देश को बांटने में कुछ लोगों को इतना मजा आता है कि वे इसके लिए लोगों को मारने काटने से भी पीछे नहीं हटते। धर्म, जाति, संप्रदाय के आधार पर हिंसा की ख़बरें पहले भी आती रही हैं लेकिन अब भाषा के नाम पर भी हिंसा आम होती दिख रही है।
तमिलनाडु में कुछ ऐसा ही हुआ है। एक शख्स चलती ट्रेन में लोगों को केवल इसलिए पीटता पाया गया क्योंकि वे लोग हिंदी में बात कर रहे थे। सीधे शब्दों में कहें तो हिंदी बोलना इस शख्स को अपराध लग रहा था। अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है, क्योंकि कथित तौर पर हिंदी थोपने के विरोध के नाम पर होने वाला विरोध अब हिंसक होता हुआ दिख रहा है।
हिंदी बोलने पर शख्स की पिटाई
तमिलनाडु से एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में चलती ट्रेन में एक शख्स उन लोगों को ही चुन-चुन कर पीटता दिख रहा है जो लोग ट्रेन में हिंदी में बात कर रहे थे। आरोप व्यक्ति दूसरे लोगों को हाथ भी नहीं लगा रहा था लेकिन जो भी लोग हिंदी बोल रहे थे उनके विरुद्ध आग उबल रहा था।
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एनसीआई ने अपने ट्विटर हैंडल पर वह वीडियो शेयर कर लोगों से अपील की है कि मारपीट कर रहे व्यक्ति के बारे में किसी को जानकारी हो तो वह तुरंत इसकी सूचना दें जिससे कि आरोपित व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की जा सके।
#शर्मनाक..😡
यह वीडियो दक्षिण भारत के किसी हिस्से का है। इसमें एक व्यक्ति हिंदी बोलने के कारण उत्तर भारतीयों के साथ ट्रेन में मारपीट कर रहा है।अगर, इस वीडियो या वीडियो में दिख रहें आरोपी के संबंध में आपके पास कोई जानकारी है तो हमारे व्हाट्सएप 09792580000 पर हमें उपलब्ध कराए। pic.twitter.com/dFagFRQTfr
— NCIB Headquarters (@NCIBHQ) February 16, 2023
तमिलनाडु में हिंदी विरोधी राजनीति की पुरानी परंपरा रही है। अहम बात यह है कि डीएमके इस हिंदी विरोधी नफरत में सर्वाधिक आगे निकल चुकी है जोकि अब सत्ता में भी है। डीएमके खुलकर हिंदी का विरोध करती है जिसका प्रभाव यह है कि आए दिन डीएमके कार्यकर्ता से लेकर समर्थक तक धड़ल्ले से हिंदी विरोधी बयान देते हैं और उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
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हिंदी विरोध की इस राजनीति का प्रभाव वहां के समाज पर भी पड़ रहा है। समाज के एक वर्ग में हिंदी भाषियों के प्रति नफरत की भावना गहरा रही है। दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में कई बार हिंदी का विरोध होता है, लेकिन तमिलनाडु में सीमा पार हो गई है।
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