एक होते हैं नेता, फिर आते हैं अभिनेता और फिर प्रकट होते हैं विक्टिम कार्ड के प्रणेता। लॉजिक से इनका कोई सरोकार नहीं, व्यवहारिकता से इनका छत्तीस का आंकड़ा है और जब बात अपने एजेंडे के लिए लोगों को उल्लू बनाने की आती है तो ये पहले से ही वहां उपस्थित मिलते हैं। लूटपाट, नरसंहार, महामारी और दंगों के बाद उनकी मुस्कान की चमकान देखते बनती है परंतु ये भूल जाते हैं कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ाई जाती, जैसा अभी राणा अय्यूब के साथ हो रहा है। इस लेख में हम आपको विस्तार से इन “विक्टिम कार्ड” प्रेमियों के हास्यास्पद फॉर्मूले से अवगत कराएंगे और बताएंगे कि कैसे विक्टिमोलॉजी का यह सिद्धांत हर बार काम नहीं आता।
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राणा अय्यूब और ईडी
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत की याचिका पूर्व पत्रकार और परमानेंट वामपंथी राणा अय्यूब ने पेश की। इसके अंतर्गत महोदया ने वही घिसा पिटा राग अलापा कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है और उनकी आवाज़ को दबाया जा रहा है। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारी एजेंसियों के पास उनके हर आरोप का प्रत्यारोप उपलब्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने जब प्रवर्तन निदेशालय से उत्तर मांगा (जो वर्तमान में राणा अयूब के विरुद्ध कार्रवाई कर रहा है) तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कैसे राणा अय्यूब ने विभिन्न स्रोतों से जो चन्दा “मानवीय सहायता” के लिए जुटाया था, उसे अपने निजी ऐश के लिए व्यय कर दिया।
#SupremeCourt to shortly hear the plea of journalist Rana Ayyub to quash proceedings in a special PMLA court in Ghaziabad, UP in connection with a money laundering case. ED has accused Ayyub of misappropriating charitable donations for personal gain.#SupremeCourtofIndia pic.twitter.com/9caiJMxyT5
— Live Law (@LiveLawIndia) January 31, 2023
इसके समर्थन में तुषार मेहता ने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश किये, जिससे सामने आया कि कैसे राणा अय्यूब ने चंदों के नाम पर 1 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जमा की, जिसमें से उन्होंने 50 लाख रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट भी कराया और काफी धनराशि अपने सगे संबंधियों को भी आवंटित किया। अय्यूब ने अपने बचाव में कुछ बिल भी पेश किये परंतु वे सब फर्जी सिद्ध हुए। तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि मनी लॉन्ड्रिंग अपराध हमेशा एक अनुसूचित अपराध से जुड़ा होता है, जिसके लिए गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी क्योंकि अगर धोखाधड़ी भारत के किसी क्षेत्र में हुई तो उसके लिए सिंगापुर जाके मुकदमा थोड़ी न दायर होगा!
विक्टिमोलॉजी और अय्यूब
परंतु प्रश्न तो अब भी व्याप्त है कि इसमें विक्टिम कार्ड कहाँ से आया और यह विक्टिमोलॉजी को कैसे परिभाषित करता है? उत्तर बड़ा ही सरल है- तुषार मेहता से पूर्व राणा के बचाव में अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने तरह तरह की बकवास की और साथ में यह भी दावा किया कि कैसे “चन्दा घोटाले” के नाम पर हिन्दू आईटी सेल सोशल मीडिया पर राणा अय्यूब को परेशान कर रहे हैं, जोकि वास्तव में सफेद झूठ हैं।
लेकिन इससे यह तो सिद्ध नहीं हुआ कि राणा विक्टिमोलॉजी में विशेषज्ञ हैं। अगर आप इंस्टाग्राम रील्स देखते हैं तो आपने “मैं गरीब हूँ” जैसे शॉर्ट्स तो देखे ही होंगे, जहां लोग राई का पहाड़ बनाने में दो सेकेंड भी नहीं लगाते। लोग जानते हैं कि सामने वाला झूठ बोल रहा है, यह भी जानते हैं कि इतने प्रपंच से कुछ वक्त की छूट मिल सकती है परंतु सदैव वैसे लोग जनता को भ्रमित नहीं कर सकते। परंतु जब वर्ष 2002 के नाम पर लोगों ने करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीद ली और लगभग तीन महीनों में एक बार विदेश यात्रा भी कर आते हैं, वो भी एग्जीक्यूटिव क्लास में, तो फिर अपने खर्चों के लिए चन्दा घोटाला करना तो बच्चों का खेल है।
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इस खेल में अय्यूब अकेल नहीं हैं
परंतु राणा अय्यूब को इस खेल में अकेला मत समझिएगा। इनका एक पूरा कुनबा है, जिनकी विशेषज्ञता ही इसमें है कि कैसे अपने आप को विक्टिम दिखाकर जनता से जबरदस्त सहानुभूति बटोरनी है और अगर धनवर्षा हो जाए तो वाह भाई वाह! साकेत गोखले का नाम सुना है? अरे वही, जो बिल्डिंग के नीचे “जय श्री राम” मात्र सुनने से इतना भयभीत हो जाते हैं कि पुलिस सुरक्षा की मांग करने लगते हैं। इन भाईसाब ने या तो राणा महोदया से विशेष दीक्षा ली है या फिर वो स्वयं इस पद्वति में अल्ट्रा विशेषज्ञ हैं, क्योंकि उन्होंने चन्दा मांग मांगकर न केवल अपना घर बार चलाया है अपितु तृणमूल कांग्रेस में प्रवेश भी किया है। ऐसा प्रोमोशन कहीं देखा है आपने? शायद इसीलिए ED ने भी उन्हें आमंत्रित किया है कि आखिर वह भी समझें कि गोखले ये सब करते कैसे हैं और अभी तो मोहम्मद ज़ुबैर के महान कारनामों पर हमने प्रकाश भी नहीं डाला है, जिसमें उन्होंने नोबेल पुरस्कार वालों तक को लपेटे में ले लिया। वो अलग बात है कि नोबेल वालों ने उन्हें घास तक नहीं डाली थी।
ED arrested Saket Gokhale for siphoning off donations.
Rana Ayyub could produce 10% of funds spent for “cause”, Gokhale apparently spent 99% on his lux life adventures. (Pic2)
I exposed this scam in Jun21 (Pic1). Reading this thread today will be altogether another fun.
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) January 26, 2023
किंतु विक्टिमोलॉजी में यदि उन्हें कोई टक्कर दे सकता है तो केवल साक्षी जोशी हैं! राणा और साकेत जैसे लोग तो केवल “छोटे मोटे घोटाले” कर सकते हैं, साक्षी महोदया का अगर पर्स ही गुम हो जाए तो वह सीधा भारतीय उच्चायोग से लेकर 10 डाउनिंग स्ट्रीट तक फोन लगा दें कि अभी के अभी मेरा बटुआ ढूंढ के लाओ। खैर, आपको बताते चलें कि विक्टिमोलॉजी एक बड़ी ही जटिल विद्या है, जिसे सीखने के लिए बरखा दत्त और तरुण तेजपाल जैसा मस्तिष्क होना चाहिए, अन्यथा कम से कम राणा अय्यूब जैसा धनोपार्जन की कला होनी चाहिए। निश्चिंत रहिए, परिणाम अवश्य मिलेंगे, वो अलग बात है कि रिटर्न गिफ्ट में कभी न कभी हवालात की हवा भी खानी पड़ेगी।
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