“शहादत मंजूर थी, लेकिन…”, लोकेश मुनि ने जोरदार जवाबों से मौलाना अरशद मदनी के तर्कों को खारिज कर दिया

जो काम सनातनी धर्मगुरु को करना चाहिए था, वह एक जैन मुनि को करना पड़ा।

Jain Muni replies to Deobandi Taliban's Arshad Madani Claims on Hinduism

Source- TFI

कुछ लोग चाहकर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। आदत से मजबूर जो होते हैं। मौलाना मदनी भी इन्हीं लोगों में से एक हैं। एक सर्वधर्म संसद में अपने पंथ को समावेशी बनाने हेतु उन्होंने कुछ ऐसे तर्क पेश किये कि बड़े से बड़े अनुयायी भी अपना माथा पीट लें। परंतु एक ओर जहां इनके खोखले दावों को जैन मुनि लोकेश मुनि ने ध्वस्त किया, तो वहीं सनातन धर्म के “प्रतिनिधियों” को मानों मौलाना मदनी के तर्कों पर सांप सूंघ गया था।

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अरशद मदनी के बयान पर बवाल

हाल ही में इस्लामी संगठन ‘जमीयत उलेमा-ए-हिन्द’ के मुखिया मौलाना अरशद महमूद मदनी ने एक बार फिर से हिन्दुओं को लेकर ज़हर उगला है। बीते दिनों दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का एक अधिवेशन हुआ, जिसमें विभिन्न धर्मों के गुरु और संतों ने हिस्सा लिया। दिल्ली में आयोजित उक्त संगठन के एक सर्वधर्म सम्मेलन के समय मौलाना मदनी ऐसा कुछ कह देते हैं, जिसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो जाता हैं। मौलाना मदनी अल्लाह और ओम को एक बता देते हैं। वह कहते हैं, “मैंने धर्मगुरुओं से पूछा जब कोई नहीं था, न श्री राम, न ब्रह्म, तब मनु किसे पूजते थे? कुछ लोग बताते हैं कि वे ओम को पूजते थे। तब मैंने कहा कि इन्हें ही तो हम अल्लाह, आप ईश्वर, फारसी बोलने वाले खुदा और अंग्रेजी बोलने वाले गॉड कहते हैं।”

परंतु मौलाना इतने पर नहीं रुके। उन्होंने मनु को ‘आदम’ की संज्ञा दी और यह भी कह दिया कि मनु की पत्नी हेमवती नहीं, हव्वा है। इसके अतिरिक्त मौलाना मदनी अपने अनर्गल प्रलाप को आवश्यकता से अधिक लंबा खींचते हुए यहां तक कह गए कि सभी पंथों के पूर्वज आदम और हव्वा हैं। इनके अनुसार, “मनु ही आदम थे। वह ओम यानी अल्लाह को पूजते थे। हजरत आदम जो नबी थे, सबसे पहले उन्हें भारत की धरती के भीतर उतारा। अगर चाहता तो आदम को अफ्रीका, अरब, रूस में उतार देता। वो भी जानते हैं, हम भी जानते हैं कि आदम को दुनिया में उतारने के लिए भारत की धरती को चुना गया”।

इस दौरान लोकेश मुनि ने जब मौलाना मदनी की इन बेफिजूल की बातों को लेकर इनसे पूछा कि जब कार्यक्रम जोड़ने के नाम पर किया जा रहा है तो इसमें आपत्तिजनक बातें क्यों की जा रही हैं? तो मौलाना मदनी मोहन भगवत को उल्टा सीधा सुनाने पर उतर आए। इतना ही नहीं, मौलाना मदनी ने न्यायपालिका पर भी केंद्र सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया। इनके अनुसार, “भारत हमारा मुल्क है। यह मुल्क जितना नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का है, उतना ही यह मुल्क महमूद का भी है। न तो महमूद उनसे एक इंच आगे है और न ही वे महमूद से एक इंच आगे हैं। भारत खुदा के सबसे पहले पैगंबर अब्दुल बशर सईदाला आलम की जमीन है। भारत मुस्लिमों की पहली मातृभूमि है।”

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लोकेश मुनि ने दावों को बताया खोखला

प्रारंभ से ही आक्रामक होते हुए जैन मुनि लोकेश ने मौलाना मदनी के दावों को खोखला बता दिया। लोकेश मुनि ने कहा, “मदनी ने जो कहा है उससे कोई भी सहमत नहीं है। मैं आपसे निवेदन करता हूं यदि हमें जोड़ने की बात आपको करनी है तो प्यार-मोहब्बत की बात कीजिए। आपने जितनी कहानी सुनाई है ओम, अल्लाह, मनु, ये वो उससे कहीं अधिक 4 गुना कहानी मैं सुना सकता हूं।” केवल इतना ही लोकेश मुनि ने इस दौरान मौलाना मदनी को खुलेआम शास्त्रार्थ की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें शास्त्रार्थ की चुनौती देता हूं। आप दिल्ली आये या मुझे सहारनपुर बुलाएं, मैं वहां भी शास्त्रार्थ के लिए आऊंगा।

