“स्वयं को पीड़ित दिखाओ और लाखों कमाओ”, रवीश कुमार, हैरी-मेगन और उस्मान ख्वाज़ा उदाहरण हैं

विक्टिम कार्ड एक ऐसा 'हथियार' है, जिसका उपयोग कर कुछ लोग जमकर पैसे छाप रहे हैं. लेकिन सबका ध्यान उनके कथित पीड़ित चेहरे पर टिका है, उनकी कमाई के बारे में कोई बात तक नहीं करता.

रवीश कुमार

Source- TFIPOST

क्या आपको पता है आजकल बाज़ार में एक नयी तकनीक आई है, जिससे आप घर बैठे ही ‘नोटों का अंबार’ लगा सकते है? इस तकनीक का नाम है ‘विक्टिम कार्ड’. जी हां, आपने सही सुना आज इस दौर में काफी बड़े स्तर पर लोग विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं. साथ ही कथित विक्टिम बनकर वह धडल्ले से कमाई भी कर रहे है. लोग भिन्न-भिन्न तरह से विक्टिम कार्ड खेलते हैं, जैसे कभी धर्म के नाम पर, कभी जाति के नाम पर तो कभी निजी तौर पर भी. हालांकि, समाज में इस पर बातें तो होती आई हैं लेकिन क्या कभी भी लोगों ने इसके पीछे के इकोनॉमिक्स को समझने का प्रयास किया है? क्या पीड़ितों की आड़ में कथित पीड़ित अपना उल्लू सीधा कर रहे है?

आपको शायद सुनकर अजीब लगे कि भला विक्टिम कार्ड खेलने के पीछे क्या इकोनॉमिक्स हो सकती है लेकिन वास्तव में ऐसा ही है. आज के इस दौर में कुछ लोग खुद को कथित पीड़ित दिखाकर चर्चा में बने रहते हैं और साथ ही पैसों से अपना घर भी भरते नजर आ रहे हैं. टीएफआई प्रीमियम में आपका स्वागत है. इस लेख में आज हम आपको दुनिया के तीन सबसे अव्वल ‘विक्टिम कार्ड प्लेयर्स’ के बारे में बताएंगे, जो विक्टिम कार्ड खेलकर पैसा छाप रहे हैं.

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रवीश कुमार

आपको याद होगा कि एनडीटीवी के अडानी ग्रुप के हाथ में जाते ही रवीश कुमार ने इस्तीफ़ा दे दिया था. वहां से निकलने के बाद रवीश कुमार ने खुद को एक ऐसा पीड़ित दिखाने का प्रयास किया, जिसे जबरन कंपनी से बाहर किया गया हो. खुद को निष्पक्ष पत्रकार कहने वाले रवीश कुमार ने इस्तीफा दिया, तब से भिन्न-भिन्न जगहों पर साक्षात्कार देते दिखे और खुद को पीड़ित बताया. उन्होंने इस्तीफे के बाद सबसे पहला इंटरव्यू अजित अंजुम को दिया था, उसके बाद करण थापर को फिर बीबीसी को. और अपने इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कई ऐसी बातें कहीं, जिससे पूरे देश में उनके प्रति ‘संवेदनाएं’ उमड़ पड़ी.

इस पूरे प्रकरण में ध्यान देने वाली बात ये थी कि उन्होंने अपने सभी इंटरव्यू में खुद को एक दीन, हीन, बेचारा अर्थात् विक्टिम ही दिखाने का प्रयास किया. NDTV के व्यापारिक सौदे को ऐसे दिखाने का प्रयास किया गया, जैसे अडानी ने अपनी मोटी रकम का निवेश रवीश कुमार को बेरोजगार करने के लिए ही किया हो. हालांकि, बाद में उनके पूर्व मालिक रॉय दंपति ने ही उनका यह भ्रम तोड़ दिया था, जिसके बाद चीजें स्पष्ट हो गई थीं कि NDTV-अडानी सौदा पारस्परिक मित्रवत था. यह सौदा बैरपूर्ण बिल्कुल भी नहीं था.

