स्वतंत्र बलूचिस्तान: पाकिस्तान पर आर्थिक संकट किस तरह कहर बनकर टूट पड़ा है वो किसी से नहीं छुपा है। कहने को तो पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है लेकिन उसकी हरकतों के कारण भारत का उससे 36 का आंकड़ा है। लेकिन अब बर्बादी की कगार पर खड़ा पाकिस्तान भारत के सामने गिड़गिड़ा रहा है। पाकिस्तान अब ये भी स्वीकार कर रहा है कि भारत के साथ हुए तीनों युद्धों ने उसे सबक सिखाया है और वो एक बार फिर भारत के सामने बातचीत की टेबल पर आने के लिए घुटनों पर आ गया है।
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ईमानदार और संवेदनशील वार्ता की इच्छा
दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अरबी न्यूज चैनल अल अरेबिया को दिए एक साक्षात्कार में भारत के साथ ईमानदार और संवेदनशील वार्ता की इच्छा जताई है। वह कश्मीर मसलों समेत कई और मुद्दों पर गंभीर वार्ता करना चाहते हैं। लेकिन अगर पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करने की इच्छा जता रहा है तो वो ईमानदार कैसे हुआ क्योंकि कश्मीर तो भारत का अभिन्न अंग है और भारत बार-बार यह दोहराता भी रहा है। यदि ईमानदार बातचीत करनी है तो पाकिस्तान को Pok पर करनी चाहिए।
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने अपने इंटरव्यू में कहा कि ‘भारतीय प्रबंधन और पीएम मोदी को मेरा संदेश सिर्फ इतना है कि हम एक साथ बैठें और कश्मीर समेत आपसी ज्वलनशील मुद्दों पर बातचीत करें। हमें एक-दूसरे से झगड़े बिना एक दूसरे के साथ आगे बढ़ना है न कि समय और संपत्ति को झगड़े में बर्बाद करें।’ इसके आगे पाकिस्तानी पीएम शरीफ ने कहा कि ”हम भारत के साथ तीन युद्ध लड़ चुके हैं और यह हर बार और कंगाली, गरीबी और लोगों के लिए बेरोजगारी लाया है। हम अपना सबक सीख चुके हैं और हम शांति से रहना चाहते हैं.”
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भारत के साथ युद्ध करने का परिणाम होगा घातक
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के इस बयान से साबित होता है कि भारत के साथ युद्ध करने का नुकसान अब पाकिस्तान समझ चुका है। पाकिस्तान तीनों युद्धों में भारत का मुकाबला करने में पूरी तरह असफल रहा। वो हार गया, वो भारत का सामना नहीं कर पाया और भारत के साथ युद्ध करके पाकिस्तान कंगाल हो गया। अब अगर चौथा युद्ध भारत के साथ पाकिस्तान का होता है तो उसके बाद कुछ बचेगा भी या नहीं ये कहा नहीं जा सकता है।
अब अगर शहबाज शरीफ पाकिस्तान को बचाना चाहते हैं तो उनके पास दो विकल्प हैं। पहला विकल्प है कि POK को पाकिस्तान शांति से भारत को शौंप दे। क्योंकि भारत POK को लेकर कई बार अपने मजबूत दावे कर चुका है। साल 2019 में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में खड़े होकर कहा था कि जम्मू-कश्मीर कहता हूं, तो उसका मतलब इसके अंदर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) और अक्साई चिन भी आता है। उन्होंने कहा था कि हम इसके लिए जान भी दे देंगे और वहीं दूसरी तरफ POK के लोगों का पाकिस्तान से अपनी आजादी की मांग को लेकर लंबे समय से प्रर्दशन कर रहे हैं। पाकिस्तान के लोग उनके अत्याचार से तंग आ चुके हैं और अब वहां की सरकार को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
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दूसरा विकल्प: स्वतंत्र बलूचिस्तान
पाकिस्तान के सामने दूसरा विकल्प ये है कि वो तुरंत के तुरंत बलूचिस्तान को आजाद कर दें और उसे एक अलग देश घोषित कर दें क्योंकि अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो कभी भी विरोध रूपी बारुद पर बैठे पाकिस्तान में विस्फोट हो सकता है। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना और सरकार के उत्पीड़न के खिलाफ लोगों ने बहुत पहले से मोर्चा खोल रखा है। बलूचिस्तान के लोग समय-समय पर पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उग्र आंदोलन करते रहते हैं। पाकिस्तानी सेना जब बलूचिस्तान के लोगों को परेशान करती है तो लोग एकजुट होकर उनका मुकाबला करते हैं। बलूची लोग पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों से तंग आकर उन पर पथराव भी करते रहते हैं। बलूचिस्तान के लोगों के विरोध की और होने की स्वतंत्र आग लगातार तीव्र गति से फैलती जा रही है।
अब अगर पाकिस्तान ये दो काम कर लेता है तो संभावना है कि पाकिस्तान की बेकार हो चुकी स्थिति में कुछ सुधार आ जाए। ये दो काम करने से हो सकता है जिस पाकिस्तान में लोग रोटियों के लिए मर रहे हैं उन लोगों को रोटी मिलने लगे। अगर पाकिस्तान भारत से वाकई में ईमानदार बातचीत करना चाहता है तो पहले तो वो कश्मीर का राग अलापना छोड़ दे क्योंकि वो भारत का पहले से ही अभिन्न हिस्सा है उस पर बातचीत करने का पाकिस्तान को कोई हक ही नहीं है। बातचीत करनी है तो पीओके (Pok) पर करो।
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