अब बॉलीवुड के “लल्लन मियां” यानी सईद जाफरी से भला कौन नहीं परिचित होगा। कॉमेडी फिल्म “चश्मे बद्दूर” में जिस प्रकार से इन्होंने पनवाड़ी के रोल को आत्मसात किया था उससे वे कई लोगों के चहेते बन गए। परंतु इनका निजी जीवन ऐसा है कि आप उसका अंशमात्र भी जान लें तो आपको विश्वास ही नहीं होगा कि ये वही व्यक्ति हैं।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे सईद जाफरी अभिनय में जितने निपुण थे उसके ठीक विपरीत न ही वो अपने व्यक्तित्व को निखार पाए और न ही अपने परिवार को संभाल पाए।
संपन्न परिवार में पैदा हुए सईद जाफरी
1929 में सईद जाफरी का जन्म अविभाजित पंजाब के मलेरकोटला में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनके पूर्वज मलेरकोटला प्रांत में दीवान के पद पर तैनात थे। एक संपन्न परिवार में पैदा होने के कारण जाफरी को देश के सबसे समृद्ध विद्यालयों में पढ़ाया गया, जैसे मसूरी के विंबर्ग एलेन स्कूल, सेंट जॉर्ज कॉलेज इत्यादि।
1945 में सईद जाफरी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश किया, जहां से इन्होंने 1950 तक स्नातक और परास्नातक दोनों किया। इसी बीच 1947 के विभाजन में सईद के लगभग सभी संबंधी पाकिस्तान चले गए, बस सईद जाफरी रह गए। 1951 में इन्होंने नई दिल्ली का रुख किया जहां इन्होंने रेडियो एवं नाट्यकला में अपना हाथ आजमाया।
इसी बीच इनका परिचय मधुर बंस बहादुर से हुआ जो एक समृद्ध वैश्य परिवार से आती थी। मधुर भी सईद की भांति रेडियो एवं नाट्यकला में रुचि लेती थीं एवं व्यंजन कला में भी इनकी रुचि कम नहीं थी। दोनों के बीच प्रेम हुआ और 1958 तक दोनों ने विवाह भी कर लिया। मधुर महरुनिस्सा बन गईं और दोनों ही अब इंग्लैंड एवं अमेरिका की ओर मुड़ गए। इसी बीच इन्हें तीन बेटियां भी हुईं जिनका नाम था मीरा, रिया और सकीना।
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सईद जाफरी मधुर से विमुख होते गए
परंतु जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, सईद जाफरी मधुर से विमुख होते गए। इन्हें अब अंग्रेजी फिल्मों में अपना भाग्य भी आजमाना था और अब उसमें मधुर रोड़ा समान प्रतीत हो रही थीं। 1966 आते-आते इन्होंने मधुर को त्याग दिया और अपना करियर चमकाने निकल पड़े। सईद ने यहां तक कह दिया कि मधुर उसके “स्टैंडर्ड की नहीं हैं”।
तलाक के बाद सईद मधुर को तीन बच्चों की परवरिश के लिए पैसे जरूर भेजते रहे, लेकिन उन्होंने कभी भी उनकी खबर नहीं ली। मधुर से अलग होने के बाद सईद जाफरी का रिश्ता को-स्टार जेनिफर सोरेल से रहा। दोनों ने करीब 10 सालों तक रिलेशन में रहने के बाद 1980 में शादी कर ली। जेनिफर विदेशी थीं, जिनके साथ रहते हुए कुछ ही महीनों में सईद को एहसास हो गया कि वो एक घरेलु महिला ही चाहते थे न कि विदेशी।
परंतु मधुर ने हार नहीं मानी बल्कि उन्होंने अपने तीनों बच्चों को अपनी मां और बहन के पास भारत भेज दिया और उन्होंने अपनी प्रतिभा को अपना अस्त्र बनाया। दरअसल, जब मधुर और सईद जाफरी थे तो सईद को अमेरिका का खाना पसंद नहीं था, ऐसे में मधुर इंडिया से मां की लिखी रेसिपी मंगवातीं और सईद के लिए खाना बनाती थीं। कुछ ही समय बाद कपल के दोस्त बढ़ने लगे और दोनों घर में इंडियन खाने की दावत करने लगे। मधुर के बनाए खाने की विदेशी बहुत प्रशंसा किया करते थे। अपने इसी गुण को मधुर ने सईद से अलग होने के बाद विस्तार दिया और धीरे-धीरे मधुर जाफरी व्यंजन के क्षेत्र में एक जानी-मानी सेलेब्रिटी बन गईं। इसी बीच सईद जाफरी ने भी ब्रिटिश और बॉलीवुड सिनेमा में बहुत सफलता अर्जित की। उन्हें कई फिल्मफेयर पुरस्कार के नामांकन एवं शतरंज के खिलाड़ी के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का पुरस्कार भी मिला।
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मधुर की लोकप्रियता
जब सईद ने बहुत समय बाद मधुर की लोकप्रियता देखी तो वे चकित रह गए। वे उनसे बात करने को आतुर हुए परंतु मधुर ने उनसे मिलने से मना कर दिया और कहा कि वे अपने नये जीवन में खुश हैं। ये बात उनके बच्चों ने भी दोहराई। इसका वर्णन करते हुए सईद ने अपने संस्मरणों में लिखा,
“आज तक मैं वो नहीं भूल सका जो मेरे बच्चों ने मुझसे कहा, उन्होंने कहा कि उनके नए पिता प्यार के असली मायने जानते हैं। उसने मेहरुनिसा (मधुर) को वैसे अपनाया, जैसी वो थी और उसने कभी मधुर को बदलने की कोशिश नहीं की क्योंकि वो मधुर को खुद से भी ज्यादा चाहता है।
सईद जाफरी ने बहुत सफलताएं देखीं, उन्होंने अपने जीवन के हर उस लक्ष्य को पूरा किया होगा जिसे वो पूरा करना चाहते होंगे लेकिन करियर और स्टैंडर्ड के नाम पर पत्नी को छोड़ देना, बेटियों को छोड़ देना लेकिन उसी करियर को अनदेखा कर किसी अन्य महिला को जीवन में लाना यह कहीं से भी उचित नहीं है। इस तरह के आचरण से सईद जाफरी ने अपनी इज्जत की धज्जियां उड़वा दी थीं, और तो और अपनी पहली पत्नी को छोड़ने का जीवनभर पछतावा हुआ सो अलग।
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