रक्षा क्षेत्र का आधुनिकीकरण सही दिशा में है, बस गति और तेज करने की आवश्यकता है

समझिए क्यों?

Modernisation of Indian defence needs a booster dose

SOURCE TFI

भारत रक्षा बजट: बीते कुछ वर्षों में भारत के रक्षा उद्योग और रक्षा क्षमताओं में बहुत बढ़ोतरी देखने को मिली है, भारत मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को केंद्र में रखकर रक्षा क्षेत्र के विकास कार्यों को आगे बढ़ा रहा है। लेकिन कुछ रिपोर्ट पर जब हम ध्यान देते हैं तो पाते हैं कि भारत के पड़ोसी देशों ने रक्षा क्षेत्र में अधिक जोर लगाया है। इस रिपोर्ट पर ध्यान देने पर इस बात को सरलता से आंका जा सकता है कि भारतीय रक्षा का आधुनिकीकरण तो हो रहा है लेकिन इसकी गति को तीव्र करने की आवश्यकता है। ऐसा कहने के पीछे के सदर्भ को समझने के लिए पहले हमें उस रिपोर्ट को जानना होगा जिसमें सैन्य ताकत के तहत देशों की सूची निकाली गई है।

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चौथे स्थान पर भारत

हाल ही में ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स की रिपोर्ट निकली जिसके अनुसार भारत को चौथे स्थान पर रखा गया है, जबकि भारत का प्रतिद्वंद्वी चीन दूसरे स्थान पर और पाकिस्तान सातवें स्थान रखा गया है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स (जीएफपी) दुनियाभर के सभी देशों की सैन्य ताकतों के विभिन्न कारकों जैसे सक्रिय सैनिकों, टैंकों, विमानों और नौसैनिक संपत्तियों की संख्या और वित्तीय और रसद क्षमताएं आदि पर विचार करके उनको एक रैंकिंग प्रदान करता है।

इतना ही नहीं जीएफपी का मुख्य उद्देश्य देशों की सापेक्ष सैन्य ताकत पर एक व्यापक और निष्पक्ष नज़र डालना होता है। इसका उपयोग अक्सर सैन्य विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों और शोधकर्ताओं द्वारा संदर्भ के रूप में किया जाता है। लेकिन यहां एक प्रश्न ये उठता है कि भारत अपनी रक्षा क्षमताओं में बढ़ोतरी तो कर रहा है लेकिन फिर भी वो चीन से पीछे कैसे रह गया? पाकिस्तान इस सूची में सातवें स्थान पर कैसे आया? सूची को देखकर ध्यान देना होगा कि भारतीय रक्षा का आधुनिकीकरण तो हो रहा है लेकिन इसकी गति थोड़ी धीमी है।

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भारत का रक्षा खर्च चीन से बहुत कम है

हालांकि अभी हाल ही में डीआरडीओ और डीएसी के तत्वावधान में भारत की रक्षा क्षमताओं में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस, मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) आदि बड़े सुधार सामने आए है। भारतीय रक्षा का आधुनिकीकरण तो हो रहा है लेकिन उसमें भारत के रक्षा खर्च की गति बहुत धीमी है। कई रिपोर्टों के अनुसार,  चीन के विपरीत भारत का रक्षा खर्च करीब-करीब 80 अरब डॉलर था, वहीं चीन का बीते वित्त वर्ष में करीब 300 अरब डॉलर था, इस तरह चीन का सैन्य खर्च भारत की अपेक्षा तीन गुना से भी अधिक है।

इतना ही नहीं चीन अभी हाल के वर्षों में अपनी सेना के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए भारी निवेश कर रहा है। भारत, साल-दर-साल अपने रक्षा बजट में वृद्धि तो कर रहा है लेकिन वह अभी भी चीनी समकक्षों से पीछे रहता दिखाई दे रहा है। इसलिए चीन के बढ़ते सैन्य खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भारत सरकार के लिए रक्षा बजट में वृद्धि करना अनिवार्य है।

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भारत को रक्षा बजट को बढ़ाना होगा

अभी हाल ही में भारत ने अपने रक्षा बजट को बढ़ाने और अपने घरेलू रक्षा उद्योग, रणनीतिक साझेदारी और साइबर और अंतरिक्ष क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव भी किए हैं। अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी और इन नीतियों को लागू करने से भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने और अपने सामरिक हितों की बेहतर रूप से रक्षा करने में सक्षम हो पाएगा। इसके अलावा बढ़ा हुआ बजट भारत के घरेलू रक्षा उद्योग को गति प्रदान करेगा। यह विदेशी आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा और “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं को भी बढ़ावा देगा।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के रक्षा उपकरणों के नवीनीकरण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया है। चीन के बढ़ते खतरों का सामना करने के लिए भारत सरकार को रक्षा बजट बढ़ाने की जिम्मेदारी पर विशेष कदम उठाने चाहिए। ताकि रसद क्षमताओं और बुनियादी ढांचे में सुधार किया जा सके। भारतीय सैनिक निश्चित रूप से बेहतर प्रशिक्षित हैं लेकिन चीनी और पाकिस्तानी घुसपैठ की स्थिति में रक्षा ढांचागत सुविधाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, अर्थात रक्षा बजट एक अहम पहलू है जो चीन की सैन्य ताकत से निपटने की भारत की क्षमता को बढ़ाएगा।

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चीन और पाकिस्तान आगे

भारत बजट की कमी का सामना कर रहा है और अपने सैन्य उपकरणों को अपग्रेड करने के लिए संघर्ष भी कर रहा है, यही कारण है कि चीन भारत से आगे निकल गया है। दूसरी तरफ इस सूची में साल 2019 में जो पाकिस्तान 15वें स्थान पर था बीते साल नौवें स्थान पर था वहीं इस साल सातवें स्थान पर पहुंच गया है। ऐसे में देखा जा सकता है कि चीन और पाकिस्तान दोनों ही अपनी-अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाकर भारत को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। इस संकट को पहले ही भांपते हुए भारत को जल्द से जल्द अपनी रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण की गति को तीव्र करना होगा और स्वदेशी उत्पादन को अधिक से अधिक बढ़ावा देना होगा।

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