साल 2016 में भारत में शुरू हाई स्पीड इंटरनेट क्रांति के बाद यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने बहुत तेजी से विकास किया और बहुत से लोगों को न केवल अपनी बात रखने का मौका मिला बल्कि अपनी प्रतिभा के जरिए कमाई करने का भी मौका मिला। यही नहीं कई लोगों ने यूट्यूब के माध्मय से फिल्मी सितारों के बराबर की प्रसिद्धि व पैसा कमाया और आज भी कमा रहे हैं। लेकिन पैसा कमाने के क्रम में कई ‘यूट्यूब वाले भइया’ और ‘इंस्टाग्राम वाली दीदीयों’ ने अपने यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम पेज से कुछ ऐसी चीजों का प्रचार किया जो न केवल लोगों को भ्रामक करने वाली थीं बल्कि लोगों के जेब और स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालने वाली थीं।
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केंद्र सरकार ने निकाला रास्ता
ऐसे में केंद्र सरकार ने इन यूट्यूब वाले भइया’ और ‘इंस्टाग्राम वाली दीदीयों’ का इलाज करने के लिए एक नया नियम बनाया है जिसके अंतर्गत अब किसी भी प्रकार की भ्रामक चीजों का प्रचार करने पर अच्छा खासा जुर्माना लगाया जाएगा। आइए इसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए जानते हैं कि सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को लेकर कौन सा नया नियम लेकर आई है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब जैसे-सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर किसी भी प्रोडक्ट का प्रचार करने को लेकर नये नियम जारी किए हैं। जिसके अंतर्गत अब सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स और सिलेब्रिटी को प्रचार करने से पहले साफ तौर पर यह बताना होगा कि यह पेड प्रमोशन यानी पैसों से किया जा रहा प्रचार है और इस प्रोडक्ट का उपयोग उन्होंने स्वयं किया है। सरकार के अनुसार यदि किसी भी सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ने इस नियम का पालन नहीं किया तो उन पर 10 लाख से लेकर 50 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा और 6 साल के लिए सोशल मीडिया पर किसी भी इस प्रकार का विज्ञापन करने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार सरकार को इस प्रकार का सख्त नियम लाने की आवश्यकता ही क्यों पड़ी? और इसका आने वाले समय में सोशल मीडिया पर क्या असर होगा?
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सरकार ने क्यों बनाया इतना सख्त नियम?
2016 के बाद भारत में जिस प्रकार सोशल मीडिया का प्रसार हुआ है उसी के साथ-साथ फेक न्यूज, भ्रामक प्रचार और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स बहुत तेजी बड़े हैं। यही नहीं सोशल मीडिया की मार्केट बड़ी ही तेजी से बढ़ी है। जहां साल 2022 में यह 1200 करोड़ की थी तो वहीं 2025 में इसके लगभग 2800 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन इसे लेकर अभी तक कोई कठोर नियम नहीं थे ऐसे में भ्रामक विज्ञापनों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ने की संभावना होती है। ऐसे में सरकार ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की तेजी से बढ़ती मार्केट को देखते हुए इस प्रकार के कठोर नियम लाने का फैसला किया है। ताकि दर्शकों तक सही जानकारी पहुंच सके और वे किसी भी प्रकार की ठगी का शिकार न हों।
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कैसा होगा सोशल मीडिया का भविष्य?
सोशल मीडिया को लेकर सबसे बड़ा प्रश्न है विश्वसनीयता, क्योंकि एक ईमेल आइडी, फोन नंबर और 10 हजार वाले चाइनीज फोन से आजकल हर कोई सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर बनना चाहता है। साथ ही मोटी कमाई करना चहता है। ऐसे में फेक न्यूज और भ्रामक विज्ञापनों की संख्या में वृद्धि होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं जोकि हाई स्पीड इंटरनेट आने के बाद बहुत तेजी से बढ़ा भी है। इसीलिए सोशल मीडिया के भविष्य को देखते हुए और उसे जानकारी का एक अच्छा श्रोत बनाए रखने के लिए कड़े नियमों का होना बेहद जरूरी है। क्योंकि लोगों से संवाद करने के क्रम में विश्वसनीयता बने रहा बहुत आवश्यक है, चाहे वह सोशल मीडिया के माध्यम से हो या फिर अखबार के माध्यम से। इसके अलावा सोशल मीडिया के भविष्य की बात की जाए तो वह उज्ज्वल है क्योंकि 2025 तक इसकी मार्केट 2800 करोड़ तक होने वाली है।
यदि सोशल मीडिया को लेकर सरकार द्वारा लाए गए नियमों के बारे में संक्षेप में कहा जाए तो इस प्रकार के नियमों की बहुत समय से जरूरत थी क्योंकि जिस प्रकार सोशल मीडिया पर लोग आ रहे हैं और कंपनियां उनसे प्रचार करा रही हैं उसे देखते हुए कड़े नियमों का होना बेहद जरूरी जान पड़ता है।
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