Boli kise kahate hain : बोली किसे कहते हैं : प्रकार एवं विशेषताएं
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Boli kise kahate hain साथ ही इससे जुड़े प्रकार एवं विशेषताएं के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
बोली किसे कहते हैं –
जब तक कोई भाषा केवल बोलचाल के रूप में बनी रहती हैं, जिसका क्षेत्र सीमित होता हैं, जिसमें उच्चारण सम्बन्धी भिन्नता बनी रहती हैं; लिखित रूप में न होने के कारण अपना व्याकरण एवं समृध्द साहित्य नही होता बोली कहलाती हैं।
बोलियों को अध्ययन करने के लिए पाँच भागों में बाँटा गया है।
- पूर्वी हिंदी
- पश्चिमी हिंदी
- राजस्थानी हिंदी
- बिहारी हिंदी
- पहाड़ी हिंदी
पूर्वी हिंदी –
इसमें प्रमुख बोलियाँ हैं –अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी। अवधी भाषा में तुलसीकृत ‘रामचरितमानस’ और मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित ‘पद्मावत’ प्रसिद्ध महाकाव्य हैं।
पश्चिमी हिंदी –
इसमें प्रमुख बोलियाँ हैं -ब्रजभाषा, खडीवाली, हरियाणवी, बुंदेली और कन्नौजी। ब्रजभाषा में मृरदास और नन्ददाय की कृष्णभक्ति से सराबोर उत्कृष्ट काव्य रचनाएँ हैं।
राजस्थानी हिंदी –
इसमें प्रमुख बोलियाँ हैं –राजस्थान प्रदेश में प्रयुक्त बोलियों के समूह को राजस्थानी हिंदी कहते हैं। इनमें प्रमुख हैं – मारवाड़ी, मेवाड़ी, मेवाती, हाड़ोती आदि ।
बिहारी हिंदी –
इसमें प्रमुख बोलियाँ हैं –बिहार तथा झारखंड प्रदेशों में प्रयुक्त बोलियों के समूह को बिहारी हिंदी कहते हैं। इनमें प्रमुख हैं – मैथिली, मगही और भोजपुरी। मैथिली के आदि कवि ‘विद्यापति’ की प्रसिद्ध “पदावली’ मैथिली में ही है। अंगिका और बज्जिका बोलियाँ इसी हिन्दी के अंतर्गत आती हैं।
पहाड़ी हिंदी –
इसमें प्रमुख बोलियाँ हैं – हिमाचल की बोली (मंडियाली), गढ़वाल की बोली (गढ़वाली) और कुमाऊँ की बोली (कुमाऊँनी), पहाड़ी हिंदी कहलाती है।
बोली की विशेषताएं –
उच्चारण –
एक ही लिखित शब्द का उच्चारण अलग-अलग होता है
वाक्य रचना –
व्याकरण के नियम थोड़े अलग-अलग हो सकते हैं
शब्दावली –
एक ही अवधारणा को अलग-अलग शब्दों द्वारा दर्शाया गया है
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