अतीक अहमद तो जेल में है, परंतु परिवार का क्या?

बिना अतीक अहमद का समूल विनाश किये यूपी के लिए स्थिति सामान्य नहीं होंगी

आचार्य चाणक्य ने एक बात कही थी, “किसी समस्या को जड़ से समाप्त करने में भी भलाई है, उसका एक अंश भी रह जाए, तो वह समस्या पुनः उभरकर आपका मार्ग कष्टकारी बनाएगी”। इसका अर्थ है कि समस्या, चाहे व्यक्ति के रूप में हो या संस्थान, उसका समूल विनाश ही उस समस्या को नष्ट कर सकता है। ये बात वर्तमान यूपी प्रशासन पर भी सटीक बैठती है। अब अतीक अहमद भले ही साबरमती जेल में बंद हो, और सरकार “बुलडोज़र अभियान” में कार्यरत, परंतु बाकी परिवार का क्या?

इस लेख में पढिये कि कैसे उमेश पाल प्रकरण में यूपी प्रशासन द्वारा ताबड़तोड़ कार्रवाई से काम पूरा नहीं होगा, और क्यों अतीक अहमद के परिवार के एक एक सदस्य को पकड़ना अनिवार्य है। तो अविलंब आरंभ करते हैं।

कथा समाप्त नहीं हुई है

जब से राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या हुई है, तब से योगी सरकार ने आक्रामक रुख अपनाया हुआ है। जैसा की स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “माफिया को हम जड़ से उखाड़कर ही दम लेंगे”।

अब योगी सरकार अपने शब्दों पर अडिग होकर अपराधियों और उनके करीबीयों के अवैध निर्माण पर एक्शन मोड में दिख रही है और हत्याकांड के आरोपितों की धड़पकड़ के लिए चलाया जा रहा अभियान चलाए उसका पुख्ता प्रमाण है। बताते चलें कि इस दौरान मुठभेड़ में उमेश पाल हत्याकांड के 2 आरोपितों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार भी गिराया है।

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परंतु जो कुछ भी यूपी प्रशासन ने अब तक किया है, वह एक बड़े घाव को भरने हेतु बैंड एड लगाने समान है।

ऐसा क्यों? सर्वप्रथम, अतीक अहमद भले जेल में हो, परंतु उसका नेटवर्क पूरी तरह से ध्वस्त नहीं हुआ है। उसका परिवार अभी भी सक्रिय है, और कई लोग तो जेल के भीतर से अपना नेटवर्क चला रहे हैं। इतना ही नहीं, अतीक अहमद की पत्नी भी इस नेटवर्क के संचालन में उतनी ही सक्रिय है, जितने अतीक स्वयं था.

वो कैसे? यूपी पुलिस फिलहाल शाइस्ता परवीन की तलाश में जुटी हुई है, जिन्हे हमले के मास्टरमाइंड्स में से एक बताया जा रहा है। इनपर पुलिस ने 25000 रुपये का इनाम भी जारी किया है।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, उमेश पाल की हत्याकांड में शाइस्ता के शामिल होने के साक्ष्य मिले हैं। पुलिस ने पाँच आरोपितों को पहले ही गिरफ्तार किया था। उन्होंने पुलिस को बताया कि उमेश पाल की हत्या की हर साजिश में शाइस्ता शामिल थी। यहां तक वह वीडियो कॉल की मीटिंग्स में भी हिस्सा लेती थी।

आरोपितों ने बताया कि उमेश पाल की हत्या से ठीक पहले उसने शूटर्स को मैसेज भेजा था। शाइस्ता ने शूटरों से कहा था, “इंशाअल्लाह, उमेश को मारकर हमें कामयाब होना है। यह हक की लड़ाई है। इसे जीतना ही होगा। जो जीतेगा, वही जी सकेगा।”

