कल्पना कीजिए आप एक ऐसे शहर में रहते हैं जहां आपके धर्म के अवाला दूसरे धर्मों के लोग भी हैं लेकिन आप जिस धर्म से संबंध रखते हैं वह उस शहर की अधिकतर आबादी वाला धर्म है यानी आप बहुसंख्यक समाज से संबंध रखते हैं। लेकिन अचानक आपको पता चले कि आप जिस धर्म से आते हैं उसकी आबादी तो वर्ष दर वर्ष कम हो रही है और दूसरे धर्म जो अल्पसंख्यक हैं, उनकी आबादी बढ़ती जा रही है तो ऐसे में आपको अपने भविष्य को लेकर, अपनी आने वाली पीढ़ियों को लेकर चिंता होगी।
डर लगेगा कि आने वाले समय में उन्हें अपने अधिकारों के लिए कहीं लड़ना न पड़ जाए? कल्पना और सवालों से इतर आपको बता दें कि यह कोई कल्पना नहीं बल्कि सत्य है। जी हां, ब्रिटेन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में बहुसंख्यकों की आबादी में काफी तेजी से गिरावट देखने को मिली है, जबकि मुस्लिम और अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कैसे ब्रिटेन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया में भी इस्लाम अपनी जड़े जमा रहा है।
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ऑस्ट्रेलिया में पैर पसार रहा इस्लाम
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया में हुई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार वहां की आबादी दो करोड़ 55 लाख हो गई है, जोकि वर्ष 2016 में दो करोड़ 34 लाख थी यानी कुल 21 लाख की वृद्धि हुई है। वहीं, दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया में बीते 50 वर्ष में पहली बार ऐसा हुआ है बहुसंख्यक ईसाई आबादी 50 प्रतिशत से कम हुई है जोकि कभी 90 प्रतिशत हुआ करती थी। यही नहीं, ऑस्ट्रेलिया के अल्पसंख्यक धर्मों की जनसंख्या में भी इजाफा देखने के लिए मिला है। खासकर मुस्लिम समुदाय की आबादी में ज्यादा इजाफा देखने के लिए मिला है। मुद्दे को पूर्णरूप से समझने के लिए सबसे पहले जनगणना के आंकड़ों को समझना बेहद जरूरी है। आइए उस पर गौर करते हैं-
ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (ABS) की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी में सबसे अधिक 43.9% ईसाई, 38.9% नास्तिक जो किसी धर्म को नहीं मानते, 3.2% इस्लाम, 2.7% प्रतिशत हिंदू और 2.4% बौद्ध धर्म के लोग हैं। यानी सरकारी आंकड़ों के अनुसार ईसाई और नास्तिकों के बाद ऑस्ट्रेलिया में सबसे अधिक जनसंख्या इस्लाम को मानने वाले लोगों की है, जोकि पांच वर्ष पहले 2016 में हुई जनगणना के अनुसार 2.6% थी।
ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती मुस्लिम आबादी का वहां की नीतियों पर प्रभाव देखने के लिए ब्रिटेन का जनसंख्या अनुपात और वहां पैदा हुए हालात को समझना बेहद ही आवश्यक है। ज्ञात हो कि वर्ष 2021 में ब्रिटेन में हुई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, बहुसंख्यक ईसाइयों की जनसंख्या 59.3% से घटकर 46% पर पहुंच गई। वहीं, दूसरी ओर मुस्लिम आबादी 27 लाख से बढ़कर 39 लाख पहुंच गई जोकि कुल जनसंख्या का 6.5% है। अब आप सोच रहे होंगे कि 6.5% ही तो है इससे क्या होगा।
ब्रिटेन में कोहराम मचा रहे हैं इस्लामिस्ट
यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप भ्रम में हैं और इस्लामिस्टों द्वारा इंग्लैंड में किए गए बवाल अनभिज्ञ है। क्योंकि 28 अगस्त 2022 को एशिया कप के मैच में पाकिस्तान के हारने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ब्रिटेन के लीसेस्टर शहर में रहने वाले हिंदुओं को अपना निशाना बनाया था। लेकिन इसके बावजूद भी ब्रिटेन में अल्पसंख्यकों की राजनीति करने वाले लोगों ने लंदन के क्रिकेट ग्राउंड लॉर्ड्स में पहली इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। यानी इंग्लैंड का इस्लाम प्रेम ही वहां के मूल निवासियों या यूं कहें कि ईसाइयों को डूबो रहा है। अब ऑस्ट्रेलिया में भी उनकी आबादी बढ़ते जा रही है और उसके पीछे तुष्टीकरण की राजनीति एक बड़ा कारण है।
ऐसे में यदि आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया में भी हालात ब्रिटेन जैसे देखने को मिलने लगे तो आश्चर्यचकित मत होइएगा। ऑस्ट्रेलिया की मूल आबादी का ग्राफ काफी तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। पिछले 50 वर्षों में उनकी आबादी 90 से 50 फीसदी के नीचे आ गई है, जो ऑस्ट्रेलिया जैसे देश की स्थानीय आबादी के लिए घातक है। इसके अलावा यह ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले हिंदुओं के लिए भी बहुत ही घातक है। ऐसे में अब ऑस्ट्रेलियाई सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करते हुए सख्त कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है।
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