लेकिन रवीश कुमार ने अपनी मर्जी से कंपनी से इस्तीफा दे दिया और बाहर हो गए. उसके बाद ऐसा ड्रामा शुरू हुआ कि उनके साथ साथ उनका पूरा गिरोह उन्हें विक्टिम सिद्ध करने में जुट गया. उनके द्वारा रचे इस खेल से उनकी पब्लिसिटी तो हुई ही, साथ ही कई लोगो को उनकी झूठी कहानी से जुड़ाव भी हुआ, लोगों के मन में जबरन संवेदनाएं भरी गईं और इसी बात का फायदा उठाकर रवीश कुमार खूब कमाई भी की.

एनडीटीवी से बाहर आते ही रवीश कुमार ने अपना खुद का एक यूट्यूब चैनल खोल दिया. चर्चा में होने के कारण कुछ ही महीनों में उन्होंने 3.91 मिलियन सब्सक्राइबर का आंकड़ा पार कर लिया और अब यह आंकड़ा 4 मिलियन से आगे बढ़ चुका है. वहीं, उनके वीडियो पर भी उनके प्रशंसकों और दर्शकों का मेला लगा रहता है. उनकी कमाई अभी के समय में एक आम पत्रकार से कहीं अधिक है. यह भी हो सकता है कि एनडीटीवी में जो सैलरी उन्हें मिल रही थी, उससे भी अधिक कमाई वो अपने यू-ट्यूब चैनल से कर रहे हैं!

इतना ही नहीं, उन्होंने अपना एक भोजपुरी चैनल भी खोल दिया है. यह लेख लिखे जाने तक उसके सब्सकाइबर्स की संख्या 185 हजार पहुंच चुकी है. अगर आप ध्यान देंगे तो उनके उस चैनल पर अभी तक 5 वीडियो ही अपलोड की गई है. उनके इस कदम को बिहार में अपना कद बढ़ाने से जोड़ कर देखा जा रहा है. रवीश कुमार के भाई पहले से ही कांग्रेस के नेता हैं, जिनपर तरह तरह के आरोप लगते रहे हैं. भविष्य में रवीश कुमार भी चुनावी मैदान में आपको दिख जाएं तो आश्चर्यचकित मत होइएगा. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में यह बात भी कही थी कि ‘वो लोकसभा में उनके सामने खडे़ हो जाएंगे फिर…’. ये सब तो रही अभी तक की बात लेकिन इसकी आड़ में उन्होंने कितना पैसा कमाया, यह किसी से छिपा नहीं है. और यह ऐसी बात है जिस पर कोई बात करना नहीं चाहता. खुद को विक्टिम दिखाकर पैसा कमाने का जो ट्रेंड चला है, भारत में रवीश कुमार इस मामले में टॉप पर हैं!

प्रिंस हैरी और मेगन

इस सूची में हमने दूसरे नंबर पर रखा है ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ के पोते प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन को. आपको लग रहा होगा कि एक प्रिंस और उनकी पत्नी भला ऐसा क्यों करेंगे? क्या उनके पास पैसों की कमी है? बिल्कुल नहीं, लेकिन खुद को लोगों के बीच विक्टिम दिखकर फिर पैसा कमाने का नशा ही अलग होता है. इसे समझना शायद आम आदमी के बस की बात नहीं है. कुछ वर्षों पहले ब्रिटेन के प्रिंस हैरी ने यह घोषणा की थी कि वो और उनकी पत्नी मेगन राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य की भूमिका से ख़ुद को अलग कर रहे हैं और वो अब से वह ख़ुद को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए काम करने वाले है. इस खबर के बाद दोनों काफी ज्यादा सुर्ख़ियों में आये थे.