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अतीक के नौकर कैश अहमद और राकेश लाला ने पुलिस को बताया कि जेल में बंद अतीक और अशरफ वीडियो कॉल पर जुड़ते थे। वे सभी उमेश पाल की रेकी करने से लेकर गोली मारने और फिर भागने के तरीके पर अपनी-अपनी बात रखते थे। इसके अतिरिक्त शूटरों के साथ शाइस्ता का एक सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुआ है, जिनमें से दो मारे जा चुके हैं, और कुछ शायद अभी भी फरार हैं।

अतीक अहमद के परिवार का एक एक सदस्य है खतरनाक

यूपी के प्रयागराज में उमेश पाल की हत्याकांड की आरोपित और गैंगस्टर अतीक अहमद की बीवी शाइस्ता परवीन कहीं विदेश ना भाग जाए। ऐसी आशंका पुलिस ने जाहिर की है। पुलिस का कहना है कि शाइस्ता की बुर्के की तस्वीर को लोग जानते हैं। बिना बुर्के के उसे कई नहीं पहचानता है। इसका फायदा उठाकर वह विदेश भाग सकती है।

परंतु शाइस्ता अकेली नहीं है। कहा जाता है कि इस षड्यन्त्र में अतीक अहमद के साथ बरेली जेल में बंद उसका भाई और उसके  बेटे भी सम्मिलित है। इस बात की पुष्टि इंडिया टुडे ने अपने वीडियो रिपोर्ट में की है। इसके अलावा अब तक जितनी भी जगह बुलडोज़र चले हैं, वह या तो अतीक अहमद के सहयोगी हैं, या फिर उसके दफ्तर से संबंधित हैं। परंतु इससे अतीक अहमद के परिवार का मनोबल नहीं टूटा है, भले ही वह भयभीत होने का जो नाटक कर ले।

उदाहरण के लिए प्रयागराज के नैनी जेल में बंद अतीक अहमद क बेटा   अली अहमद जेल में तैनात जवानों से पूछता रहता है कि अब किसका एनकाउंटर किया गया है। नेटवर्क 18 की रिपोर्ट के मुताबिक अली अहमद जेल में सुरक्षा में तैनात जवानों से एनकाउंटर को लेकर सवाल करता रहता है। दिन में कई बार वह सुरक्षाकर्मियों से पूछता है कि अब किसे टपकाया गया है। जानकारी है कि उस्मान के एनकाउंटर के बाद से बेचैन अली अहमद को अपने एनकाउंटर का भी डर सता रहा है। अली अहमद सुरक्षाकर्मियों से यह भी पूछता रहता है कि उसे दूसरे जेल में शिफ्ट तो नहीं किया जा रहा।

समूल विनाश ही एकमात्र विकल्प

तो क्या योगी प्रशासन अतीक के आतंक को निष्क्रिय करने में असफल रही है? ये बात पूर्णत्या सत्य नहीं है। यूपी पुलिस और प्रशासन दोनों ही इस विषय पर काफी सक्रिय है, और जैसे यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने कहा था, पहले की भांति अब अतीक अहमद को राजनीतिक संरक्षण भी नहीं मिलता है।

परंतु जैसे एक टेस्ट मैच में टीम को फॉलो ऑन से बचाने, और टीम को मैच जिताने में आकाश पाताल का अंतर होता है, वैसे ही यूपी प्रशासन के लिए काम अभी पूरा नहीं हुआ है।

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अतीक अहमद के प्रयागराज समेत कई ठिकानों पर भले ही पुलिस ने छापे डाले हों, कहीं कहीं पर बुलडोज़र भी चलवाया है, परंतु इन सबसे अतीक अहमद के परिवार का समर्पण विनाश तो नहीं हुआ। शाइस्ता परवीन अब भी फरार है, और अतीक अहमद के कुछ बेटे अब भी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। ऐसे में यूपी प्रशासन तब तक चैन की सांस नहीं ले सकती, जब तक अतीक अहमद के परिवार के एक एक सदस्य को या तो जेल में भेजा जाए, या फिर उनका समूल विनाश किया जाए क्योंकि समय की मांग यही है और सम्पूर्ण समस्या का समाधान भी..

अब निर्णय योगी आदित्यनाथ सरकार के हाथ में है।

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