“जिसने भी भ्रष्टाचार किया उसकी कहानी…”, FCI के भ्रष्ट बाबुओं के पीछे हथौड़ा लेकर पड़ गए हैं पीयूष गोयल

अश्विनी वैष्णव के बाद अब पीयूष गोयल भ्रष्टाचारी बाबुओं का झोला-झंडा उखाड़ने पर लग गए हैं।

ऑपरेशन कनक

SOURCE TFI

ऑपरेशन कनक: केंद्र की मोदी सरकार शुरुआत से ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती आई है, फिर चाहे वह बीएसएनएल में भ्रष्ट अधिकारियों को पदों से निष्कासित करना हो या अभी हाल ही में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा खाद्य विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर अधिकारियों को दी गई चेतावनी हो। दोनों ही मामलों को लेकर दिखाई गई सख्ती से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि मोदी सरकार किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को सहन करने में नहीं बल्कि भ्रष्टाचार मुक्त विभाग बनाने में विश्वास रखती है। पीयूष गोयल ने भी कुछ इसी प्रकार से फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(FCI) में भ्रष्ट अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार करने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा बल्कि कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बख्शा नहीं जाएगा

दरअसल, बीते शनिवार फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(FCI) के 59वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने CBI की जांच का हवाला देते हुए कहा कि- कथित भ्रष्टाचार में जो लोग लिप्त हैं उन्हें बख्शा नहीं जाएगा बल्कि जीरो टॉलरेंस की नीति के अंतर्गत उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं पीयूष गोयल ने एफसीआई में भ्रष्टाचार मुक्त सफाई अभियान चलाने की बात भी कही। उन्होंने अधिकारियों को एक ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए कहा जिसमें ‘व्हिसलब्लोअर’ यानी भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले अधिकारी को पुरस्कृत किया जाए। साथ ही किसी भी कर्मचारी को कहीं भी यदि भ्रष्टाचार दिखता है तो उसे उसकी शिकायत करनी चाहिए। अब एफसीआई की पूरी व्यवस्था को बदलने का समय आ गया है।

प्रश्न यह है कि ‘एफसीआई’ को लेकर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पीयूष गोयल भ्रष्ट अधिकारिकयों को बाहर का रास्ता दिखाने की बात करने लगे। इसका उत्तर है केंद्रीय जांच एजेंसी CBI द्वारा किया गया ‘ऑपरेशन कनक’। दरअसल, CBI ने 11 जनवरी को ‘ऑपरेशन कनक’ के अंतर्गत एफसीआई में कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू की। जिसमें पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में कुल 50 स्थानों की तलाशी ली गई। इसके अलावा चंडीगढ़ से डीजीएम स्तर के एक अधिकारी को गिरफ्तार भी किया गया।

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ऑपरेशन कनक: CBI की कार्रवाई

CBI ने अभी तक इस मामले में एफआईआर दर्ज कर कुल 74 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी पिछले 6 महीने से अंडरकवर ऑपरेशन कनक के रूप में इस कथित भ्रष्टाचार की जांच कर रही थी। इस दौरान कई संदिग्ध अधिकारियों, चावल मिल मालिकों और बिचौलियों के विरुद्ध छानबीन भी की गई।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विभाग के कामकाज को तेजी देने के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव को एफसीआई तथा केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) में किए जा रहे बदलावों की निगरानी करने के लिए भी कहा। नये बदलावों के अंतर्गत अब सचिव हर हफ्ते इसका लेखाजोखा लेंगे और हर पंद्रह दिन में इकट्ठा की गई जानकारी को सचिव मंत्री के साथ साझा करेंगे। बदलाव की इस प्रक्रिया में अधिकारियों के द्वारा सहयोग न देने पर उनके विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी।

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खाद्य आपूर्ति प्रणाली चलाने पर प्रशंसा

इसके अलावा पीयूष गोयल ने दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य आपूर्ति प्रणाली चलाने के लिए अधिकारियों की सराहना भी की, विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान जिस प्रकार ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के तहत कर्मचारियों ने अनाज वितरण का कार्य किया उसकी प्रशंसा भी की। पीयूष गोयल ने कहा कि इतनी बड़ी महामारी के बाद भी कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोया। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत ने खाद्य सुरक्षा, आर्थिक मजबूती और महंगाई को नियंत्रित करने के मामले में दुनिया में उदारहण पेश किया है।

मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति के तहत लिए निर्णयों की बात की जाए तो यह कोई पहला निर्णय नहीं है इससे पहले भी रेलवे और टेलीकॉम विभाग को संभालने वाले अश्विनी वैष्णव ने भी कुछ इसी प्रकार के निर्णय लिए जिसके तहत सरकारी ऑफिस में आलसी और मुफ्त की मलाई चाटने वाले बाबुओं को समय से पहले रिटायरमेंट लेटर देकर विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। तब भी हमें यही देखने के लिए मिला था कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार और सुस्ती से काम करने वाले सरकारी बाबुओं को झलने वाली नहीं है बल्कि उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में विश्वास रखती है।

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