“केजरीवाल ने कांग्रेसी नेता को दिए 19 करोड़”, पानी की तरह करदाताओं का पैसा बहा रही है AAP सरकार

शराब घोटाले को डिफेंड करवाने के लिए केजरीवाल ने अकेले अभिषेक मनु सिंघवी को 19 करोड़ दे दिए। पढ़िए, पूरा लेखा-जोखा।

‘Kejriwal gave 19 crores to Congress leader’, AAP government once again indulges in exploiting taxpayers’ money

SOURCE TFI

New Liquor Policy of Delhi: आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ईमानदार और उनकी आम आदमी वाली छवि से पर्दा उठता हुआ दिख रहा है। शराब नीति में घोटाले के आरोपों के बाद अब एक नई खबर सामने आयी है जिसके अनुसार आरोप लगते हैं कि पिछले डेढ़ साल में दिल्ली सरकार ने वकीलों को 28 करोड़ रुपये फीस के रूप में भुगतान किए हैं। मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केजरीवाल सरकार ने 28 में से 25 करोड़ रुपये शराब नीति (New Liquor Policy of Delhi) से जुड़े मामले पर खर्च किए हैं। आइए इस मामले को विस्तार से समझते हैं।

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नयी शराब नीति और विवाद

दरअसल, साल 2021 में दिल्ली सरकार पुरानी शराब नीति के स्थान पर एक नयी शराब नीति (New Liquor Policy of Delhi) लेकर आयी थी। जिसके अंतर्गत दिल्ली में सरकारी शराब की दुकानों को हटाकर उनके स्थान पर प्राइवेट दुकानें खोली गई थीं। यही नहीं नई पॉलिसी के अंतर्गत होटलों के बार, क्लब्स और रेस्‍टोरेंट्स को रात के 3 बजे तक खोलने की मंजूरी दी गई थी। साथ ही बार में किसी भी तरह के मनोरंजन का इंतजाम किया जा सकता था। लेकिन केजरीवाल की ये हसरत पूरी होते-होते रह गई।

दरअसल, दिल्ली में सरकारी शराब की दुकानों के स्थान पर प्राइवेट दुकानें भी खोली गईं। लुभाने के लिए लोगों को एक पर एक फ्री और बड़ी बोतल पर छोटी बोतल फ्री जैसे ऑफर भी दिए गए। कुछ समय तक दिल्ली के लोगों ने इस नई शराब नीति (New Liquor Policy of Delhi) का जमकर आनंद भी लिया लेकिन जब विपक्ष ने नयी शराब नीति को लेकर हंगामा किया तो यह मामला तूल पकड़ता चला गया। वहीं दूसरी ओर दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जब शराब नीति में सात बड़ी कमियां बताते हुए अपनी रिपोर्ट सौंपी और उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने रिपोर्ट के आधार पर मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की तो केजरीवाल ने नई शराब नीति को वापस लेने की घोषणा कर दी।

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ईडी ने भी केस दर्ज किया था

सीबीआई के बाद ईडी ने भी इस मामले को लेकर केस दर्ज किया था। शराब घोटाले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और अबकारी विभाग को संभाल रहे मनीष सिसोदिया आरोपी हैं, इनसे पूछताछ भी की गई थी। हालांकि यह मामला अभी कोर्ट के समक्ष है और इस पर फैसला आना बाकी है। साथ ही जो नई रिपोर्ट आई है वो इसी मामले से जुड़ी हुई है जिसे लेकर अब केजरीवाल सवालों के घेरे में हैं। केजरीवाल पर आरोप हैं कि दिल्ली की जनता के टैक्स के पैसे को निजी लाभ के लिए उपयोग में लाया गया है।

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Delhi Liquor Policy: क्या है पूरा मामला?

दिल्ली सरकार को लेकर एक रिपोर्ट सामने आयी है जिसके अनुसार साल 2021-22 और 2022-23 में दिल्ली के पर्यावरण, शहरी विकास और सामाजिक कल्याण जैसे विभिन्न विभागों ने कानूनी लड़ाई पर कुल 28 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। केजरीवाल सरकार पर आरोप है कि 28 में से 25 करोड़ रुपये शराब घोटाले की कानूनी लड़ाई पर खर्च किए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार साल 2021-22 में 14.85 करोड़ रुपये और बाद में 4.1 करोड़ रुपये का भुगतान कांग्रसी नेता और सुप्रीम कोर्ट में वकील अभिषेक मनु सिंघवी को किया गया। यह राशि लगभग 19 करोड़ होती है। वहीं, राहुल मेहरा को साल 2020-21 में 2.4 लाख रुपये और साल 2021-22 में 3.9 करोड़ रुपये फीस के तौर पर दिए गए थे। सबसे अंत में राहुल मेहरा को 1.3 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इस भुगतान के चलते अब कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। केजरीवाल सरकारी खजाने के पैसे को मुफ्त का धन समझकर यूं हीं उड़ाए जा रहे हैं। हालांकि केजरीवाल ने अभी इस मामले पर कुछ नहीं कहा है।

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जनता के पैसे से अपना प्रचार

सरकारी पैसे का निजी कार्यों के लिए उपयोग में लाने की केजरीवाल की पुरानी आदत लगती है, क्योंकि भूतकाल में ऐसे और भी आरोप उन पर लगते रहे हैं। आप किसी भी समाचार पत्र को उठाकर देख लीजिए दो नारों के साथ केजरीवाल का चेहरा देखने के लिए मिल जाएगा। अरविंद केजरीवाल पर ‘जनता के पैसे से अपना प्रचार’ करने का आरोप लगता रहा है। वहीं शराब नीति को लेकर सामने आए इस मामले को लेकर भी उन पर जनता के पैसे पानी की तरह बहाने का आरोप लग रहा है। ऐसे में साफ-साफ दिखता है कि कैसे आप सरकार एक बार फिर करदाताओं के पैसे का शोषण करने में लगी हुई है।

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