“पब्लिक से चंदा लो और मजे करो”, साकेत गोखले अब लंबे नपेंगे

यह तो होना ही था!

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गोलमाल के प्रथम संस्करण के प्रारम्भिक दृश्यों में जब लक्ष्मण और लकी अकड़कर कुछ विद्यार्थियों से “चन्दा” मांगते हैं, तो उन्हीं में से एक माधव पूछता है, “ये कोई तरीका है भीख मांगने का?” लगता है इस प्रसंग को एक व्यक्ति ने कुछ अधिक ही गंभीरता से ले लिया था और अपना लगभग समस्त जीवन अकड़कर “चन्दा मांगने” में ही बिता दिया। वो और बात है कि यही आदत की कृपा से अब मुसीबतों में घिर गये हैं।

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बुरे फंसे साकेत गोखले

कुछ दिनों पूर्व साकेत गोखले की ज़मानत याचिका को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले के परिप्रेक्ष्य में गुजरात हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया। ईडी ने अदालत को बताया था कि साकेत ने धनराशि का उपयोग जनहित में न करके अपने निजी खर्चों को निपटाने में किया है। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि साकेत की दिक्कतें मात्र प्रारंभ हुई है।

बता दें कि साकेत गोखले पर क्राउडफंडिंग के माध्यम से एकत्र किए गए धन के दुरुपयोग का आरोप है। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने साकेत को हिरासत में लेते हुए उससे इसी भ्रष्टाचार के मामले में पूछताछ प्रारंभ की है। इसके अतिरिक्त ईडी ने राहुल गांधी के एक विश्वासपात्र अलंकर सवाई से भी पूछताछ की। अधिकारियों के अनुसार अलंकार से पूछताछ की गई और इस सप्ताह की शुरुआत में तीन दिन तक अहमदाबाद में गोखले और सवाई को आमने-सामने बैठाकर सवाल-जवाब किए गए। गोखले की रिमांड मांगते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने अहमदाबाद की एक अदालत को बताया था कि जब एजेंसी ने साकेत गोखले से उसके बैंक खाते में एक वर्ष में नकद में जमा कराए गए 23.54 लाख रुपये के बारे में सवाल किया तो उसने बताया था कि सोशल मीडिया कार्य और अन्य सलाहों के लिए कांग्रेस के अलंकार सवाई द्वारा ये पैसा नकद दिया गया था।

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ये है पूरा मामला

बता दें कि 29 दिसंबर को अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा ने गोखले को गिरफ्तार किया था। इसके बाद गोखले को क्राउड फंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी गिरफ्तार कर लिया। इन पर क्राउड फंडिंग के माध्यम से जनता से एकत्र किए गए एक करोड़ की हेराफेरी करने का आरोप है। साकेत गोखले पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 467 (जालसाजी) के तहत आरोप लगाए गए थे।

जैसा कि पूर्व में भी आपको बताया जा चुका है, साकेत उस दल का अभिन्न अंग है, जो ऐसे ही रोते गाते धनोपार्जन करते हैं और उसी से अपना जीवन भी व्यतीत करते हैं। परंतु इनकी हरकतें यहीं तक सीमित नहीं है। 2020 में इन्होंने इस बात का हल्ला मचाया कि उनके बिल्डिंग के नीचे कुछ लोग कथित तौर पर जय श्री राम चिल्ला रहे हैं, जिससे वे भयभीत हैं और उन्हें तुरंत सुरक्षा चाहिए। आश्चर्य की बात यह नहीं थी। आश्चर्य तो इस बात का था कि उस समय महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री ने तत्काल प्रभाव से इस व्यक्ति को सुरक्षा भी प्रदान कराई गई। जबकि पालघर हो, या फिर पूर्व सैनिक पर शिवसेना के गुंडों का हमला, इनमें इसी सरकार को सांप सूंघ गया था। परंतु हम ये भी भूल रहे हैं कि उस समय गृह मंत्री भी तो उद्धव सरकार के विश्वसनीय एवं अर्नब गोस्वामी को झूठे आरोपों में फंसाने वाले अनिल देशमुख थे।

ऐसे ही लोगों को उल्लू बनाकर, चन्दा इकट्ठा करके साकेत गोखले ने अपने विचारों के अनुरूप तृणमूल कांग्रेस जॉइन की। परंतु अब ऐसा प्रतीत होता है कि तृणमूल कांग्रेस में प्रवेश के लिए एक अनाधिकारिक नियम भी अंतर्निहित है – TMC का हिस्सा बनना है, तो आपको भ्रष्टाचार में डिस्टिंक्शन सहित उत्तीर्ण होना होगा। कम से कम साकेत गोखले के मामले से ऐसा ही लग रहा है।

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