बस यही से आरंभ हुआ इन दोनों का विक्टिम कार्ड खेलना. राजघराने से अलग होते ही उन्होंने अपने साक्षात्कारों से खुद को और अपनी पत्नी को राजघराने का पीड़ित बताने का प्रयास किया था. मार्च 2021 में ओपरा विनफ्रे के साथ एक साक्षात्कार में प्रिंस हैरी ने कहा था कि उनके शाही भूमिकाओं को छोड़ने का सबसे बड़ा कारण मीडिया और शाही परिवार दोनों से “समर्थन की कमी और समझ की कमी” थी. उन्होंने अपने आप को कई बार ऐसा दिखाने का भी प्रयास किया था कि शाही परिवार ने उन्हें और उनकी पत्नी को आर्थिक रूप से अलग थलग कर दिया गया है.

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इसके बाद उन्होंने किताब लिखनी शुरू कर दी. राजघराने और शाही परिवार से जुड़ी उनकी किताब हाल ही में पब्लिश हुई, जिसके बाद से ही बवाल मचा हुआ है. उस किताब में उन्होंने स्वयं को पीड़ित बताते हुए राजघराने की सच्चाई को सामने लाने का प्रयास किया है. लेकिन अपने आप को विक्टिम दिखाने के कारण वह चर्चा में रहे और अपनी किताब में प्रमुखता से इसका जिक्र किया, जिसके बाद उनकी किताब ‘स्पेयर’ ने पहले दिन ही बिक्री का पूरा रिकॉर्ड तोड़ दिया. इसके प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस की ओर से यह बात कही गई थी. यूके, यूएस और कनाडा में रिलीज़ होने के पहले 24 घंटों में “स्पेयर” की 1.4 मिलियन से अधिक अंग्रेजी भाषा की प्रतियां बेची गईं.

पुस्तक के विमोचन से पहले अपने साक्षात्कारों में हैरी ने शाही परिवार पर उनके साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया था. उनके अनुसार, ब्रिटिश प्रेस के साथ उनकी सौतेली मां कैमिला के संबंध ठीक नहीं थे. अपने हर साक्षात्कार में उन्होंने अपने आप को विक्टिम दिखाने का प्रयास किया, किताब पब्लिश हुई और लोगों ने हाथों हाथ उनकी किताबें खरीदी. यानी एक तरह से उनकी कमाई में जबरदस्त इजाफा हुआ. अब तो कई कंपनियों ने उनके साथ डील भी ऑफर की है, जिसमें Spotify भी एक है. दोनों ने स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के साथ $30 मिलियन का करार किया था. बताया तो यह भी जा रहा है कि इस जोड़ी ने अपने निजी जीवन के मुद्रीकरण के लिए नेटफ्लिक्स के साथ भी करार किया है, जिसके लिए उन्हें करीब $100 मिलियन डॉलर का भुगतान किया जा रहा है. ऐसे में आप विक्टिम कार्ड की ताकत का अंदाज़ा आप यही से लगा सकते है.

उस्मान ख्वाजा

हमारी इस सूची में तीसरे नंबर पर हैं पाकिस्तानी मूल के आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा. कई बार वो मुसलमान होने के कारण खुद को पीड़ित बताते आए है. कई बार उन्हें यह कहते हुए पाया गया है कि वह मुस्लिम हैं और उसी के कारण उनके साथ गलत हो रहा है. एक बार उस्मान ख्वाजा के खराब प्रदर्शन के कारण जब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज स्पिनर शेन वार्न ने उनकी आलोचना की थी, तब भी उस्मान ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी आलोचना इसलिए होती है क्योंकि वह मुसलमान हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने अभी हाल ही में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया पर भेदभाव का गंभीर आरोप लगाया है. उस्मान ख्वाजा का इस पर कहना है कि टीम सेलेक्शन में सेलेक्टर्स रंग के आधार पर उनके साथ भेदभाव करते आए है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि ब्राउन क्रिकेटर के ऊपर व्हाइट प्लेयर को ज्यादा अहमियत दी जाती है.

