाहिए कि वर्तमान में जो श्रीबांके बिहारी मंदिर है उसकी क्षमता सिर्फ 400 लोगों की है और अब यहां लाखों लोग पहुंचते हैं।
ऐसे में कुप्रबंधन बहुत बड़ी समस्या है। तमाम भक्त तो ऐसे हैं जो सैकड़ों किलोमीटर दूर से वृंदावन तो पहुंच जाते हैं लेकिन भयंकर भीड़ और कुप्रबंधन की वज़ह से वो बिना ठाकुरजी के दर्शन के लौट आते हैं। कुंज गलियों की भीड़ से निकलकर किसी तरह आप मंदिर में पहुंच भी जाते हैं लेकिन मंदिर में घुसते ही भीड़ आपके ऊपर टूट पड़ती है। ठाकुरजी के दर्शन करना नामुमकिन-सा हो जाता है।
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वहीं, इस वक्त न ही वहां भक्तों के जूते-चप्पल उतारने की व्यवस्था है और न ही निकलने की। आप जिस गली से घुसे थे- उससे पांच गली पीछे जाकर निकलते हैं। ऐसे में सैकड़ों किलोमीटर दूर से आने वाले भक्त परेशान हो जाते हैं। कई बार तो भक्त बीमार भी पड़ जाते हैं।
पूरे क्षेत्र में बंदरों का डर, अव्यवस्था का माहौल, गाय और सांड़ों से भरी हुईं गलियां, गंदगी से उफनती नालियां और उन्हीं गलियों में लाखों की भीड़ स्थिति को बद से बदतर बना देती है।
ऐसे में श्रीबांके बिहारी कॉरिडोर, इस कुप्रबंधन को खत्म कर देगा और ऐसी व्यवस्था कायम होगी जिससे कि ठाकुरजी का प्रत्येक भक्त, भक्ति भाव से ठाकुरजी के दर्शन कर पाएगा। इसलिए बृजवासियों को कॉरिडोर का विरोध करने के बजाये उसके समर्थन में आना चाहिए।
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