हिंदुओं की भावनाओं को कैसे आहत करें, आइए इस बारे में वामपंथियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले तरीके को स्टेप बाई स्टेप जान लेते हैं। बहुत सरल गाइड है, बस पांच स्टेप को फॉलो करना होगा–
1) सर्वप्रथम, किसी भी घटना का सम्पूर्ण विश्लेषण करें।
2) यदि पात्र और घटना आपके एजेंडे के अनुरूप न हो तो ऐसे निकाल फेंकिए, जैसे चाय में से मक्खी
3) यदि आप द्वितीय स्टेप से संतुष्ट नहीं हैं तो मूल पात्रों के विचारों और उनके पृष्टभूमि को ही परिवर्तित कर दीजिए।
4) बिना ढिंढोरा पीटे इसे अपनी रुचि के अनुरूप जनता के सामने प्रस्तुत कर दीजिए– OTT, सिनेमा, पुस्तक, वेबसाइट इत्यादि के माध्यम से।
5) बधाई हो, आपका एजेंडा सफल हुआ और इस तरह सनातन धर्म की छवि पर पुनः बट्टा लगा!
और पढ़ें- “उन्होंने बलात्कारी को वोट दिया” लिबरल गैंग भाजपा की जीत के लिए गुजरातियों को गालियां दे रहा है
‘क्राइम पेट्रोल’ रंगे हाथों पकड़ा गया
चौंक गए क्या? ये हमारे विचार नहीं, ये वो स्टेप बाई स्टेप गाइड है जिसके माध्यम से सनातन धर्म को येन केन प्रकारेण मलिन करने के अनेक प्रयास किये जाते हें। ऐसा करते हुए हाल ही में सोनी लिव/सोनी एंटरटेन्मेंट टेलेविजन पर प्रसारित होने वाला ‘क्राइम पेट्रोल’ रंगे हाथों पकड़ा गया है और इसके लिए उसे बहुत खरी-खोटी भी सुननी पड़ी है।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे वामपंथी शैली में हिंदुओं की भावनाओं को बड़ी ही चालाकी से आहत कर दिया जाता है और लोगों के दिमाग में धीमे विष की भांति अपने एजेंडे को स्थापित किया जाता है।
हाल ही में ‘क्राइम पेट्रोल’ पर एक एपिसोड प्रसारित किया गया, जिसमें एक युवती को उसका प्रेमी मार देता है और उसके बाद उसके शव के साथ वो बर्बरता करता है, जिसके बारे में सुनकर कोई भी व्यक्ति सहम जाता है। परंतु एक क्षण रुकिए, यह घटना सुनी-सुनी सी नहीं लगती? कैसे नहीं लगेगा- ये कथा उसी श्रद्धा वाकर की थी जिसके ‘प्रेमी’ आफताब आमीन पूनावाला ने न केवल उसकी हत्या की, अपितु उसके शव के पैंतीस टुकड़े करके उसे कई स्थानों पर फेंका, इसके अतिरिक्त अनेक लड़कियों से संबंध भी रखे। फिलहाल आरोपी आफताब पुलिस की कस्टडी में है और मामले की कार्रवाई जारी है।
परंतु इसका ‘क्राइम पेट्रोल’ से क्या लेना देना है ऐसा क्या हुआ है जिसके पीछे सोनी नेटवर्क की खूब भद्द पिटी है? दरअसल इसी प्रकरण पर इस शो पर एक एपिसोड प्रसारित हुआ, जिसको लेकर खूब हंगामा हुआ। यह एपिसोड अंतत: सोनी नेटवर्क को लगभग सभी प्लेटफॉर्म्स से डिलीट करना पड़ा।
और पढ़ें- पाकिस्तानी क्रिकेटर नहीं ‘मौलाना’ कहिए, मैदान पर ऐसे बढ़ाते हैं ‘इस्लामिस्ट एजेंडा’
केस का सम्पूर्ण समीकरण ही पलट दिया
असल में श्रद्धा – आफताब केस का ‘क्राइम पेट्रोल’ ने सम्पूर्ण समीकरण ही पलट दिया। मूल केस में पीड़ित श्रद्धा हिन्दू थी, अपराधी मुसलमान एवं जिस व्यक्ति ने इस अपराध की पुलिस को जानकारी दी वो भी हिन्दू था।
परंतु ‘क्राइम पेट्रोल’ के उक्त एपिसोड में पीड़ित लड़की का नाम बदलकर एना फर्नांडिस कर दिया गया और धर्म बदलकर ईसाई कर दिया गया। वहीं, आरोपी का नाम मिहिर कर दिया जो योग भी सिखाता है, वह हावभाव से भी हिन्दू प्रतीत हो रहा था। और तो और जिस व्यक्ति ने इस अपराध की जानकारी पुलिस को दी थी, वह हिन्दू से मुसलमान बना दिया गया। मूल घटना मुंबई-दिल्ली से जुड़ी हुई है, जबकि इस एपिसोड में इसे अहदाबाद-पुणे कर दिया गया। बताइए, क्या यह अपना एजेंडा साधना नहीं हुए?
