केजरीवाल सरकार घोटाला: भई कुछ भी कहें, परंतु दिल्ली की वर्तमान सरकार योग्य तो है। अरे नहीं नहीं, हम इनके विश्व प्रसिद्ध स्कूल मॉडल और इनके फ्री वस्तु अर्थशास्त्र की बात नहीं कर रहे। हम तो इनके “घोटाले” करने की अद्भुत कला को नमन करते हैं, जिनसे राणा अयूब, तीस्ता सीतलवाड़ एवं साकेत गोखले जैसे बालक-बालिकाओं को भी सीख लेनी चाहिए।
अब आप सोच रहे होंगे कि किस खुशी में इनकी इस विशेष योग्यता की चर्चा हो रही है, तो असल में जी20 के आगामी सम्मेलन के पीछे घोटाला मंत्री [क्षमा कीजिएगा, गुस्से में इधर उधर निकल जाते हैं] यानि हमारे दिल्ली प्रांत के वर्तमान शिक्षा मंत्री एवं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया रोते गाते हुए केंद्र सरकार के द्वारे पहुंच गए कि मालिक फंड दे दो। किस लिए?
केंद्र से मांगा 927 करोड़ रुपये का फंड
मनीष सिसोदिया ने शनिवार को केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा था। महोदय ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के चलते केंद्र से विशेष विकास कार्य करने के लिए 927 करोड़ रुपये का अनुदान देने की मांग की है। जी हां, 927 करोड़ रुपये की। सिसोदिया महोदय का कहना है कि दिल्ली सरकार के लिए जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के वास्ते अपने सीमित संसाधनों में से अतिरिक्त 927 करोड़ रुपये खर्च करना आसान नहीं होगा।
ठहरिए, ये मात्र प्रारंभ है। सिसोदिया ने दावा किया कि केंद्रीय करों में अपने हिस्से के रूप में दिल्ली को कुछ भी भुगतान नहीं किया जा रहा है और शहर सरकार को कोई अतिरिक्त अनुदान भी नहीं दिया गया है। सिसोदिया के अनुसार, “राज्यों में नगर निकायों को उनकी आबादी के हिसाब से दी जा रही धनराशि भी दिल्ली नगर निगम (MCD) को उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी दिल्ली के लिए गर्व की बात है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पूरी दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान यहां आने वाले विदेशी मेहमानों को किसी तरह की परेशानी न हो।”
तो इन सबका घोटालों से क्या संबंध? देखिए, जी20 एक विश्वप्रसिद्ध समूह है, जिसके सम्मेलनों का कार्यभार इस वर्ष के अध्यक्ष होने के नाते भारत को सौंपा गया है। अब चूंकि शिखर सम्मेलन देश की राजधानी दिल्ली में हो रहा है, तो स्पष्ट है कि ऐसे भव्य अवसर के लिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को एक होना चाहिए। परंतु यहां स्थिति ठीक विपरीत है। असल में केंद्र सरकार के कंधों पर केजरीवाल सरकार समस्त जिम्मेदारी थोपना चाहती है, ताकि वह अपने दायित्वों से कन्नी काट सके।
क्या है केजरीवाल सरकार की योजना?
और ये 927 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग किसी के गले नहीं उतर रही। लोग माने न माने, परंतु दिल्ली का वार्षिक बजट अधिकतम सरप्लस में रहता है, वो अलग बात कि इसे दिखाने का साहस दिल्ली सरकार में है ही नहीं, अन्यथा “फंड्स” का रोना कहां से रोया जायेगा? इसके अतिरिक्त आबकारी नीति में जो धांधलेबाज़ी मनीष सिसोदिया एंड कंपनी ने की है, वो भी अनदेखा करने योग्य नहीं है और अभी तो हमने कोविड के परिप्रेक्ष्य में ऑक्सीजन सिलेंडरों की धांधली पर प्रकाश भी नहीं डाला है। तो क्या जी20 के लिए 920 करोड़ लेकर केजरीवाल सरकार एक और घोटाला करना चाहती है? जैसा कि हमने पहले भी देखा है कि कैसे कांग्रेस की सरकार के दौरान कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन के दौरान एक बड़ा घोटाला किया गया। वैसे भी अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी कुछ ही वर्षों के अंदर भ्रष्टाचार का नया पर्याय बनती नजर आ रही है। केजरीवाल सरकार में एक के बाद एक कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आये हैं। तो ऐसे में क्या अब जी 20 के रूप में केजरीवाल सरकार नया घोटाला रचने की योजना बना रही है? इसका उत्तर तो अब केवल मनीष सिसोदिया के पास ही है।
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