Kriya Kise Kahate Hain : क्रिया किसे कहते हैं : विशेषताएं एवं उदाहरण
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Kriya Kise Kahate Hain साथ ही इससे जुड़े विशेषताएं एवं उदाहरण के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
जब हम कोई कार्य करते हैं तो वह हिंदी व्याकरण के अनुसार क्रिया कहलाती है । किसी क्रिया को करने के लिए हमें दो चीज़ों की आवश्यकता होती है कर्ता और कार्य / कर्म । जब भी कोई कार्य किया जाता है तो काम करने वाला कर्ता और किया गया काम कार्य /कर्म कहलाता है।
क्रिया की विशेषताएं –
- हिंदी भाषा में कोई भी वाक्य बिना क्रिया के पूर्ण नहीं होता है।
- हिंदी में प्रयोग होने वाली कुछ क्रियाएँ स्वयं से ही स्वघटित होती हैं और कुछ क्रियाओं को घटित किया जाता है।
- क्रिया शब्द एक या एक से अधिक शब्दों से मिलकर बनी होती है।
- क्रिया शब्दों में क्रिया के रूप पर लिंग , वचन , कारक , काल आदि का प्रभाव पड़ता है। क्रिया शब्दों में इन सभी का प्रभाव पड़ने से क्रिया शब्द विकारी शब्द कहलाते हैं।
क्रिया के उदाहरण –
- अनुज पढ़ रहा है।
- शास्त्री जी भारत के प्रधानमंत्री थे।
- मिचेल क्रिकेट खेल रहा है।
- भावेश खेल रहा है।
- जॉन एडम्स पुस्तक पढ़ रहा है।
- बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं।
- लड़कियाँ गाना गा रही हैं।
- नीलू चाय बना रही है।
- सुमित पत्र लिखता है।
- उसी ने बोला था।
- शादाब ही सदा लिखता है।
- अध्यापक छात्रों को पाठ पढ़ा रहा था।
- अनुज ने ललित को पत्र लिखा।
- आज सभी पतंग उड़ा रहे हैं।
- मुकुल दूध पी रहा है।
सकर्मक क्रिया –
जिस क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े, उसे ‘सकर्मक क्रिया’ कहते हैं।
अतएव, यह आवश्यक है कि वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म लाये। यदि क्रिया अपने साथ कर्म नहीं लाती है तो वह अकर्मक ही कहलाएगी। नीचे लिखे वाक्यों को देखें:
प्रवर अनू पढ़ता है। (कर्म-विहीन क्रिया)
प्रवर अनू पुस्तक पढ़ता है। (कर्मयुक्त क्रिया)
प्रथम और द्वितीय दोनों वाक्यों में ‘पढ़ना’ क्रिया का प्रयोग हुआ है; परन्तु प्रथम वाक्य की क्रिया अपने साथ कर्म न लाने के कारण अकर्मक हुई, जबकि द्वितीय वाक्य की वही क्रिया अपने साथ कर्म लाने के कारण सकर्मक हुई।
अकर्मक क्रिया –
वह क्रिया, जो अपने साथ कर्म नहीं लाये जिस क्रिया का फल या व्यापार कर्ता पर ही पड़े, व अकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे-
उल्लू दिनभर सोता है।
इस वाक्य में ‘सोना’ क्रिया का व्यापार उल्लू जो कर्ता हैद्ध ही करता है और वही सोता भी है। इसलिए ‘सोना’ क्रिया अकर्मक हुई।
कुछ क्रियाएँ अकर्मक सकर्मक दोनों होती हैं।
उदाहरण-
- उसका सिर खुजलाता है। (अकर्मक)
- वह अपना सिर खुजलाता है। (सकर्मक)
- जी घबराता है। (अकर्मक)
- विपति मुझे घबराती है। (सकर्मक)
- बूँद -बूँद से तालाब भरता है। (अकर्मक)
- उसने आंखें भर के कहा (सकर्मक )
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