इसके पहले भी उस्मान ख्वाजा ने ऑस्ट्रेलियाई टीम पर आरोप लगाया था कि अनजाने में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी उनके साथ भेदभाव करते हैं क्योंकि वह पाकिस्तानी मूल के हैं और मुसलमान हैं. देखा जाए तो अपने इंटरव्यू में उन्होंने मुसलमानों द्वारा वैश्विक स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले विक्टिम कार्ड का ही प्रयोग किया था. यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि भेदभाव की पिपड़ी बजाने वाले उस्मान ख्वाजा ने ऑस्ट्रेलिया की एक ईसाई लड़की से विवाह के लिए हामी तब भरी थी, जब उसने इस्लाम धर्म अपना लिया था. तब शायद उन्हें भेदभाव की पिपड़ी याद नहीं आई थी?

हालांकि, यह उन दोनों का निजी मामला है, किंतु यह उदाहरण प्रस्तुत करता है कि उस्मान ख्वाजा स्वयं एक कट्टर मुसलमान हैं लेकिन उन्हें अपेक्षा है कि सभी उनका सम्मान करें! वह स्वयं प्रेम से अधिक महत्व इस्लाम को देते हैं किंतु उन्हें उम्मीद है कि बाकी खिलाड़ी उनकी इस्लामिक पहचान को नजरअंदाज करते हुए, उन्हें बतौर खिलाड़ी स्वीकार करें.

जिस क्रिकेटर को ऑस्ट्रेलिया के द्वारा एक योग्य खिलाड़ी बनने का पर्याप्त अवसर दिया गया हो और वह फिर भी समय-समय पर उसी देश पर नस्लवाद का आरोप लगाने का कोई भी मौका न छोड़ता हो, उसके बारें में भला और क्या ही कह सकते है. इन आरोपों ने ख्वाजा को खबरों में बने रहने में मदद की है. हालांकि, वह स्टीव स्मिथ, मार्नस लाबुशेन और पैट कमिंस जैसे अन्य सितारों के रूप में प्रशंसित नहीं हैं लेकिन उन्होंने नस्लीय-रंगीन वातावरण में प्रासंगिक बने रहने का एक तरीका खोज लिया है.

ख्वाजा विक्टिम कार्ड खेलने में इतने ज्यादा उस्ताद हो चुके है कि अब तो उन्हें इसमें काफी ज्यादा मज़ा आने लगा है. साथ ही इसके चलते वह लगातार सुर्ख़ियों में भी बने रहते है. दूसरी ओर वह अपने विक्टिम कार्ड की आड़ में धड़ल्ले से नोट भी छापते जा रहे हैं. ध्यान देने योग्य है कि जनवरी, 2023 तक उस्मान ख्वाजा की कुल संपत्ति $5 मिलियन तक पहुंच गयी है. इतना ही नहीं, वह एड्स और बाकी के कैम्पेन से भी खूब पैसा कमाते है. माना कि वह ऑस्ट्रेलियाई टीम के एक अच्छे खिलाडी है. साथ ही उन्हें टीम में रहकर कई ऐसे मौके मिले है जिससे वह अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन कर पाए. लेकिन फिर भी वह विक्टिम कार्ड खेलने के चक्कर में उसी ऑस्ट्रेलियाई टीम पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं. ख्वाजा के कथित उत्पीड़न के इतने सारे किस्से हैं कि आप सुनते-सुनते थक जाएंगे. लेकिन उनके कथित उत्पीड़न ये आरोप ख़त्म नहीं होंगे.

आपको बताते चलें कि विक्टिम कार्ड आज के समय में एक प्रमोशन करने का तरीका बन गया है. इन तीनो महानुभावों ने अपने कथित उत्पीड़न यानी विक्टिम कार्ड की कला को उछालकर जमकर पैसे कमाएं है और साथ ही लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता भी बढ़ा रखी है. आम लोगो को इन कथित पीड़ितों के मंसूबों को समझकर इनसे दूर रहने का प्रयास करना चाहिए.

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