इससे पूर्व कि मौलाना मदनी या कोई अन्य उनकी बातें काट पाता लोकेश मुनि ने आगे कहा, “आपने जो बात कही मैं उससे सहमत नहीं हूं। चारों धर्म के संत या कोई भी अन्य इससे सहमत नहीं हैं। हम केवल आपस में मिल-जुलकर रहने को लेकर सहमत हैं। ये जो कहानी है ओम, मनु, अल्लाह, उसकी औलाद ये अब फालतू की बातें हैं। आपने सारा पलीता लगा दिया एकता के सद्भावना के सम्मेलन में।”

इसके अतिरिक्त उन्होंने ये भी कहा, “जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर हुए। अरिष्टनेमि 14वें योगीराज कृष्ण के भाई थे। किंतु याद रखिए, उससे पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव थे, जिनके पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम पड़ा है। आप इसे नहीं मिटा सकते।”

अब ये लोकेश मुनि कौन हैं? ये जैन धर्म के चर्चित धर्मगुरु, विचारक, लेखक, कवि और समाज सुधारक हैं। वे बीते 33 वर्षों से राष्ट्रीय चरित्र निर्माण, मानवीय मूल्यों के विकास और भारतीय समाज में अहिंसा, शांति और आपसी सहयोग स्थापित करने के लिए अनवरत प्रयास कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने समाज को जागरूक करने और शांति व्यवस्था बनाने के लिए ‘अहिंसा विश्वभारती’ नामक संस्था की स्थापना की है। बालिकाओं की भ्रूण हत्या, नशाखोरी, पर्यावरण प्रदूषण जैसी कुरीतियों के विरुद्ध उन्होंने सशक्त आंदोलन प्रारंभ किया।

इसी से संबंध में एक वीडियो पोस्ट करते हुए लोकेश मुनि ने ट्वीट किया, “मुझे अपनी शहादत मंजूर थी। मैं अपनी आंखों के सामने अपने धर्म, संस्कृति का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसलिए विरोध किया, शास्त्रार्थ की चुनौती दी।” लोकेश मुनि के विरोध के बाद जैन और हिंदू धर्मगुरुओं ने जमीयत का मंच छोड़ दिया था।

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सनातन धर्म के प्रतिनिधि को कुछ गलत नहीं लगा

अब इस पर अन्य लोगों की प्रतिक्रिया क्या रही? जब लोकेश मुनि मदनी का विरोध कर रहे थे, तब सामने मुस्लिम भीड़ मौजूद थी और मंच पर विभिन्न धर्मों के गुरु मौजूद थे। दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन का रविवार को आखिरी दिन था। अब सोचिए, जो काम उक्त अधिवेशन में बैठे सनातनी धर्मगुरु को करना चाहिए था, वह एक जैन मुनि को करना पड़ा। परंतु सभा में उपस्थित एक अन्य धर्मगुरु चिदानंद सरस्वती को मौलाना मदनी की बातों में कुछ भी गलत नहीं दिखा। महोदय के अनुसार, “मदनी के बयान में सहमति और असहमति की बात नहीं है। मैंने अपने विचार अपने ढंग से प्रकट किए। उन्होंने अपने विचार अपने ढंग से प्रकट किए हैं। जिसको सुनना होगा वो सुनेगा। मुझे नहीं मालूम लोकेश मुनि जी के मन में क्या था और उन्होंने क्या समझा है। किस रूप में इसे लिया है।”

आचार्य चिदानंद ने भी ऐसा ही कुछ कहा। वह कहते हैं, “मैंने मदनी की बात को इस रूप से लिया है कि मैं सब का सम्मान करता हूं। मेरे लिए सब समान है। यही हमारे देश का संविधान भी है। हालांकि यदि कोई इस्लाम धर्म को मानता है और उसकी विशेषता बताता है, तो उसको बताना ही चाहिए। यह स्वाभाविक है। हिंदू धर्म मानने वाला भी हिंदू धर्म की विशेषता बताएगा। लेकिन अपने अपने धर्म की विशेषता को बताते हुए अपने मूल से, अपने मूल्यों से और अपनी जड़ों से अपनी संस्कृति तथा संस्कारों से जुड़े रहना चाहिए। यही आज का संदेश है।”

वहीं मदनी के बयान को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने भी अजीबो गरीब बयान दिया। चक्रपाणि महाराज के अनुसार, “मौलाना मदनी ने कहा है वह मनु को मानते हैं तो मनु तो सनातन धर्मी थे। उन्हें भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर बचाया था। इसलिए मौलाना मदनी भी सनातनी हिंदू हुए। अब उन्हें राष्ट्रभक्ति दिखाने, वंदे मातरम बोलने और भारत माता की जय बोलने की आवश्यकता है। क्योंकि हिंदू सनातन धर्मी राष्ट्रभक्त होते हैं”। अब मौलाना मदनी से तो हम व्यवहारिकता रख भी नहीं सकते, परंतु जिस प्रकार मंच पर बैठे कुछ सनातनी धर्मगुरु चुप थे और जिस प्रकार लोकेश मुनि को उनके खोखले दावों को ध्वस्त करने आगे आना पड़ा, वह कुछ चिंताजनक प्रश्न अवश्य छोड़ जाता है।

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