यूपीआई बेकार है, मोदी सरकार बिना मतलब का काम कर रही है, इसका कहीं से कोई लाभ नहीं होने वाला है…विपक्षी पार्टियों की ओर से पहले यूपीआई को लेकर सरकार पर काफी आरोप लगाए गए थे लेकिन पीएम मोदी की दूरदर्शिता ने सभी को गलत साबित किया। यूपीआई ने पहले तो देश में झंडे गाड़े, फिर विदेशी देशों में इसकी मांग हुई और अब स्थिति ऐसी है कि विदेश में रहने वाले भारतीय भी विदेशी मोबाइल नंबर का उपयोग कर आसानी से पैसे भेज सकते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे भारतीय यूपीआई अब ग्लोबल हो गया है और राष्ट्रीय भुगतान निगम के एक फैसले ने अब कई मुश्किलों का समाधान कर दिया है।
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अभी 10 देशों में भारतीय उठा सकते हैं लाभ
दरअसल, भारत सरकार की संस्था ‘भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम’(NPCI) ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों का पैसा घर भेजने वाली समस्या का समाधान कर दिया है। अभी तक विदेश में रहने वाले भारतीयों के पास UPI का उपयोग करने के लिए भारत का मोबाइल नंबर होना अनिवार्य था लेकिन अब इस अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। अब वे अंतरराष्ट्रीय नंबर का उपयोग कर UPI के माध्यम से पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं।
हालांकि, फिलहाल कनाडा, हांगकांग, ओमान, यूएस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूएई, यूके, सऊदी अरब और कतर जैसे देशों में रहने वाले भारतीय ही इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन जिस गति से भारत सरकार के द्वारा इस दिशा में कार्य किया जा रहा है, उसे देखा जाए तो आने वाले समय में दुनिया के तमाम देश जल्द ही UPI अपना सकते हैं। लेकिन विदेश में रहने वाले भारतीय विदेशी मोबाइल नंबर के साथ यूपीआई का उपयोग कैसे कर पाएंगे और भारत को इससे क्या लाभ हो सकता है, यह समझना बेहद आवश्यक है।
ध्यान देने योग्य है कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के अनुसार, विदेश में रह रहे भारतीयों को UPI का उपयोग करने के लिए नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल (NRE) और नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी (NRO) जैसे अकाउंट से अपने अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबर को सबसे पहले लिंक करना जरूरी है। उसके बाद आसानी से कोई भी व्यक्ति अपनी UPI आइडी बनाकर पेमेंट कर सकता है।
पूर्ण रूप से देसी है यूपीआई
अगर इससे भारत को होने वाले लाभ की बात करें तो विश्व बैंक द्वरा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में विश्व में पहले नबंर पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि वर्ष 2021 में विदेश से 89 अरब डॉलर भारत में आए तो वहीं वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 100 अरब डॉलर पार कर गया। अब विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए यूपीआई की सुविधा शुरू करने के सरकार के इस प्रयास के बाद इस आंकड़े में तेजी से बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकता है। इसके अलावा बैंक की अपेक्षा UPI द्वारा ट्रांजेक्शन करना उपभोक्ताओं के लिए सस्ता और आसान रहेगा।
सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिए न केवल पैसा भेजने में आसानी होगी बल्कि विदेशी समाज में उनकी एक भारतीय के तौर पर भी स्थिति मजबूत होगी। क्योंकि UPI को जिस तकनीक के आधार पर बनाया गया है, वह पूर्ण रूप से भारतीय है। ऐसे में अपने देश की आधुनिक तकनीक का उपयोग करना वो भी किसी विदेशी के सामने, किसी भी व्यक्ति के सामाजिक स्तर को बढ़ाने का कार्य करेगा। इसके अलावा कोई व्यक्ति भारत में रह रहे अपने घरवालों को किसी भी प्रकार के भुगतान कर सकता है। फिर चाहे वह घर का किराया हो, बिजली का बिल हो या फिर बच्चों के स्कूल की फीस। वो आसानी से बिना बैंक के चक्कर लगाए घर बैठे-बैठे अपने फोन से भुगतान कर सकता है।
यदि UPI को ग्लोबल बनाने के सरकार के इस कदम के बारे में संक्षेप में कहा जाए तो वैश्विक स्तर पर यह बहुत बड़ा कदम है। क्योंकि डिजिटल पेमेंट भुगतान की क्रांति में कम समय में उड़ान भरने वाला UPI जैसा कोई भी माध्यम अभी तक नहीं बन पाया है। इसलिए यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीयों के लिए भुगतान करने के लिहाज से भी यह काफी अच्छा कदम है।
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