एपिसोड में दोनों को एक मंदिर में शादी करते हुए दिखाया गया। शादी के बाद एना और मिहिर पुणे शिफ्ट हो जाते हैं। ये तो कुछ भी नहीं है, इसी एपिसोड में मिहिर की माँ को एक कट्टर हिंदू के रूप में दिखाया गया है, जबकि यह सभी जानते हैं कि आफताब एक मुस्लिम था और श्रद्धा हिंदू। दोनों मुबंई से दिल्ली आए थे। यहां आकर आफताब ने अपनी लिव-इन पार्टनर की बेरहमी से हत्या की थी। इस एपिसोड को प्रसारित करने के तो दो ही स्पष्ट कारण दिखते हैं– पहला ये कि वर्तमान केस पर अपने राजनीति की रोटी सेंकी जा सके, दूसरा ये कि एक निश्चित एजेंडे के अंतर्गत सनातन धर्म और उसके अनुयाइयों को क्रूर, कपटी एवं बर्बर सिद्ध किया जा सके।
और पढ़ें- दर्शकों के सामने अपना एजेंडा परोसने वाले टीवी चैनलों की अब एक नहीं चलेगी
स्ट्रीम होते ही बवाल मच गया
परंतु वो क्या है न कि अभी-अभी 2022 गया है और 2023 में हम जी रहे है। 90 का दशक या 2000 का समय तो है नहीं कि न इंटरनेट का प्रसार होगा, न सोशल मीडिया का प्रभाव होगा। यह एपिसोड और उसके अंश जैसे ही स्ट्रीम हुए, लोगों ने तुरंत इसके पीछे का एजेंडा भांप लिया और आक्रोश से भरकर सोनी टीवी के विरुद्ध नारेबाजी की। कुछ लोग तो ट्विटर पर #BoycottSonyTV भी ट्रेंड कराने लगे। अब सोनी नेटवर्क का तो हाल मरता क्या न करता वाला हो गया। उसे विवशता में उक्त एपिसोड को हटाना पड़ा एवं उसके अधिकतम अंश भी सोशल मीडिया से डिलीट करने पड़े।
It seems @SonyLIV deleted #CrimePatrol 2.0 in which #ShraddhaWalkar murder case was twisted to show Hindu man Mihir killed his Christian live-in partner.
