कपूर आरती हिंदी में : मंत्र एवं अर्थ

Kapur Aarti

Kapur Aarti in hindi : कपूर आरती हिंदी में : मंत्र एवं अर्थ 

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Kapur Aarti साथ ही इससे जुड़े मंत्र एवं अर्थ के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

करपूर गौरम करूणावतारम

संसार सारम भुजगेन्द्र हारम|

सदा वसंतम हृदयारविंदे

भवम भवानी सहितं नमामि||

मंगलम भगवान् विष्णु

मंगलम गरुड़ध्वज|

मंगलम पुन्डरी काक्षो

मंगलायतनो हरि||

सर्व मंगल मांग्लयै

शिवे सर्वार्थ साधिके|

शरण्ये त्रयम्बके गौरी

नारायणी नमोस्तुते||

त्वमेव माता च पिता त्वमेव

त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव

त्वमेव सर्वं मम देव देव

कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा

बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात

करोमि यध्य्त सकलं परस्मै

नारायणायेति समर्पयामि||

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे

हे नाथ नारायण वासुदेव|

जिब्हे पिबस्व अमृतं एत देव

गोविन्द दामोदर माधवेती||

मंत्र का पूरा अर्थ– जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।

किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम् करुणावतारम….मंत्र ही क्यों बोला जाता है, इसके पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं। भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई हुई मानी गई है। अमूमन ये माना जाता है कि शिव शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी वाला है। लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका स्वरुप बहुत दिव्य है। शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है, वे मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति। ये स्तुति इसी कारण से गाई जाती है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में वास करे। शिव श्मशान वासी हैं, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं। हमारे मन में शिव वास करें, मृत्यु का भय दूर हो।

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