अगर आपने ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ देखा है, तो आपने शिक्षक आत्माराम तुकाराम भिड़े को अवश्य देखा होगा। जब भी वह समाज में होती उथल पुथल को देखते, तो वे निराश होकर अपने समय के परिस्थितियों की प्रशंसा करने लगते हैं और कहते हैं- “अरे हमारे जमाने में ऐसा होता था”, “हमारे ज़माने में वैसा होता था”। आप सोच रहे होंगे कि इस समय हम भिड़े मास्टर की याद कहां से आई, तो हमारे देश में आज भी कुछ बुद्धिजीवी हैं, जो बदलते हुए भारत और उसके विचारों से सहमत नहीं है और उसे “भारत के लिए हानिकारक मानते हैं”, जिनमें से एक नृत्यांगना मल्लिका साराभाई (Mallika Sarabhai) भी है।
हाल ही में भारत की वर्तमान परिस्थितियों पर चिंता जताते हुए मल्लिका साराभाई ने कोलकाता में आयोजित एक साहित्य समारोह में कहा कि भारत के “आदर्शों को नष्ट किया जा रहा है”। आपको बता दें कि मल्लिका साराभाई बहुचर्चित वैज्ञानिक विक्रम साराभाई एवं उनकी पत्नी, पूर्व नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई की बेटी हैं। मल्लिका के अनुसार, “आज मैं जो कुछ भी देख रही हूं वह मुझे पूरी तरह से निराश कर रहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि भारत में हमारे आदर्शों का पूर्ण विनाश होगा। इतने सारे लोग विज्ञापन और ब्रांड-निर्माण की महिमा से अंधे हो गए हैं”।
और पढ़ें: “मुख्य आतंकवादी हिंदू हैं…” ‘कट्टर किताब’ लिखने वाली फरहत खान की गिरफ्तारी से आगे भी कुछ करना होगा
कोलकाता की गुजरात से तुलना
विचार तो बड़े अच्छे हैं, इसे सुनकर सभी को लगेगा कि कुछ तो गड़बड़ है हमारे देश में। परंतु ऐसा क्या दिख गया था उन्हें, जो भारत की दशा पर उन्हें इतना चिंतन करना पड़ा? इसका उत्तर स्वयं मल्लिका (Mallika Sarabhai) ने देते हुए कहा- “कोलकाता आना और यहां विभिन्न धर्मों के लोगों को साथ-साथ रहते देखना बहुत अच्छा लगता है, जो मैं गुजरात के अहमदाबाद में इस तरह से नहीं देखती। कोलकाता ने हमेशा मुझे दुनिया के किसी भी हिस्से से ज्यादा प्यार दिया है। मेरे कई दोस्त जेल में हैं, सवाल पूछने के लिए उनके ऊपर मुकदमें होते हैं। हिंदू धर्म प्रश्न पूछने के बारे में है, जैसा कि हमारे शास्त्रों में दिखाई देता है। दुर्भाग्य से आज हिंदुत्व को हिंदू धर्म बना दिया है और उसे लोगों पर थोपा जाता है।”
मल्लिका जी, कृप्या बता दें कि यह 2022 है, 2010 नहीं, जहां आप कुछ भी बोलेंगी और लोग उसे सहर्ष स्वीकार लेंगे। जिसे आप हिन्दुत्व का नाम देकर सनातन धर्म को अपमानित कर रही हैं, वह वास्तव में उस तुष्टिकरण का विरोध है, जिसके पीछे अगर सदियों से नहीं, तो स्वतंत्रता के पश्चात सनातनियों को अवश्य अपमानित किया जाता है एवं अगर वे विरोध करें तो उन्हें फासीवादी, कम्युनल सिद्ध करने के अनेक जतन किये जाते हैं।
Mallika Sarabhai को कट्टरपंथियों के कुकर्म नहीं दिखते?
इसके अतिरिक्त मल्लिका महोदया को तनिक उदयपुर, दिल्ली एवं झारखंड की ओर भी ध्यान देना चाहिए, जहां इनके आरोपों के ठीक विपरीत कट्टरपंथी त्राहिमाम मचा रहे हैं और भारत की छवि को तार तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हम नहीं भूले हैं कि कैसे 2020 में CAA के विरोध के नाम पर दिल्ली के पूर्वोत्तर में दंगे भड़काए गए थे, जिसका प्रमुख उद्देश्य था भारतीयता पर उंगली उठाना एवं भारत की छवि को भारत के दौरे पर आए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समक्ष गिराना।
और पढ़ें: कट्टरपंथी इस्लामिस्ट अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित कर रहे हैं, इसका उपचार होना ही चाहिए
हम नहीं भूले हैं उदयपुर का वो हत्याकांड, जहां एक दर्जी कन्हैयालाल की जघन्य हत्या सिर्फ इसलिए की गई, क्योंकि उसके घर से कथित तौर पर नूपुर शर्मा के समर्थन में संदेश गए थे। जिस नूपुर शर्मा ने काशी विश्वनाथ पर निरंतर अपमान के विरुद्ध एक मौलवी को उसी की भाषा में जवाब दिया, उसे आज स्वच्छंद होकर निकलने हेतु एक बंदूक की आवश्यकता पड़ रही है, क्या यह “भारत के आदर्शों के विरुद्ध” नहीं है? झारखंड में एक मुस्लिम लड़के से बात न करने पर एक हिन्दू लड़की के साथ क्या हुआ और तद्पश्चात उसके परिवार का दुख दर्द कम करने के बजाए स्थानीय प्रशासन ने जो किया, क्या वो “भारत के आदर्शों के विरुद्ध” नहीं है मल्लिका साराभाई?
इसके अतिरिक्त “जिन साथियों” के हिरासत की वो दुहाई दे रही है, वह कौन है, इसका भी उन्होंने कोई विवरण नहीं दिया। यदि इनके साथी वो वामपंथी है जो “भीमा कोरेगांव” के नाम पर महाराष्ट्र में हिंसा भड़का रहे थे, तो ये भारत के लिए शुभ संकेत नहीं। यदि इनके साथी वो कट्टरपंथी हैं, जो भारत की समूल न्याय प्रणाली एवं सुरक्षा तंत्र को ही नष्ट करना चाहते हैं, तो ये भी अच्छी बात नहीं और इस पर न केवल मल्लिका को खुलकर सामने आना होगा, अपितु भारतीय प्रशासन को भी सतर्क रहना होगा।
हो सकता है कि वो मल्लिका साराभाई (Mallika Sarabhai) ने बहुत दिनों से खबरों पर ध्यान न दिया हो। देश की वर्तमान परिस्थितियों से वो शायद परिचित न हों। इसलिए वो इस तरह के बयान दे रही हों। परंतु मल्लिका साराभाई के लिए ये अब अति आवश्यक है कि वो अपने ज्ञान चक्षु खोल लें।
और पढ़ें: ‘मुसलमानों के साथ मेरा रिश्ता वैसा ही है जैसा…’, जानें कट्टरपंथी इस्लाम से कैसे निपट रहे हैं योगी?
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।