मिलिए इतिहासकार जेम्स मिल से, जो एक बार भी भारत नहीं आए लेकिन भारत का इतिहास लिख डाला

जेम्स मिल की भारत को लेकर लिखी इतिहास की किताबों को लुगदी साहित्य से ज्यादा और कुछ नहीं कहा जा सकता!

James Mill the historian who wrote India’s history without visiting India

Source- TFI

इतिहास लेखन करने वाले लोग आमतौर पर यही मानते हैं कि किसी भी देश, काल व स्थान का इतिहास लिखने से पहले उसके बारे में गहन अध्ययन करना व उस स्थान पर जाकर उसका भ्रमण करना और व्यवस्थित शोध करना बेहद आवश्यक कार्य होता है। यदि ऐसे में कोई भी इतिहासकार या लेखक इस प्रक्रिया का अनुसरण किए बिना ही इतिहास लेखन करता है तो उसे कपोल-कल्पना क्यों नहीं कहा जाना चाहिए? इसीलिए आज हम एक ऐसे ही तथाकथित विद्वान व इतिहासकार जेम्स मिल (James Mill) द्वारा लिखी इतिहास की एक किताब के बारे में बात करने जा रहे हैं।

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दरअसल, जेम्स मिल (James Mill) स्कॉटलैंड का एक विचारक, अर्थशास्त्री और इतिहासकार था। इसका जन्म 6 अप्रैल 1773 को स्कॉटलैंड में हुआ था और मृत्यु 23 जून 1836 को इंग्लैंड में हुई थी। मिल ने अपने जीवनकाल में वैसे तो कई प्रकार की अलग-अलग थ्योरी दीं लेकिन जेम्स मिल (James Mill) को मुख्य रूप से 1817 में लिखी “ब्रिटिश भारत का इतिहास” (The History of British India) नामक किताब लिखने के लिए जाना जाता है। जेम्स ने इस किताब को तीन भागों में विभाजित किया और भारत में अंग्रेजी औपनिवेशिक काल के इतिहास को बढ़ा-चढ़ाकर लिखा है।

एक समय था जब जेम्स मिल (James Mill) की यह किताब भारत के औपनिवेशिक काल के इतिहास का उदाहरण हुआ करती थी। लेकिन जब भारतीय इतिहासकारों ने इसका मूल्यांकन किया तो ये पाया कि जेम्स पूर्वाग्रहों से ग्रसित और इतिहास को बिना जांच परख के कल्पनाओं के आधार पर लिखने वाले इतिहासकार थे। मिल का इस किताब को लिखने का एक मात्र उद्देश्य भारत में अंग्रेजी शासन को वैधता प्रदान करना और भारतीय संस्कृति को निम्न स्तर की संस्कृति बताना था, जोकि जेम्स ने अपनी किताब में किया बड़ी स्पष्टता से किया है।

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किताब में जेम्स मिल (James Mill) ने क्या लिखा है?

जेम्स मिल (James Mill) ने दिल्ली को केंद्र में रखकर भारत के इतिहास को तीन काल-खंडों में विभाजित किया है। पहला हिंदू, दूसरा मुस्लिम और तीसरा अंग्रेंजी। जोकि इतिहास की दृष्टि से एकतरफा और पूर्णरूप से गलत है। क्योंकि भारत के इतिहास में दिल्ली कभी भी पूर्ण रूप से शासन के केंद्र में नहीं रहा है। भारत में जब हिंदू राजाओं का शासन था तब भी सत्ता का कोई एक केंद्र नहीं हुआ करता था बल्कि कई अलग-अलग छोटे-बड़े राज्य हुआ करते थे। इसके अलावा जेम्स ने यह भी लिखा है कि अंग्रेजी काल से पहले भारत के लोग असभ्य और सामाजिक बुराइयों के साथ जी रहे थे। इसलिए भारतीयों को सभ्य बनाने के लिए अंग्रेज भारत आए हैं। यही नहीं जेम्स ने यहां तक लिखा है कि अंग्रजों को भारत के हर एक राज्य पर कब्जा कर वहां के लोगों को सभ्य बनाना आवश्यक है।

जेम्स कभी भारत नहीं आया था

जेम्स मिल (James Mill) की किताब “ब्रिटिश भारत का इतिहास” को अगर कपोल-कल्पना कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि वह अपने जीवन में कभी भी भारत नहीं आया था। उसने इंग्लैंड में ही बैठे-बैठे इस किताब की रचना की थी। इसलिए उसके सभी तर्क हास्यास्पद लगते हैं। जो व्यक्ति कभी भारत नहीं आया, उसने यहां की जलवायु को महसूस नहीं किया, यहां लोगों से परिचय नहीं हुआ फिर भी भारत के लोगों और यहां की संस्कृति पर टिका-टिप्पणी करना किसी संवेदनशील इतिहासकार का काम तो नहीं हो सकता है।

यदि जेम्स मिल (James Mill) की किताब “ब्रिटिश भारत का इतिहास” के बारे में संक्षेप में कहा जाए तो वर्तमान समय में इस किताब को पूर्ण रूप से नकार देना चाहिए। क्योंकि जेम्स ने जिस प्रकार एकतरफा और पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर इस किताब की रचना की है वो भारत का इतिहास तो नहीं हो सकती। क्योंकि जिस भारत के बारे में यह कहा जाता है कि “कोस कोस पर बदले पानी तीन कोस पर वाणी” उसका भ्रमण किए बिना और यहां की विविधता को समझे बिना इतिहास लिखना बचकाना और हास्यास्पद है।

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