मोटे व्यक्ति को मोटा कहना फैट शेमिंग नहीं है, बस इसे सकारात्मक दृष्टि से देखने की आवश्यकता है

भारतीयों में मोटापे की समस्या काफी बढ़ रही है, जोकि चिंता का कारण है।

Here's Why passive fat shaming is Important

Source- TFI

जब किसी इंसान को प्यास लगती है तो वह पानी पीता है, भूख लगती है तो खाना खाता है, उदास होता है तो मनोरंजन के साधन ढूंढता है। इसी प्रकार कोई बीमार होता है तो उसे बीमार कहा जाता है तो वह अपनी बीमारी का समाधान निकालता है या इलाज करवाता है। सटीक शब्दों में कहें तो आवश्यकतानुसार व्यक्ति प्रत्येक काम करता है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि यदि हम किसी को उसके जीवन से जुड़ी समस्या से अवगत कराते हैं तो उसे लगता है कि हम उसका मजाक उड़ा रहे हैं। यह असल में ओवरथिंकिंग का प्रभाव है जो किसी व्यक्ति को सही होने के बावजूद गलत देखने को मजबूर कर देता है। रामचरितमानस में भी एक चौपाई है जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। मोटापे से भी हम इस चौपाई को जोड़ सकते हैं लेकिन कैसे? चलिए बताते हैं।

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मोटापे की समस्या

दरअसल, मोटापा भी एक बीमारी ही है। यदि किसी व्यक्ति की कद काठी सामान्य तौर पर मोटापे वाली है तो वह निश्चित तौर पर एक जेनेटिक समस्या हो सकती है लेकिन आजकल अधिकांश लोगों के साथ ऐसा नहीं है। कभी मोटापा पश्चिमी देशों की समस्या माना जाता था लेकिन हाल के सालों में ये निम्न और मध्यम आय वाले देशों में फैल रहा है। खासकर भारत में ये तेज़ी से बढ़ रहा है। लंबे समय से कुपोषित और कम वजन वाले लोगों के देश के रूप में देखे जाने वाला भारत पिछले कुछ वर्षों में मोटापे के मामले में शीर्ष पांच देशों में पहुंच गया है। BBC की एक रिपोर्ट बताती है कि एक अनुमान के अनुसार 2016 में 13.5 करोड़ भारतीय अधिक वज़न या मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और देश की कुपोषित आबादी की जगह अधिक वज़न वाले लोग ले रहे हैं। रिपोर्ट के अनुमान है कि पिछले 6 सालों में यह मोटापे की समस्या और तेजी से बढ़ी है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार लगभग 23 प्रतिशत पुरुषों और 24 प्रतिशत महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स 25 पाया गया है। यह साल 2015-16 से 4 प्रतिशत अधिक है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2015-16 में पांच साल से कम उम्र के 2.1 प्रतिशत बच्चों का वज़न अधिक था। ये संख्या नए सर्वेक्षण में बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गई है। इसको लेकर चेन्नई के एक सर्जन और ओबेस्टी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के फाउंडर डॉ रवींद्रन कुमेरन चेतावनी देते हुए कहते हैं, “हम भारत और विश्व स्तर पर मोटापे की बीमारी से जूझ रहे हैं और मुझे डर है कि अगर शीघ्र ही इस पर ध्यान नहीं देंगे तो यह महामारी बन जाएगी।”

जिस तरह से भारत में मोटापा महामारी के तौर पर फैल रहा है, कुछ उसी देश में अलग-अलग तरह की बीमारियां पैर पसार रही हैं। एक समय ऐसा भी था जब किसी ने डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों का नाम भी नहीं सुना था लेकिन अब भारत में इन दोनों ही बीमारियों का एक प्रकोप देखने को मिलता है। अहम बात यह है कि अलग-अलग तरह की इन बीमारियों में एक बात कॉमन है और वह यह है कि जिन लोगों को मोटापे की समस्या होती है वे ही सबसे ज्यादा खतरनाक बीमारियों का शिकार बनते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, शरीर में बहुत अधिक वसा नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है, जिससे 13 प्रकार के कैंसर, टाइप-2 मधुमेह, हृदय की समस्याएं और फेफड़ों के मामले शामिल होते हैं। वर्ष 2021 में दुनियाभर में लगभग 28 लाख लोगों की मौत मोटापे से जुड़ी बीमारियों के कारण हुई।

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समस्या नहीं बताएंगे, तो समाधान कैसे निकलेगा? 