It had fired up digital world n @GemsOfBollywood had led the strike! #Hindumisia growing in Bharat!https://t.co/v1oQD9OExp— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) January 2, 2023
परंतु आपको क्या लगता है, ये कथा यहीं पर समाप्त हो गई? नहीं, ये तो केवल एक अंशमात्र है, असल में हिंदुओं की छवि को मलिन करने की नीति का अक्षरश: ‘क्राइम पेट्रोल’ के उक्त एपिसोड में पालन किया गया है। वहीं अगर इसका ठीक उल्टा कर दें, तो देखिए कितना बवाल मचता है। ज्यादा कुछ नहीं, एक फिल्म ‘हम दो हमारे बारह’ का पोस्टर को याद करिए जो कुछ माह पूर्व आया था। जिसमें जनसंख्या में असामान्य बढ़ोत्तरी पर व्यंग्य करने की बात की जा रही थी पर चूंकि पोस्टर के केंद्र में एक मुस्लिम परिवार था तो बवाल हो गया।
और पढ़ें- चक दे इंडिया: एजेंडा था मुस्लिमों को विक्टिम दिखाना, पर राष्ट्रवाद ने इसे सफल बना दिया
जोधा अकबर, चक दे इंडिया, जय भीम और शेरनी
जोधा अकबर फिल्म याद है, जिसमें एक प्रेमी के रूप में अकबर को दिखाया गया था और इस फिल्म के माध्यम से उस क्रूर अकबर को महान बताने के प्रयास में कोई कमी नहीं की गयी थी। मनोरंजन के नाम पर अपने एजेंडे को फिल्म में डालकर बड़ी ही चालाकी से लोगों तक पहुंचा दिया गया। यदि चक दे इंडिया, जय भीम जैसे फिल्मों के घृणित एजेंडा पर प्रकाश डालने बैठे तो घंटों बीत जाएंगे।
‘शेरनी’ के बारे में सुना है? नहीं, तो आपको बता दें कि 2021 में एमेजॉन प्राइम पर एक फिल्म आई थी, जिसमें विद्या बालन मुख्य भूमिका में थी, और विजय राज एवं शरत सक्सेना जैसे लोग अन्य भूमिकाओं में थे। ये एक नरभक्षी बाघिन के शिकार के बारे में थी, जिसकी वास्तविकता का पड़ताल करने के लिए एक फॉरेस्ट अफसर कुछ समाजसेवियों के साथ जुट जाती है।
यह फिल्म मूल रूप से नरभक्षी बाघिन अवनी के मारे जाने पर आधारित थी, जिसमें फॉरेस्ट अफसर के एम अभर्ना हिन्दू थी, उनकी सहायता करने वाले समाजसेवी भी हिन्दू थे, और सबका ध्येय एक ही था – उक्त क्षेत्र को अवनी नामक बाघिन के आतंक से मुक्त कराना। परंतु फिल्म में हुआ ठीक उल्टा। मूल नायिका को छोड़कर कोई भी बाघिन के आतंक से मुक्त कराने को उत्सुक नहीं था, न ही वन विभाग को समस्या को जल्द से जल्द सॉल्व करने का कोई मन था।
और पढ़ें- मुग़ल-ए-आज़म ऐतिहासिक फिल्म के ऊपर सेक्युलर मजाक है
एजेंडा ही एजेंडा
इतना ही नहीं, जिस शिकारी पर अवैध रूप से शिकार करने का आरोप लगा था, उसका धर्म भी बदलकर हिन्दू कर दिया गया। इसके अतिरिक्त जिस अफसर ने इस केस को सॉल्व किया, उसका पंथ बदलकर ईसाई कर दिया गया, और उसकी सहायता करने वाले एक प्रमुख समाजसेवी को मुस्लिम बना दिया गया, जबकि सहायक वनकर्मी वास्तव में एक हिन्दू था, जिसका नाम था एके मिश्रा।
ये तो कुछ भी नहीं है, अगर अनुभव सिन्हा के ‘आर्टिकल 15’ को आप ध्यान से देखें, तो आपको समझ में आएगा कि सनातनियों को अपमानित करने का यह खेल कितना विकट है। धर्म तो धर्म, एजेंडाधारी जाति बदलने तक से नहीं हिचकिचाते। ऐसे बुद्धिजीवियों/फ़िल्मकारों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तभी होंगी, जब उन्हें सनातनियों को अपमानित करने की खुली छूट हो, और दूसरे पक्ष की गलतियों को दिखाना पाप मान लिया जाए।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।