Sanvidhan kise kahate hain :संविधान किसे कहते हैं परिभाषा एवं प्रकार
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Sanvidhan kise kahate hain साथ ही इससे जुड़े अर्थ एवं परिभाषा के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
संविधान का अर्थ –
संविधान – ‘सम्’ + ‘विधान’ , मूल सिद्धांतों का एक समूह है जिसके द्वारा एक राज्य या अन्य संगठन शासित होता है। इसमें सम् का अर्थ है समान या बराबर और विधान का अर्थ नियम या कानून है। इस प्रकार, संविधान नियमों का एक संग्रह है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है। किसी देश का शासन कैसा होगा, सरकार का चयन कैसे होगा, सत्ता का वितरण कैसे होगा, न्यायिक प्रक्रिया क्या होगी, नागरिकों को क्या अधिकार दिए जाएंगे, नागरिकों और सरकारों के क्या कर्तव्य होंगे देश के प्रति इन सब बातों को संविधान कहते हैं।
संविधान की परिभाषा –
गिलक्राइस्ट के अनुसार –
संविधान उन समस्त लिखित व अलिखित विधियों और नियमों का संग्रह है जिनके आधार पर किसी देश की शासन व्यवस्था संगठित की जाती है, शासन के विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का विभाजन किया जाता है और उन सिद्धांतों का निर्धारण किया जाता है जिन पर उन शक्तियों का प्रयोग किया जाएगा। –
वुल्से के अनुसार
संविधान उन सिद्धांतों का संग्रह है, जिसके अनुसार सरकार की शक्तियों और शासितों के अधिकारों और दोनो के बीच संबंधों का समन्वय किया जाता हैं। –
जेलिनेक के अनुसार –
संविधान विहीन राज्य की परिकल्पना नहीं की जा सकती हैं । संविधान के अभाव में राज्य, राज्य न होकर एक प्रकार की अराजकता होगी। –
संविधान के प्रकार –
उत्पत्ति के आधार पर –
- विकसित संविधान
- निर्मित संविधान
विकसित संविधान –
इस प्रकार के संविधान का निर्माण किसी निश्चित समय में कुछ निश्चित व्यक्तियों द्वारा नहीं होता। आवश्यकता व परिस्थिति के अनुसार विकसित होते है।
निर्मित संविधान –
इस प्रकार के संविधान को निश्चित समय में कुछ व्यक्तियों द्वारा बनाया जाता है। इसका निर्माण वाद-विवाद तथा विचार-विमर्श द्वारा होता है।
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