अब एक अहम बात यह भी है कि आज के वक्त में किसी के भले के लिए उसकी आलोचना कर दो तो भी लोग बुरा मान जाते हैं। यदि किसी को मोटा कह दिया जाता है तो लोग इसे “फैट शेमिंग” कहकर सामाजिक ज्ञान देने लगते हैं, जो कि पूरी तरह अजीबो-गरीब बात है। अगर हम समस्या पर बात नहीं करेंगे तो उसे हल कैसे करेंगे?

आज के समय में लोगों का लाइफस्टाइल ऐसा हो गया है कि लोग फास्ट फूड का हद से अधिक सेवन करने लगे हैं। घर के खाने को छोड़ लोगों का पेट बाहर के छोले भटूरे, पाव भाजी और ब्रेड परोड़े से ही भरता है। अब ऐसी चीजें खाने से फैट तो जमा होगा ही लेकिन यदि कोई इस गलती को ध्यान दिलाएगा नहीं, तो परेशानी तो बढ़ती ही जाएगी। यदि कोई बच्चा किसी विषय में फेल हो जाए तो हम उसकी प्रगति के लिए बताते हैं कि उसे खास विषय में अधिक मेहनत की आवश्यकता है। ठीक इसी तरह यदि किसी को मोटापे से निजात दिलानी है तो उसे इस पर ध्यान दिलाने की आवश्यकता है। साथ ही उस व्यक्ति को भी यह बात सकारात्मक ढंग से लेकर स्वीकार करनी चाहिए। हां, किसी के मोटापे का मजाक उड़ाना गलत है, परंतु इस समस्या की ओर ध्यान दिलाना किसी भी तरह से गलत नहीं कहा जाएगा। ऐसा होने पर व्यक्ति अपने खानपान के साथ अपने पूरे लाइफस्टाइल में सुधार करेगा जिससे न केवल उसे मोटापे से निजात मिलेगी, बल्कि अनेक तरह की संभावित बीमारियों का खतरा टल जाएगा।

अदनान सामी ने घटाया वजन

आप सभी बॉलीवुड सिंगर अदनान सामी को जानते ही होंगे। आज से 10 वर्ष पहले वे काफी मोटे थे, उनका वजन 220 किलो था। उनका मीडिया में खूब मजाक उड़ाया जाता था। उस दौरान लाफ्टर चैलेंज के शो में कॉमेडियन राजीव श्रीवास्तव से लेकर सुनील पाल और तब के कॉमेडियन और वर्तमान में पंजाब के सीएम भगवंत मान का काफी मजाक उड़ाते थे। वह एक हास्य था लेकिन अदनान ने इस मजाक को सकारात्मक तरीके से लिया है और अपने जीवन में बदलाव किया। अदनान सामी ने वजन कम करने की ऐसी कसम खाई कि 220 किलों से आज उनका वजन 75 किलो पर आ गया है, जोकि उनके जीवन के लिए ही लाभदायक रहा।

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अनंत अंबानी ने भी कम कर लिया था अपना वजन

आज कल मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी का सोशल मीडिया पर वजन को लेकर मजाक उड़ाया जा रहा है लेकिन वह शुरू से ही अधिक वजन की बीमारी का सामना करते रहें हैं। अनंत ने 2016 में अपना वजन  208 किलों से घटाकर 100 किलो कर लिया था। अपना वजन कम करने के लिए अनंत ने काफी मेहनत की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह पांच से छह घंटे तक वर्कआउट करते थे, 21 किलोमीटर तक वॉक करते थे, योगा करते थे। अनंत ने वेट लॉस के लिए जीरो सेवर हाई प्रोटीन और कम फैट वाले लो-कार्ब डाइट फॉलो किए थे। साथ ही उन्होंने अपनी डाइट का भी खास ध्यान रखा।

वे लोगों के लिए एक मिसाल बन गए थे लेकिन फिर उनका वजन बढ़ गया है। इसकी वजह यह है कि अनंत को अस्थमा की बीमारी है। उनकी मां नीता अंबानी ने बताया है कि अनंत की अनेकों तरह की स्टेरोयड संबंधी दवाएं चल रही हैं जिसके चलते उनका वजन तेजी से बढ़ता है। अनंत को बीमारी है, इसके बावजूद उन्होंने अपना वजन कम कर 2016 में एक सफल प्रयास किया यह भी दिखाता है कि व्यक्ति यदि स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहता है तो यह उसके लिए लाभदायक ही है।

ऐसे में वो लोग जो बस वजन बढ़ने की बातों को मजाक उड़ाना समझकर सामने वाले व्यक्ति को ही आलोचना का पात्र मान लेते हैं, उनके लिए आवश्यक यह है कि इस बात को सकारात्मक तौर पर लें क्योंकि जब चर्चा होगी, तभी  समस्या का अंत होगा।

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